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Auraiya News: कर्मचारी न व्यवस्थाएं, क्रीड़ाधिकारी और एक कोच के भरोसे स्टेडियम
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औरैया। बिधूना के बढ़िन स्थित स्पोर्ट्स स्टेडियम में खिलाड़ियों के भविष्य पर अव्यवस्थाओं का साया मंडरा रहा है। लाखों रुपये से तैयार स्टेडियम कर्मचारियों के अभाव में सिर्फ दो कोच के भरोसे चल रहा है। यहां न चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तैनात है और न ही क्लर्क। स्टेडियम की दैनिक व्यवस्था से लेकर सरकारी रजिस्टर संभालने तक का पूरा दारोमदार दो प्रशिक्षकों पर है। इन्हीं में से एक जिला क्रीड़ा अधिकारी हैं।
वर्ष 2024 में स्टेडियम का संचालन शुरू होने पर क्रिकेट के कोच संजीव वर्मा और एथलेटिक्स के अमेरिका सिंह यादव थे। संजीव वर्मा ही जिला क्रीड़ा अधिकारी हैं। इसके अलावा स्टेडियम में कोई स्टाफ नहीं है। हैरान करने वाली बात यह है कि स्टेडियम का मुख्य ताला भी जिला क्रीड़ा अधिकारी ही खोलते हैं। सुबह अभ्यास शुरू होने से पहले और शाम को लौटने तक सारी जिम्मेदारी उन्हीं पर रहती है। किसी कर्मचारी के न होने से मैदान की सफाई, उपकरणों की सुरक्षा और दैनिक प्रबंधन जैसे काम प्रभावित होते हैं।
दोनों कोचों के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रशिक्षण के दौरान स्कोर नोट करने और खिलाड़ियों की निगरानी की है। एक कोच अगर स्कोर नोट करने में लग जाए तो मैदान पर खिलाड़ियों की तकनीक, सुरक्षा और परफॉर्मेंस पर निगरानी नहीं हो पाती।
दूसरे कोच को उपकरणों की व्यवस्था, एंट्री रजिस्टर और शिकायतों तक संभालनी पड़ती है। इस वजह से कई बार प्रशिक्षण सत्र की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। खिलाड़ी भी कहते हैं कि स्टाफ की कमी के कारण अभ्यास सुचारू तरीके से नहीं हो पाता।
स्टेडियम में एथलेटिक्स, क्रिकेट, कबड्डी, वॉलीबॉल सहित कई खेलों के उपकरण रखे हैं। चौकीदार न होने से उनकी सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं। कोचों के कंधों पर सुरक्षा का अतिरिक्त बोझ है जिससे प्रशिक्षण पर असर पड़ता है।
सभी खिलाड़ी चाहते हैं कि उन्हें बड़े स्टेडियम जैसा अनुशासन और प्रबंधन मिले लेकिन वर्तमान स्थिति में स्टेडियम न्यूनतम स्टाफ के साथ चलाया जा रहा है। पानी की व्यवस्था, मैदान की देखरेख, अभ्यास के बाद ग्राउंड मेंटेनेंस किसी तरह हो पा रहा है।
वॉलीबॉल, कबड्डी, हॉकी, फुटबॉल, खो-खो के कोचों के साथ ही अन्य स्टाफ की मांग के लिए पत्राचार कई बार किया गया है। अभी तक न कोच आए और न ही स्टाफ की नियुक्ति हो पाई। वर्तमान में नियुक्त दोनों कोच पूरी जिम्मेदारी संभाले हैं। प्रशिक्षण प्रभावित न हो इसका पूरा प्रयास किया जाता है।
- संजीव वर्मा, जिला क्रीड़ा अधिकारी
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वर्ष 2024 में स्टेडियम का संचालन शुरू होने पर क्रिकेट के कोच संजीव वर्मा और एथलेटिक्स के अमेरिका सिंह यादव थे। संजीव वर्मा ही जिला क्रीड़ा अधिकारी हैं। इसके अलावा स्टेडियम में कोई स्टाफ नहीं है। हैरान करने वाली बात यह है कि स्टेडियम का मुख्य ताला भी जिला क्रीड़ा अधिकारी ही खोलते हैं। सुबह अभ्यास शुरू होने से पहले और शाम को लौटने तक सारी जिम्मेदारी उन्हीं पर रहती है। किसी कर्मचारी के न होने से मैदान की सफाई, उपकरणों की सुरक्षा और दैनिक प्रबंधन जैसे काम प्रभावित होते हैं।
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दोनों कोचों के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रशिक्षण के दौरान स्कोर नोट करने और खिलाड़ियों की निगरानी की है। एक कोच अगर स्कोर नोट करने में लग जाए तो मैदान पर खिलाड़ियों की तकनीक, सुरक्षा और परफॉर्मेंस पर निगरानी नहीं हो पाती।
दूसरे कोच को उपकरणों की व्यवस्था, एंट्री रजिस्टर और शिकायतों तक संभालनी पड़ती है। इस वजह से कई बार प्रशिक्षण सत्र की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। खिलाड़ी भी कहते हैं कि स्टाफ की कमी के कारण अभ्यास सुचारू तरीके से नहीं हो पाता।
स्टेडियम में एथलेटिक्स, क्रिकेट, कबड्डी, वॉलीबॉल सहित कई खेलों के उपकरण रखे हैं। चौकीदार न होने से उनकी सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं। कोचों के कंधों पर सुरक्षा का अतिरिक्त बोझ है जिससे प्रशिक्षण पर असर पड़ता है।
सभी खिलाड़ी चाहते हैं कि उन्हें बड़े स्टेडियम जैसा अनुशासन और प्रबंधन मिले लेकिन वर्तमान स्थिति में स्टेडियम न्यूनतम स्टाफ के साथ चलाया जा रहा है। पानी की व्यवस्था, मैदान की देखरेख, अभ्यास के बाद ग्राउंड मेंटेनेंस किसी तरह हो पा रहा है।
वॉलीबॉल, कबड्डी, हॉकी, फुटबॉल, खो-खो के कोचों के साथ ही अन्य स्टाफ की मांग के लिए पत्राचार कई बार किया गया है। अभी तक न कोच आए और न ही स्टाफ की नियुक्ति हो पाई। वर्तमान में नियुक्त दोनों कोच पूरी जिम्मेदारी संभाले हैं। प्रशिक्षण प्रभावित न हो इसका पूरा प्रयास किया जाता है।
- संजीव वर्मा, जिला क्रीड़ा अधिकारी