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Bareilly News: जिला अस्पताल में गर्म पानी के बदले मरीजों से वसूली, एक लीटर के लिए देने पड़ रहे 10 रुपये

अमर उजाला ब्यूरो, बरेली Published by: मुकेश कुमार Updated Thu, 25 Dec 2025 03:36 PM IST
सार

बरेली के जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों से गर्म पानी मुहैया कराने के बदले वसूली की जा रही है। अमर उजाला की टीम ने बुधवार को व्यवस्था का जायजा लिया तो यह हकीकत सामने आई। कई मरीजों ने इस तरह के आरोप लगाए। 

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Patients are being charged for hot water at the district hospital in Bareilly
हार्ट वार्ड में बने रेस्पिरेटरी में भर्ती सांस संबंधी गंभीर महिला मरीज। - फोटो : संवाद
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विस्तार
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बरेली में मरीजों की सांसों पर सर्दी भारी पड़ रही है। जिला अस्पताल में गर्म पानी मुहैया कराने के बदले मरीजों से वसूली की जा रही है। सांस और विंटर डायरिया की चपेट में आए मरीजों को एक लीटर गर्म पानी के लिए दस रुपये देने पड़ रहे हैं। अस्पताल में मरीजों को मिलने वाला भोजन भी बेस्वाद है। कई मरीज घर से खाना मंगा रहे हैं। अमर उजाला की टीम ने बुधवार को व्यवस्था का जायजा लिया तो यह हकीकत सामने आई।

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इमरजेंसी वार्ड में भर्ती विंटर डायरिया से पीड़ित रविंद्र पाल सिंह के तीमारदार ने बताया कि डॉक्टर ने दवा समेत गुनगुना पानी पिलाने का सुझाव दिया है। स्टाफ ने गर्म पानी की व्यवस्था से इन्कार कर दिया। अब कैंटीन में दस रुपये देकर पानी गर्म करवा रहे हैं। गले के संक्रमण से पीड़ित बाकरगंज के कटघर निवासी मरीज ने बताया कि दोपहर में मिला खाना बेस्वाद था। उसे चखकर पास में टेबल पर रख दिया। बाद में घर से भोजन मंगाना पड़ा।
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गुनगुने पानी से नियंत्रित होता है शरीर का तापमान 
जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आरके गुप्ता के मुताबिक, मनुष्य के शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। इस वक्त दिन-रात का औसत पारा करीब 16 डिग्री दर्ज हो रहा है। यह हमारे शरीर के तापमान के आधे से भी कम है। लिहाजा, शरीर का तापमान नियंत्रित रखने के लिए अतिरिक्त गर्मी की पूर्ति गुनगुना पानी करता है। 

विंटर डायरिया, सांस संबंधी अन्य रोगों की अहम वजह शरीर का असंतुलित तापमान होता है। अगर स्वस्थ व्यक्ति गुनगुने पानी का सेवन करें तो बैक्टीरिया के संक्रमण से बचाव होगा। गुनगुना पानी पीने से मरीजों के जल्द स्वस्थ होने की उम्मीद रहती है। 

धुंध से नसों पर चिपक रही धूल संक्रमण की वजह
चेस्ट फिजिशियन डॉ. हरपाल सिंह के मुताबिक, सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के मरीज बढ़े हैं। गले में संक्रमण के भी सौ मरीज रोज पहुंच रहे हैं। जब घना कोहरा होता है तो धूल के कण हवा में तैरते रहते हैं। इससे धुंध होती है। ये कण सांस के साथ फेफडों और नसों पर चिपक जाते हैं। इससे संक्रमण होता है। नसों के सिकुड़ने से सांस फूलने की समस्या होती है। गुनगुना पानी पीने से गले में संक्रमण, हृदय और मस्तिष्क संबंधी रोगों की आशंका नहीं रहती।

पतले कंबल में ठिठुरते गुजर रही रात
मरीज वसीम ने बताया कि एक पतले से कंबल में रात ठिठुरते हुए गुजरी। गर्म पानी मांगा तो स्टाफ ने पहले मना किया, फिर बाहर से लाने का सुझाव दिया। खाना भी खाया नहीं जा सका। तीमारदार राजकुमारी ने बताया कि मां को सांस की समस्या है। डॉक्टर ने गुनगुना पानी पिलाने के लिए कहा है। कैंटीन से दस रुपये में एक लीटर पानी गर्म करवाकर पिला रही हूं।

प्रभारी एडी एसआईसी डॉ. अजय मोहन ने बताया कि कोल्ड वेव रूम में भर्ती मरीजों काे ही गर्म पानी दिए जाने की व्यवस्था है। इमरजेंसी या अन्य वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए गर्म पानी की व्यवस्था नहीं है। सर्दियों में गर्म पानी जरूरी है। इसके लिए अलग से व्यवस्था कराई जाएगी।

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