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Auraiya News: ये कैसा संरक्षण...गोशालाओं में बदहाली, सड़कों पर घूम रहे टैग लगे गोवंश
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आवास विकास में कांशीराम कॉलोनी के बाहर बैठे गोवंश।
- फोटो : संवाद
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औरैया। गोशाला में गोवंशों के संरक्षण की हकीकत चौंकाने वाली है। गोशाला में जहां व्यवस्थाएं बदहाल हैं वहीं, सड़कों पर ईयर टैग लगे गोवंश घूम रहे हैं। गोशालाओं की व्यवस्था बदहाल होने के कारण हालात बदतर होते जा रहे हैं।
जिले में बेसहारा गोवंशों के संरक्षण के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। शहर की गलियों में गोवंश घूमते नजर आते हैं। आवास विकास में टंकी परिसर में संचालित नगर पालिका की गोशाला में करीब 70 गोवंश संरक्षित हैं। इसमें से कई बीमार हैं। एक गाय के पैर में गहरा घाव है, लेकिन घाव की मरहम पट्टी कराने के जिम्मेदारों ने उसे तिरपाल से ढक दिया। हर गुजरते दिन के साथ उनकी हालत दयनीय होती जा रही है।
हालात यह है कि कई गोवंश भी उठने में असमर्थ हैं। गोशाला के बाहर का दृश्य और भी चौंकाने वाला है। गोशाला के गेट से लेकर करीब 100 मीटर दूर स्थित कांशीराम कॉलोनी तक बड़ी संख्या में गोवंश घूमते नजर आते हैं। सभी के कान में टैग लगा है। ईयर टैग इस बात की पुष्टि करता है कि गोवंश गोशाला में संरक्षित था लेकिन, अब खुले में घूम रहा है। कॉलोनी के लोग इनसे से परेशान हैं। केयर टेकर ही रात के अंधेरे में गोवंशों को छोड़ देते हैं। जिम्मेदार भी कान में लगा ईयर टैग देखकर जान लेते हैं कि गोवंश गोशाला से छोड़ा गया है लेकिन, फिर भी वे आंखें फेर लेते हैं। यही गोवंश हाईवे और मुख्य सड़कों पर हादसों का कारण बनते हैं।
नगर पालिका की ओर से शहर से सटे दयालपुर में गोशाला का संचालन किया जा रहा है। यहां करीब 50 गोवंश संरक्षित हैं। इनमें कई बहुत कमजोर हो गए हैं। हाल यह है कि कमजोर गोवंश एक बार बैठने के बाद दोबारा उठ नहीं पाता। धीरे-धीरे बीमार होने के बाद वह दम तोड़ देता है। पड़ताल के दौरान गोवंशों की नादी में सूखा भूसा पड़ा मिला। केयरटेकर ने बताया कि चोकर खत्म हो गया है, जल्द आ जाएगा।
सड़कों पर सैकड़ों गोवंश घूम रहे हैं। आवास विकास में ही करीब 200 गोवंश विचरण करते रहते हैं। खाली प्लॉट में झुंड नजर आता है। चौंकाने वाली बात यह है कि नगर पालिका की दो गोशालाओं में महज 120 गोवंश ही संरक्षित हैं।
गोशाला के आसपास गोवंशों के घूमने की जानकारी नहीं हैं। अगर कहीं गोवंश हैं तो टीम भेजकर उन्हें गोशाला में संरक्षित कराया जाएगा। ईयरटैग लगे गोवंश कहां से आए ये पता कराया जाएगा।
-अनूप गुप्ता, चेयरमैन, नगर पालिका परिषद
गोशाला के साथ ही निजी पशुपालकों के गोवंशों को भी टैग लगाया जाता है। पोर्टल पर जांच कर इसकी पुष्टि हो पाएगी कि गोवंश गोशाला से निकाले गए हैं या इन्हें पशुपालक ने छोड़ा है। शहरी क्षेत्र में गोवंशों के संरक्षण की जिम्मेदारी नगर पालिका की है।
-डॉ. विकल, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।
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हालात यह है कि कई गोवंश भी उठने में असमर्थ हैं। गोशाला के बाहर का दृश्य और भी चौंकाने वाला है। गोशाला के गेट से लेकर करीब 100 मीटर दूर स्थित कांशीराम कॉलोनी तक बड़ी संख्या में गोवंश घूमते नजर आते हैं। सभी के कान में टैग लगा है। ईयर टैग इस बात की पुष्टि करता है कि गोवंश गोशाला में संरक्षित था लेकिन, अब खुले में घूम रहा है। कॉलोनी के लोग इनसे से परेशान हैं। केयर टेकर ही रात के अंधेरे में गोवंशों को छोड़ देते हैं। जिम्मेदार भी कान में लगा ईयर टैग देखकर जान लेते हैं कि गोवंश गोशाला से छोड़ा गया है लेकिन, फिर भी वे आंखें फेर लेते हैं। यही गोवंश हाईवे और मुख्य सड़कों पर हादसों का कारण बनते हैं।
नगर पालिका की ओर से शहर से सटे दयालपुर में गोशाला का संचालन किया जा रहा है। यहां करीब 50 गोवंश संरक्षित हैं। इनमें कई बहुत कमजोर हो गए हैं। हाल यह है कि कमजोर गोवंश एक बार बैठने के बाद दोबारा उठ नहीं पाता। धीरे-धीरे बीमार होने के बाद वह दम तोड़ देता है। पड़ताल के दौरान गोवंशों की नादी में सूखा भूसा पड़ा मिला। केयरटेकर ने बताया कि चोकर खत्म हो गया है, जल्द आ जाएगा।
सड़कों पर सैकड़ों गोवंश घूम रहे हैं। आवास विकास में ही करीब 200 गोवंश विचरण करते रहते हैं। खाली प्लॉट में झुंड नजर आता है। चौंकाने वाली बात यह है कि नगर पालिका की दो गोशालाओं में महज 120 गोवंश ही संरक्षित हैं।
गोशाला के आसपास गोवंशों के घूमने की जानकारी नहीं हैं। अगर कहीं गोवंश हैं तो टीम भेजकर उन्हें गोशाला में संरक्षित कराया जाएगा। ईयरटैग लगे गोवंश कहां से आए ये पता कराया जाएगा।
-अनूप गुप्ता, चेयरमैन, नगर पालिका परिषद
गोशाला के साथ ही निजी पशुपालकों के गोवंशों को भी टैग लगाया जाता है। पोर्टल पर जांच कर इसकी पुष्टि हो पाएगी कि गोवंश गोशाला से निकाले गए हैं या इन्हें पशुपालक ने छोड़ा है। शहरी क्षेत्र में गोवंशों के संरक्षण की जिम्मेदारी नगर पालिका की है।
-डॉ. विकल, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।