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Auraiya News: प्रसूताओं से वसूली करने वाली दो स्टाफ नर्सों के खिलाफ एफआईआर
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उरई। जिला महिला अस्पताल में प्रसूताओं के तीमारदारों से अवैध रूप से पैसे वसूलने के मामले में दो स्टाफ अरुणा और कल्पना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस गंभीर कदाचार के चलते उनकी सेवा समाप्ति की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है, जिससे अस्पताल परिसर में खलबली मची हुई है।
यह घटना तब प्रकाश में आई जब जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने शनिवार की सुबह अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी को कुइया गांव निवासी रिंकी ने बताया कि 24 दिसंबर की रात उसकी डिलीवरी हुई थी। रिंकी ने आरोप लगाया कि लेबर रूम में तैनात दो नर्सों ने तीन हजार रुपये प्राप्त करने के बाद ही उसका प्रसव कराया। इसी क्रम में परासन गांव की खुशबू ने भी डीएम को बताया था कि उससे भी 1200 रुपये वसूलने की बात कही गई थी। डीएम ने तत्काल मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. डीके भिटौरिया और प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. संजीव प्रभाकर को निर्देश दिए कि वे अवैध रूप से पैसे लेने वाले कर्मचारियों की गहन जांच कराएं और उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें।
जांच समिति का गठन और आरोपों की पुष्टि
सीएमओ डॉ. डीके भिटौरिया ने एक जांच समिति का गठन किया। इस समिति में जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. आनंद उपाध्याय, एसीएमओ डॉ. वीरेंद्र सिंह, डॉ. एपी वर्मा, जिला परियोजना प्रबंधक (डीपीएम) डॉ. प्रेमप्रताप और प्रशासनिक अधिकारी उत्तम प्रकाश को शामिल किया गया। जांच प्रक्रिया के दौरान नर्सों द्वारा पैसे वसूलने के आरोप की पुष्टि हुई। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट सीएमओ के माध्यम से जिलाधिकारी को सौंपी।
सरकारी अस्पताल में मरीजों से किसी भी तरह का पैसा लेना गलत है। यह स्थिति इसलिए उत्पन्न हो रही है क्योंकि अस्पताल प्रशासन द्वारा पर्याप्त निगरानी नहीं की जा रही है और न ही मरीजों से संवाद किया जा रहा है। फिलहाल वसूली की दोषी दो संविदा स्टाफ नर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। साथ ही उनकी सेवा समाप्ति भी की जाएगी। जीरो टोलरेंस की नीति के अनुसार काम होगा।
राजेश कुमार पांडेय, डीएम
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यह घटना तब प्रकाश में आई जब जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने शनिवार की सुबह अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी को कुइया गांव निवासी रिंकी ने बताया कि 24 दिसंबर की रात उसकी डिलीवरी हुई थी। रिंकी ने आरोप लगाया कि लेबर रूम में तैनात दो नर्सों ने तीन हजार रुपये प्राप्त करने के बाद ही उसका प्रसव कराया। इसी क्रम में परासन गांव की खुशबू ने भी डीएम को बताया था कि उससे भी 1200 रुपये वसूलने की बात कही गई थी। डीएम ने तत्काल मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. डीके भिटौरिया और प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. संजीव प्रभाकर को निर्देश दिए कि वे अवैध रूप से पैसे लेने वाले कर्मचारियों की गहन जांच कराएं और उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें।
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जांच समिति का गठन और आरोपों की पुष्टि
सीएमओ डॉ. डीके भिटौरिया ने एक जांच समिति का गठन किया। इस समिति में जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. आनंद उपाध्याय, एसीएमओ डॉ. वीरेंद्र सिंह, डॉ. एपी वर्मा, जिला परियोजना प्रबंधक (डीपीएम) डॉ. प्रेमप्रताप और प्रशासनिक अधिकारी उत्तम प्रकाश को शामिल किया गया। जांच प्रक्रिया के दौरान नर्सों द्वारा पैसे वसूलने के आरोप की पुष्टि हुई। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट सीएमओ के माध्यम से जिलाधिकारी को सौंपी।
सरकारी अस्पताल में मरीजों से किसी भी तरह का पैसा लेना गलत है। यह स्थिति इसलिए उत्पन्न हो रही है क्योंकि अस्पताल प्रशासन द्वारा पर्याप्त निगरानी नहीं की जा रही है और न ही मरीजों से संवाद किया जा रहा है। फिलहाल वसूली की दोषी दो संविदा स्टाफ नर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। साथ ही उनकी सेवा समाप्ति भी की जाएगी। जीरो टोलरेंस की नीति के अनुसार काम होगा।
राजेश कुमार पांडेय, डीएम
