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Lok Sabha By Election Result: आजमगढ़ में सपा को झटका, भाजपा की जीत, पुलिस पर भड़के धर्मेंद्र यादव

संवाद न्यूज एजेंसी, आजमगढ़ Published by: उत्पल कांत Updated Sun, 26 Jun 2022 02:19 PM IST
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सार

पूर्वांचल की प्रतिष्ठापरक आजमगढ़ लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान के बाद मतगणना हुई। सपा और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर रही। अंत में जीत भाजपा की ही हुई।

Lok Sabha By Election Result Azamgarh tough fight between Samajwadi party and BJP continues Dharmendra Yadav angry on police
पुलिस से बहस करते धर्मेंद्र यादव - फोटो : सोशल मीडिया।

विस्तार
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यूपी की आजमगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा ने कब्जा जमा लिया है। भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ने सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को 12 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया। बसपा तीसरे स्थान पर रही। एम वाई समीकरण को तोड़ते हुए निरहुआ ने यह मुकाबला जीता है। लेकिन इस जीत में बहुत बड़ा योगदान बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली का रहा। क्योंकि वह जिस तेजी से लड़े निरहुआ को उसका फायदा मिला और उसे जीत मिली। 

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मतगणना केंद्र के बाहर भारी सुरक्षा बल तैनात है। सपा-बसपा और भाजपा समर्थकों की भीड़ उमड़ी है। सोशल मीडिया पर जीत के दावों को लेकर कयासबाजी तेज है। लोकसभा उपचुनाव के लिए हुए मतदान के बाद रविवार को एफसीआई गोदाम बेलइसा में सुबह आठ बजे से मतगणना शुरू हुई। 14 टेबलों पर विधानसभावार गणना हो रही है।  

समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव की प्रशासनिक अधिकारियों से तीखी नोकझोंक भी हुई है। धर्मेंद्र यादव ने आरोप लगाया है कि उन्हें मतगणना स्थल से अंदर जाने पर रोक दिया। इस पर पुलिस अधिकारी और सपा प्रत्याशी के बीच काफी देर तक बहस होती रही। धर्मेंद्र यादव ने प्रशासन पर ईवीएम बदलने के गंभीर आरोप भी लगाए। हालांकि वहां मौजूद पुलिस अधिकारियों ने उन्हें निष्पक्ष मतगणना का भरोसा दिलाते हुए शांत कराया।

धर्मेंद्र यादव बोले- पहली बार चुनाव नहीं लड़ रहा हूं

दरअसल, मतगणना के दौरान सपा प्रत्यासी धर्मेंद्र यादव ने स्ट्रॉन्ग रूम तक जाने की मांग की लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। उन्होंने कहा कि पहली बार चुनाव नहीं लड़ रहा हूं। पांच बार लड़ चुका हूं। कैसे नहीं जाएगा कैंडिडेट? घोटाला करना चाहते हो? हम जाएंगे स्ट्रॉन्ग रूम। मैं कैंडिडेट हूं। आप बेईमानी कराना चाहते हो? अंदर मशीन बदलना चाहते हो? अंदर मशीनें बदलने का षड्यंत्र हो रहा है। बर्दाश्त नहीं करेंगे...आजमगढ़ है। कैंडिडेट अंदर स्ट्रॉन्ग रूम में क्यों नहीं जाएगा?' काउंटिंग शुरू होने पर अचानक हुई इस बहस के बाद धर्मेंद्र यादव को स्ट्रॉन्ग रूम के अंदर जाने दिया गया।
https://www.youtube.com/watch?v=3Ac4ty4yd1k

बता दें कि आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 2019 में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव जीते थे, लेकिन 2022 में करहल से विधायक बनने के बाद उन्होंने यहां इस्तीफा दे दिया था। विधानसभा चुनाव में क्लीन स्वीप कर सपा को पूर्वांचल में मजबूत करने वाले आजमगढ़ में इस बार भी यादव और मुस्लिम मतदाताओं का निर्णय ही अहम माना जा रहा है। फिलहाल 50 फीसदी से कम मतदान से अप्रत्याशित निर्णय के भी कयास शुरू हो गए हैं।

उपचुनाव में सपा की परंपरागत सीट बन चुकी आजमगढ़ में सैफई परिवार से जुड़ाव के लिए सपा ने पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को यहां भेजा। उधर, भाजपा ने दिनेश लाल यादव निरहुआ पर ही भरोसा जताते हुए अपने यादव मतों पर कब्जे के प्रयास को जारी रखा। इस बीच बसपा ने अपने मुस्लिम-दलित फार्मूले के आधार पर शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को उतारकर मुकाबले को रोमांचक बना दिया।

आजमगढ़ की जीत और हार सभी दलों के लिए संदेश

आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र के 18 लाख 38 हजार 930 मतदाताओं को मतदान में हिस्सा लेना था। इसमें नौ लाख 70 हजार 935 पुरुष मतदाता और आठ लाख 67 हजार 968 महिला मतदाताओं को मतदान करना था। लेकिन 23 जून को हुए मतदान में कुल नौ लाख आठ हजार 623 मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया।

इसमें चार लाख 66 हजार 23 पुरुष मतदाता और चार लाख 42 हजार 600 महिला मतदाता मतदान में शामिल हुए। मतदान का कार्य सकुशल संपन्न होने के बाद सभी ईवीएम को एफसीआई गोदाम बेलइसा में कड़ी सुरक्षा के बीच रख दिया गया।

आजमगढ़ लोकसभा सीट पर कब्जा सपा, भाजपा और बसपा के लिए बेहद खास है। वर्ष 2014 में भाजपा के प्रचंड लहर में तत्कालीन सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ में अपने तिलिस्म को बरकरार रखा था। इसके बाद अखिलेश यादव ने इस विरासत को संभाला।

उधर, सपा के मजबूत गढ़ बन चुके आजमगढ़ में भाजपा हर हाल में जीत हासिल कर पूर्वांचल में कायम अपने वर्चस्व को बढ़ाना चाहती है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल में एक सीट पर सिमटी बसपा अपनी खोई जमीन वापस चाहती है। फिलहाल उपचुनाव से सपा मुखिया अखिलेश यादव की दूरी को सियासी पंडित आत्मविश्वास और मजबूरी के तराजू पर तौल रहे हैं। कुल मिलाकर आजमगढ़ की जीत व हार सभी दलों के लिए संदेश होगी।

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