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Shravasti News: मेरा जीवन बच गया, पर जीने का सहारा चला गया...
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मां व दो बच्चों को गंवाने वाले भिखारीपुरवा निवासी घनश्याम।
- फोटो : मां व दो बच्चों को गंवाने वाले भिखारीपुरवा निवासी घनश्याम।
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गिलौला(श्रावस्ती)। पत्नी झूना कुमारी की कैंसर से मौत के बाद से पूरा परिवार बदहवास था...। बेटा ओम प्रकाश (6) और बेटी नीशू (5) लगातार रो रहे थे...। इस पर मां रामजेई (65) ने बच्चों का मन बहलाने के लिए छठ पर उन्हें उनकी ननिहाल मिहींपुरवा के जसनगर गांव ले जाने का फैसला किया...। मां के कहने पर मैं बच्चों व मां को छोड़ने के लिए जसनगर गांव जा रहा था...। पता नहीं था कि ये मां व बच्चों का आखिरी सफर होगा...। मेरा जीवन तो बच गया, पर जीने का सहारा चला गया...। दर्द की ये दास्तां कहते-कहते घनश्याम गुप्ता बिलख पड़े। बहराइच के भरथापुर में हुए नाव हादसे में मां व दो बच्चों को खोने के बाद गिलौला थाना क्षेत्र के भिखारीपुरवा मसढ़ी निवासी घनश्याम पूरी तरह टूट चुके हैं।
नाव पर जगह न होने से नहीं हो सके थे सवार
घनश्याम बताया कि ननिहाल पहुंचने के बाद हादसे के दिन मां व बच्चों को लेकर वह अपनी मौसी सोनापति के घर भरथापुर जा रहे थे। नदी पार करने के लिए बच्चों व मां को नाव पर बैठा दिया, लेकिन नाविक ने नाव फुल होने की बात कहते हुए उन्हें बैठाने से मना कर दिया। नाविक ने उन लोगों को उस पार छोड़ने के बाद दोबारा आने की बात कही, लेकिन नहीं पता था कि अब कोई नहीं आएगा।
खराब है घनश्याम की माली हालत
घनश्याम ने बताया कि उनकी मां को 20 साल पहले सरकारी आवास मिला था। उसी में सभी रहते थे। परिवार चलाने के लिए वह मजदूरी करते थे और मां घर के बाहर ढाबली में छोटी सी दुकान चलाती थीं। कोटे की दुकान से मिलने वाले राशन से परिवार का गुजारा होता था। घनश्याम ने बताया कि बेटा ओमप्रकाश कक्षा दो में पढ़ता था और बेटी नीशू का भी इस बार एडमिशन करवा दिया था। घनश्याम ने बताया कि उनके पास कोई जमीन नहीं है।
दो बच्चों को अखिरी बार देखने की इच्छा
घनश्याम गुप्ता ने बताया कि पत्नी झूना की मौत के बाद दोनों बच्चे व मां ही जीने का सहारा थे, लेकिन नाव हादसे ने सभी को छीन लिया। मां का शव मिलने पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया, लेकिन बच्चों के शव अब भी नहीं मिले। अब बस दोनों बच्चों को आखिरी बार देखने की इच्छा है। घनश्याम ने बताया कि मां का शव मिलने के बाद उन्हें चार लाख रुपये की आर्थिक मदद मिली है।
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नाव पर जगह न होने से नहीं हो सके थे सवार
घनश्याम बताया कि ननिहाल पहुंचने के बाद हादसे के दिन मां व बच्चों को लेकर वह अपनी मौसी सोनापति के घर भरथापुर जा रहे थे। नदी पार करने के लिए बच्चों व मां को नाव पर बैठा दिया, लेकिन नाविक ने नाव फुल होने की बात कहते हुए उन्हें बैठाने से मना कर दिया। नाविक ने उन लोगों को उस पार छोड़ने के बाद दोबारा आने की बात कही, लेकिन नहीं पता था कि अब कोई नहीं आएगा।
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खराब है घनश्याम की माली हालत
घनश्याम ने बताया कि उनकी मां को 20 साल पहले सरकारी आवास मिला था। उसी में सभी रहते थे। परिवार चलाने के लिए वह मजदूरी करते थे और मां घर के बाहर ढाबली में छोटी सी दुकान चलाती थीं। कोटे की दुकान से मिलने वाले राशन से परिवार का गुजारा होता था। घनश्याम ने बताया कि बेटा ओमप्रकाश कक्षा दो में पढ़ता था और बेटी नीशू का भी इस बार एडमिशन करवा दिया था। घनश्याम ने बताया कि उनके पास कोई जमीन नहीं है।
दो बच्चों को अखिरी बार देखने की इच्छा
घनश्याम गुप्ता ने बताया कि पत्नी झूना की मौत के बाद दोनों बच्चे व मां ही जीने का सहारा थे, लेकिन नाव हादसे ने सभी को छीन लिया। मां का शव मिलने पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया, लेकिन बच्चों के शव अब भी नहीं मिले। अब बस दोनों बच्चों को आखिरी बार देखने की इच्छा है। घनश्याम ने बताया कि मां का शव मिलने के बाद उन्हें चार लाख रुपये की आर्थिक मदद मिली है।