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Bahraich News: कानपुर चिड़ियाघर भेजा गया पिंजरे में कैद बाघ
संवाद न्यूज एजेंसी, बहराइच
Updated Mon, 17 Nov 2025 12:52 AM IST
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कतर्नियाघाट में पिंजरे में कैद बाघ। (फाइल फोटो)
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मिहींपुरवा। कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के मुर्तिहा रेंज में शुक्रवार रात पिंजरे में कैद हुए भटके बाघ को उच्चाधिकारियों के निर्देश पर शनिवार देर रात कड़ी सुरक्षा के बीच कानपुर चिड़ियाघर भेज दिया गया। मां की तलाश में जंगल से भटककर ग्रामीण क्षेत्र में पहुंचे इस अल्पवयस्क नर बाघ ने गन्ने के खेतों में घुसे ग्रामीणों को शिकार समझकर हमला कर दिया था, इससे पूरे इलाके में दहशत फैल गई थी।
वन विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार नवंबर में बाघों का प्रजनन काल शुरू हो जाता है। इस दौरान बाघिन अपने शावकों को अस्थायी रूप से घने जंगलों में छोड़ देती हैं। वनाधिकारियों को आशंका है कि पिंजरे में कैद बाघ भी मां से बिछड़कर जंगल की सीमा पार कर मुर्तिहा रेंज में अमृतपुर गांव के पास गन्ने के खेतों में पहुंच गया होगा और गन्ने के खेत को जंगल समझ बैठा।
मां की तलाश में भटकते हुए उसने खेतों में काम कर रहे ग्रामीणों पर हमला कर दिया, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में अफरातफरी मच गई।
लगातार हमलों और ग्रामीणों की सुरक्षा को देखते हुए प्रभागीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट सूरज कुमार के निर्देश पर मुर्तिहा वन रेंज की टीम ने मौके पर पिंजरा लगाया और कुछ ही घंटों में बाघ पिंजरे में कैद हो गया। इसके बाद उसे रेंज कार्यालय ले जाकर डॉक्टरों की टीम ने स्वास्थ्य परीक्षण किया, जिसमें वह पूरी तरह स्वस्थ पाया गया।
डीएफओ ने बताया कि बाघ के हमलावर व्यवहार और ग्रामीण क्षेत्र में भटकाव को देखते हुए वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने उसके नए वासस्थल का निर्णय लिया। तय हुआ कि बाघ को नियंत्रित और सुरक्षित वातावरण में रखने के लिए कानपुर चिड़ियाघर भेजा जाए। उन्होंने बताया कि सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शनिवार देर रात भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उसे कानपुर रवाना कर दिया गया।
बाघ और ग्रामीण दोनों की सुरक्षा प्राथमिकता : डीएफओ
डीएफओ सूरज कुमार ने बताया कि बाघ और ग्रामीण, दोनों की सुरक्षा प्राथमिकता है। औसतन एक नर बाघ की टेरिटरी 10 से 12 वर्ग किलोमीटर होती है। वर्चस्व की लड़ाई के कारण नर बाघ किसी अन्य नर या युवा बाघ को अपनी सीमा में घुसने नहीं देता। इसी संघर्ष से बचाने के लिए बाघिनें अक्सर अपने युवा शावकों को कुछ समय के लिए अलग सुरक्षित इलाकों में छोड़ देती हैं।
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वन विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार नवंबर में बाघों का प्रजनन काल शुरू हो जाता है। इस दौरान बाघिन अपने शावकों को अस्थायी रूप से घने जंगलों में छोड़ देती हैं। वनाधिकारियों को आशंका है कि पिंजरे में कैद बाघ भी मां से बिछड़कर जंगल की सीमा पार कर मुर्तिहा रेंज में अमृतपुर गांव के पास गन्ने के खेतों में पहुंच गया होगा और गन्ने के खेत को जंगल समझ बैठा।
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मां की तलाश में भटकते हुए उसने खेतों में काम कर रहे ग्रामीणों पर हमला कर दिया, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में अफरातफरी मच गई।
लगातार हमलों और ग्रामीणों की सुरक्षा को देखते हुए प्रभागीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट सूरज कुमार के निर्देश पर मुर्तिहा वन रेंज की टीम ने मौके पर पिंजरा लगाया और कुछ ही घंटों में बाघ पिंजरे में कैद हो गया। इसके बाद उसे रेंज कार्यालय ले जाकर डॉक्टरों की टीम ने स्वास्थ्य परीक्षण किया, जिसमें वह पूरी तरह स्वस्थ पाया गया।
डीएफओ ने बताया कि बाघ के हमलावर व्यवहार और ग्रामीण क्षेत्र में भटकाव को देखते हुए वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने उसके नए वासस्थल का निर्णय लिया। तय हुआ कि बाघ को नियंत्रित और सुरक्षित वातावरण में रखने के लिए कानपुर चिड़ियाघर भेजा जाए। उन्होंने बताया कि सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शनिवार देर रात भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उसे कानपुर रवाना कर दिया गया।
बाघ और ग्रामीण दोनों की सुरक्षा प्राथमिकता : डीएफओ
डीएफओ सूरज कुमार ने बताया कि बाघ और ग्रामीण, दोनों की सुरक्षा प्राथमिकता है। औसतन एक नर बाघ की टेरिटरी 10 से 12 वर्ग किलोमीटर होती है। वर्चस्व की लड़ाई के कारण नर बाघ किसी अन्य नर या युवा बाघ को अपनी सीमा में घुसने नहीं देता। इसी संघर्ष से बचाने के लिए बाघिनें अक्सर अपने युवा शावकों को कुछ समय के लिए अलग सुरक्षित इलाकों में छोड़ देती हैं।