Bareilly News: तहेरे भाइयों समेत एक ही परिवार के सात लोगों को उम्रकैद, जमीन के विवाद में की थी किसान की हत्या
बरेली में किसान की हत्या के मामले में कोर्ट ने सात दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सभी दोषियों पर 55-55 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया। इन लोगों ने 19 मई 2021 को किसान की हत्या कर दी थी।
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बरेली में अपर सत्र न्यायाधीश (कोर्ट संख्या तीन) अभि श्रीवास्तव ने शीशगढ़ थाना क्षेत्र के गांव मोहम्मदपुर निवासी किसान सुरेंद्र पाल सिंह की हत्या में दोषी उनके तहेरे भाई सुखदेव, वेद प्रकाश समेत एक ही परिवार के सात लोगों को आजीवन कारावास और 55-55 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जमीन को लेकर चल रहे विवाद में 19 मई 2021 को दावत से लौटते वक्त सरेशाम कुल्हाड़ी और हथौड़े से हमला कर सुरेंद्र की हत्या कर दी गई थी।
जसपाल सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके चाचा सुरेंद्र 19 मई 2021 को शाम छह बजे गांव के थान सिंह राजपूत के घर से दावत खाकर लौट रहे थे। रास्ते में सुरेंद्र के तहेरे भाई सुखदेव, वेद प्रकाश, धर्मेंद्र, मुनेंद्र, जितेंद्र (तीनों वेद प्रकाश के बेटे), सुखदेव के बेटे रवि व संजीव ने उनको रास्ते में घेर लिया। सुरेंद्र पर तलवार, कुल्हाड़ी, हथौड़े से हमला कर दिया और फायरिंग करते हुए भाग गए। परिजन सुरेंद्र को शेरगढ़ सीएचसी ले गए। वहां से जिला अस्पताल ले जाते समय सुरेंद्र की रास्ते में मौत हो गई।
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विवेचना के बाद पुलिस ने 17 अगस्त 2021 को चार्जशीट दाखिल कर दी। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 11 गवाह पेश किए। सुनवाई पूरी करने के बाद कोर्ट ने 18 दिसंबर को सुखदेव, वेदप्रकाश, धर्मेंद्र, मुनेंद्र और जितेंद्र को दोषी करार दिया था। रवि और संजीव कोर्ट में पेश नहीं हुए तो दोनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया। 22 दिसंबर को पुलिस ने गिरफ्तार कर दोनों को कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने रवि और संजीव को भी दोषी करार दिया। कोर्ट ने बुधवार को सातों दोषियों को उम्रकैद और 55-55 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
चार बीघा जमीन पर 20 साल से थी रार
चार बीघा जमीन को लेकर सुरेंद्र और सुखदेव के बीच 20 साल से ठनी थी। कई बार मारपीट भी हुई। पांच मुकदमे भी लिखे गए, लेकिन विवाद सुरेंद्र की मौत के बाद भी नहीं निपटा। सुरेंद्र की हत्या का दोषी उसका तहेरा भाई सुखदेव पेशे से वकील है। सुरेंद्र की किच्छा नदी के पास चार बीघा जमीन थी। नदी की धारा बदलने पर यह जमीन बाहर आ गई। सुरेंद्र के तहेरे भाई सुखदेव ने उस पर कब्जा कर लिया। कुछ अन्य लोगों की जमीन भी उसने जोत ली थी। सुखदेव वकालत के पेशे से जुड़ा था। ऐसे में सुरेंद्र की शिकायतों पर कार्रवाई नहीं होने देता था।
सुरेंद्र और उसके भाई महेंद्र ने बार काउंसिल ऑफ यूपी में सुखदेव का रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की मांग भी की थी। अन्य लोग भी सुखदेव की शिकायत करते रहे। इस दौरान वर्ष 1997, 2007, 2010, 2020 और 2021 में दोनों पक्षों में संघर्ष के बाद मुकदमे दर्ज हुए। गांव के सात अन्य लोगों की जमीन भी सुखदेव जोत रहा था। ये लोग भी शिकायतें कर रहे थे। इसके बावजूद सुखदेव के रसूख के चलते उनकी जमीन कब्जा मुक्त नहीं हो सकी। इसी विवाद में सुरेंद्र की हत्या कर दी गई।
