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विश्व अल्जाइमर दिवसः युवाओं को भी भुलक्कड़ बना रहा है तनाव
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प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : Pixabay
आमतौर पर 70 पार के बुजुर्गों को होने वाली बीमारी की चपेट में अब आ रहे 40 की उम्र के लोग भी
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महिलाओं की तुलना में पुरुष अल्जाइमर के ज्यादा शिकार
बरेली। भूलने की बीमारी अल्जाइमर आमतौर पर 70 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को होती है लेकिन बदलती जीवन शैली और तनाव की वजह से अब 40 की उम्र के लोग भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। पीड़ितों में पुरुषों की तादाद ज्यादा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि शुरू में बीमारी का पता चल जाए तो इलाज मुमकिन है, देर होने पर मुश्किलें भी बढ़ने लगती हैं।
जिला अस्पताल मनकक्ष के मनोचिकित्सक डॉ. आशीष के मुताबिक अल्जाइमर भूलने की बीमारी है। इसके मरीज कहीं कुछ रखकर भूल जाते हैं, थोड़ी देर पहले कही बातें भी उन्हें याद नहीं रहती हैं। पहले यह बीमारी 70 पार के बुजुर्गों में होती थी लेकिन अब तनाव से भरी जीवनशैली की वजह से कम उम्र के लोग भी चपेट में आ रहे हैं। शुरुआत में लोग इसे सामान्य समझकर ध्यान नहीं देते लेकिन जब बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है तो लंबा इलाज कराना पड़ता है। मनकक्ष में हर महीने औसतन 35 अल्जाइमर के मरीज पहुंचते हैं जिसमें बुजुर्गों की संख्या ज्यादा होती है।
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मनोविज्ञानी खुशअदा ने बताया कि भूलने की बीमारी दिमाग से जुड़ी होती है। मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने से लोगों में यह बीमारी होती है। व्यक्ति धीरे-धीरे याददाश्त खोने लगता है। अब तक बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं मिला है। जीवनशैली में बदलाव कर कुछ हद तक इस बीमारी से बचा जा सकता है। बीमारी के शुरुआती लक्षणों पर बेहद ध्यान देने की जरूरत होती है।
शिविर में पहुंचे सवा सौ से ज्यादा लोग
सोमवार को अल्जाइमर दिवस पर जिला अस्पताल के मनकक्ष में आयोजित शिविर में सवा सौ से ज्यादा लोग इलाज के लिए पहुंचे। काउंसलिंग कर उन्हें दवाएं दी गईं। शिविर में बताया गया कि भूलने के अलावा रात में नींद न आना, आंखों की रोशनी कम होने लगना, छोटे-छोटे कामों में परेशानी होना, परिवार के सदस्यों को न पहचान पाना, डिप्रेशन में रहना, घबराहट आदि भी अल्जाइमर के लक्षण हैं।

महिलाओं की तुलना में पुरुष अल्जाइमर के ज्यादा शिकार बरेली। भूलने की बीमारी अल्जाइमर आमतौर पर 70 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को होती है लेकिन बदलती जीवन शैली और तनाव की वजह से अब 40 की उम्र के लोग भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। पीड़ितों में पुरुषों की तादाद ज्यादा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि शुरू में बीमारी का पता चल जाए तो इलाज मुमकिन है, देर होने पर मुश्किलें भी बढ़ने लगती हैं।
जिला अस्पताल मनकक्ष के मनोचिकित्सक डॉ. आशीष के मुताबिक अल्जाइमर भूलने की बीमारी है। इसके मरीज कहीं कुछ रखकर भूल जाते हैं, थोड़ी देर पहले कही बातें भी उन्हें याद नहीं रहती हैं। पहले यह बीमारी 70 पार के बुजुर्गों में होती थी लेकिन अब तनाव से भरी जीवनशैली की वजह से कम उम्र के लोग भी चपेट में आ रहे हैं। शुरुआत में लोग इसे सामान्य समझकर ध्यान नहीं देते लेकिन जब बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है तो लंबा इलाज कराना पड़ता है। मनकक्ष में हर महीने औसतन 35 अल्जाइमर के मरीज पहुंचते हैं जिसमें बुजुर्गों की संख्या ज्यादा होती है।
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मनोविज्ञानी खुशअदा ने बताया कि भूलने की बीमारी दिमाग से जुड़ी होती है। मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने से लोगों में यह बीमारी होती है। व्यक्ति धीरे-धीरे याददाश्त खोने लगता है। अब तक बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं मिला है। जीवनशैली में बदलाव कर कुछ हद तक इस बीमारी से बचा जा सकता है। बीमारी के शुरुआती लक्षणों पर बेहद ध्यान देने की जरूरत होती है।