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Bahraich News: नानपारा में मेडिकल स्टोर पर बिक रहा था कोडीन युक्त सिरप, संचालक पर एफआईआर
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बहराइच। नानपारा कस्बे में कोडीन युक्त सिरप के अवैध कारोबार का खुलासा हुआ है। स्टेशन रोड, जुबलीगंज स्थित शर्मा मेडिकल एजेंसी के प्रोपराइटर प्रशांत शर्मा पर भारी मात्रा में कोडीन युक्त सिरप एमडीटुस को नियमों के खिलाफ खरीदने और बिना डॉक्टर के परचे के खुले बाजार में बेचने का आरोप लगा है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की जांच में भारी अनियमितताएं मिलने पर मेडिकल स्टोर का लाइसेंस निरस्त करवाते हुए रविवार को मेडिकल स्टोर संचालक पर कोतवाली नानपारा में एफआईआर दर्ज कराई गई है।
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग में तैनात औषधि निरीक्षक विनय कृष्ण को विभागीय मुख्यालय से निर्देश मिले थे कि कानपुर के मेसर्स अग्रवाल ब्रदर्स से खरीद कर नानपारा स्थित इस मेडिकल एजेंसी से बेचे गए सिरप एमडीटुस की खरीद-बिक्री की जांच करें। इसी के तहत 3 अगस्त 2025 को औषधि निरीक्षक ने शर्मा मेडिकल एजेंसी का औचक निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान मेडिकल संचालक ने दवा बिक्री से संबंधित थोक लाइसेंस तो दिखा दिया, लेकिन जब खांसी के सिरप के क्रय-विक्रय के बिल और रिकॉर्ड मांगे गए, तो वह केवल खरीद से जुड़े कुछ कागजात ही पेश कर सका। मौके पर दवा का कोई स्टॉक भी मौजूद नहीं मिला। इस पर औषधि निरीक्षक ने फार्म-35 पर निरीक्षण आख्या तैयार की, जिस पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर कराए गए।
जांच में सामने आई अनियमितताओं को देखते हुए औषधि अनुज्ञापन प्राधिकारी, देवीपाटन मंडल गोंडा ने 19 अगस्त 2025 को मेडिकल एजेंसी को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसके जवाब में मेडिकल संचालक ने 29 अगस्त को स्पष्टीकरण भेजा, लेकिन उसमें भी जरूरी अभिलेख और बिक्री का पूरा ब्योरा नहीं दिया गया।
लगातार नियमों की अनदेखी और संतोषजनक जवाब न मिलने पर 16 सितंबर को शर्मा मेडिकल एजेंसी का औषधि लाइसेंस निलंबित कर दिया गया। इसके बाद भी जब जांच में खामियां दूर नहीं हुईं, तो 18 अक्तूबर को औषधि अनुज्ञापन प्राधिकारी ने मेडिकल का लाइसेंस पूरी तरह निरस्त कर दिया।
इसी बीच विभागीय मुख्यालय से यह सूचना भी मिली कि कानपुर की कंपनी द्वारा इस मेडिकल एजेंसी को बड़ी मात्रा में सिरप एमडीटुस की आपूर्ति की गई थी। जब इस बारे में दोबारा स्पष्टीकरण मांगा गया, तो मेडिकल संचालक ने स्वीकार किया कि दवा खरीदी गई थी और उसे अज्ञात लोगों को बेच दिया गया, लेकिन बिक्री से जुड़ा कोई रिकॉर्ड उसके पास नहीं है।
विभाग का कहना है कि सिरप एमडीटुस कोडीन से बनता है, जो नारकोटिक्स की श्रेणी में आता है और इसका उपयोग केवल डॉक्टर की सलाह पर ही किया जा सकता है। बिना परचे के इस दवा की बिक्री नशे के लिए की जाती है, जो कानूनन अपराध है। जांच में यह भी सामने आया है कि मेडिकल संचालक ने अधिक मुनाफा कमाने के उद्देश्य से लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करते हुए दवा का दुरुपयोग किया।
