Bareilly News: कड़ाके की सर्दी में बच्चों पर हो रहा निमोनिया-कोल्ड डायरिया का हमला, जानिए बचाव के उपाय
बरेली में कड़ाके की सर्दी और शीतलहर का प्रकोप जारी है। ऐसे मौसम में बच्चों की सेहत का विशेष ध्यान रखें। बच्चे निमोनिया और कोल्ड डायरिया की चपेट में आ रहे हैं। बुधवार को ओपीडी के दौरान इलाज को जिला अस्पताल पहुंचे पांच बच्चों में से दो की हालत गंभीर होने पर उन्हें भर्ती किया गया।
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कड़ाके की सर्दी में देखभाल में बेपरवाही से बच्चों की तबियत बिगड़ रही है। जिला अस्पताल में भर्ती 12 बच्चों में सात कोल्ड डायरिया और पांच निमोनिया की चपेट में मिले। बाल रोग विशेषज्ञ के मुताबिक परिजन समय पर चेत जाते तो बच्चे गंभीर बीमारियों से बच सकते थे।
बरेली में बुधवार को ओपीडी के दौरान इलाज को जिला अस्पताल पहुंचे पांच बच्चों में से दो की हालत गंभीर होने पर उन्हें भर्ती किया गया। एक बच्चे में निमोनिया और एक में कोल्ड डायरिया की पुष्टि हुई है। दो सप्ताह से चल रही शीतलहर से गलन बढ़ गई है। ठिठुरते बच्चों पर कई बीमारियां हमलावर हो रही हैं।
अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार एक दिसंबर से बुधवार तक कोल्ड डायरिया के 22 बच्चे और निमोनिया के चपेट में रहे। इनमें से 12 बच्चे भर्ती हो चुके हैं। वरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ डॉ. करमेंद्र के मुताबिक इस मौसम में बच्चों की सेहत का ख्याल रखना जरूरी है।
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सर्दी, गलन की अधिकता से वायरल बुखार, जुकाम, खांसी की चपेट में आने की आशंका रहती है। बच्चों, बुजुर्गों में शुरुआती दौर में ही इलाज मिल जाए तो निमोनिया से बचाव हो जाता है। लेटलतीफी से छाती में बलगम भरने लगता है। जो अनदेखी से निमोनिया बन जाता है।
बच्चों की सांस फूलने लगे तो इलाज में देर न करें
डॉ. करमेंद्र के मुताबिक इम्यूनिटी कम होने की वजह से बच्चों में सर्दी, खांसी होना आम है। पर इन बीमारियों के साथ तेज बुखार हो और पसीना निकले, सांस फूलने लगे, बच्चा रात में सो न सके, सूखी खांसी आए या दस्त होने लगे, उल्टी हो तो बिल्कुल भी देर न करें। डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि यह निमोनिया और कोल्ड डायरिया का संकेत है।
हालत बिगड़े तो पहुंचे अस्पताल
केस 1- बेनीपुर चौधरी निवासी रामनिवास का एक साल के बेटे में निमोनिया की पुष्टि हुई है। पिता के मुताबिक करीब सप्ताह भर से हल्की खांसी, बुखार था। स्थानीय मेडिकल स्टोर से सिरप दे रहे थे। दो दिन पहले हालत बिगड़ी तो जिला अस्पताल पहुंचे।
पांच दिन से थी सूखी खांसी
केस 2- कांधरपुर की मीना देवी की आठ वर्षीय बेटी लक्ष्मी को पांच दिन से सूखी खांसी थी और सांस फूल रही थी। परिजन मेडिकल स्टोर से पैरासिटामॉल टैबलेट और कफ सिरप दे रहे थे। हालत बिगड़ी तो जिला अस्पताल पहुंचे। यहां पर निमोनिया की पुष्टि हुई है।
स्थानीय चिकित्सक से ली दवा
केस 3- करगैना निवासी प्रीति के छह वर्षीय बेटा निमोनिया की चपेट में है। परिजन के मुताबिक बेटा दूध नहीं पी रहा था। बुखार और सर्दी थी। स्थानीय चिकित्सक को दिखाकर दवा ली पर कोई सुधार नहीं हुआ। अब निमोनिया का पता चला है। दवा चल रही है।
बचाव के उपाय
- सर्दी, खांसी है तो नाक, मुंह ढंकने के लिए रूमाल का प्रयोग करें।
- भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। हाथ धोते रहें।
- गुनगुना पानी, तरल पदार्थ का सेवन करें। पौष्टिक आहार लें।
- बच्चों, बुजुर्गों को ठंड से बचाएं। तबियत बिगड़े तो डॉक्टर को दिखाएं।
सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह ने बताया कि एचएमपीवी के मामले देश में मिले हैं, लेकिन जिले में अभी कोई मरीज नहीं मिला है। अगर कोई मरीज मिलेगा तो बेहतर इलाज के इंतजाम हैं। संदिग्ध निमोनिया, कोल्ड डायरिया के चपेट में जो बच्चे मिल रहे हैं, उनका इलाज हो रहा है। घबराने की जरूरत नहीं है।