औषधि निरीक्षक विनय कृष्ण की ओर से रविवार को कोतवाली नानपारा में तहरीर दी गई। प्रभारी निरीक्षक राजनाथ सिंह ने बताया कि मेडिकल शर्मा मेडिकल एजेंसी के प्रोपराइटर प्रशांत शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
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खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग में तैनात औषधि निरीक्षक विनय कृष्ण को विभागीय मुख्यालय से निर्देश मिले थे कि कानपुर के मेसर्स अग्रवाल ब्रदर्स से खरीद कर नानपारा स्थित इस मेडिकल एजेंसी से बेचे गए सिरप एमडीटुस की खरीद-बिक्री की जांच करें। इसी के तहत 3 अगस्त 2025 को औषधि निरीक्षक ने शर्मा मेडिकल एजेंसी का औचक निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान मेडिकल संचालक ने दवा बिक्री से संबंधित थोक लाइसेंस तो दिखा दिया, लेकिन जब खांसी के सिरप के क्रय-विक्रय के बिल और रिकॉर्ड मांगे गए, तो वह केवल खरीद से जुड़े कुछ कागजात ही पेश कर सका। मौके पर दवा का कोई स्टॉक भी मौजूद नहीं मिला। इस पर औषधि निरीक्षक ने फार्म-35 पर निरीक्षण आख्या तैयार की, जिस पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर कराए गए।
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जांच में सामने आई अनियमितताओं को देखते हुए औषधि अनुज्ञापन प्राधिकारी, देवीपाटन मंडल गोंडा ने 19 अगस्त 2025 को मेडिकल एजेंसी को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसके जवाब में मेडिकल संचालक ने 29 अगस्त को स्पष्टीकरण भेजा, लेकिन उसमें भी जरूरी अभिलेख और बिक्री का पूरा ब्योरा नहीं दिया गया।
लगातार नियमों की अनदेखी और संतोषजनक जवाब न मिलने पर 16 सितंबर को शर्मा मेडिकल एजेंसी का औषधि लाइसेंस निलंबित कर दिया गया। इसके बाद भी जब जांच में खामियां दूर नहीं हुईं, तो 18 अक्तूबर को औषधि अनुज्ञापन प्राधिकारी ने मेडिकल का लाइसेंस पूरी तरह निरस्त कर दिया।
इसी बीच विभागीय मुख्यालय से यह सूचना भी मिली कि कानपुर की कंपनी द्वारा इस मेडिकल एजेंसी को बड़ी मात्रा में सिरप एमडीटुस की आपूर्ति की गई थी। जब इस बारे में दोबारा स्पष्टीकरण मांगा गया, तो मेडिकल संचालक ने स्वीकार किया कि दवा खरीदी गई थी और उसे अज्ञात लोगों को बेच दिया गया, लेकिन बिक्री से जुड़ा कोई रिकॉर्ड उसके पास नहीं है।
विभाग का कहना है कि सिरप एमडीटुस कोडीन से बनता है, जो नारकोटिक्स की श्रेणी में आता है और इसका उपयोग केवल डॉक्टर की सलाह पर ही किया जा सकता है। बिना परचे के इस दवा की बिक्री नशे के लिए की जाती है, जो कानूनन अपराध है। जांच में यह भी सामने आया है कि मेडिकल संचालक ने अधिक मुनाफा कमाने के उद्देश्य से लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करते हुए दवा का दुरुपयोग किया।
औषधि निरीक्षक विनय कृष्ण की ओर से रविवार को कोतवाली नानपारा में तहरीर दी गई। प्रभारी निरीक्षक राजनाथ सिंह ने बताया कि मेडिकल शर्मा मेडिकल एजेंसी के प्रोपराइटर प्रशांत शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
