ग्राउंड रिपोर्ट: नीति आयोग का पता न रैंकिंग का...महिला प्रधान संभाल रहीं गृहस्थी; जानें ग्राम पंचायतों का सच
Bhadohi News: औराई ब्लॉक की महिला प्रधान चुनाव के बाद भी घर की जिम्मेदारी संभालने में ही अपना दिन काटती चली आ रही हैं। अमर उजाला की ग्राउंड रिपोर्ट में चाैंकाने वाले कई तथ्य सामने आए। सबसे बड़ी बात यह है कि इन महिलाओं को नीति आयोग की जानकारी ही नहीं है।
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Ground Report: तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है...अदम गोंडवी की ये कविता भदोही की औराई ब्लॉक पर सटीक बैठती है। नीति आयोग की इसी जुलाई में जारी रैंकिंग में औराई को देश में 22वां और प्रदेश में पहला स्थान मिला है मगर इस ब्लॉक की महिला प्रधानों को न तो नीति आयोग के बारे में पता है और न ही रैंकिंग का।
वे कहती हैं, प्रधानी का कामकाज उनके पति और बेटे संभालते हैं जहां जरूरत पड़ती है वहां जाती हूं। घर की जिम्मेदारी भी संभालनी पड़ती है। बसंतापुर पटखौली की ग्राम प्रधान मालती देवी नीति आयोग और मेरी पंचायत एप के नाम पर चुप्पी साध लेती हैं।
घर-गृहस्थी और प्रधानी के बीच सामंजस्य के सवाल पर कहती हैं, घर बहू-बेटी संभालती हैं जहां उनकी जरूरत होती है, वह वहां जाती हैं। बाकी कामकाज उनका बेटा सूरज संभालता है।
औराई ब्लॉक में सर्वाधिक वोटों से जीत हासिल करने वाली हुसैनीपुर की प्रधान नीतू भी कई सवालों पर चुप रहती हैं। पति की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं कि वही सारा कामकाज संभालते हैं। पिछले चार साल में कराए गए कार्यों पर वह सिर्फ इंटरलॉकिंग और पाइप लाइन के ही काम बता पाईं। कहती हैं कि बैठकों में पति के साथ जाती हैं।
गांव पुरुषोत्तमपुर की प्रधान चंदा देवी कहती हैं, वह गृहिणी हैं। घर-परिवार की जिम्मेदारी है। पति पूर्व प्रधान हैं। वह अपने पति के साथ ही ब्लॉक में होने वाली बैठकों में जाती हैं। पति ही उनका काम संभालते हैं। नीति आयोग और मेरी पंचायत मोबाइल एप से अनभिज्ञ चंदा देवी कहती हैं कि पंचायत में नाला, नाली निर्माण, पंचायत भवन, खड़ंजा जैसे कई विकास कार्य कराए हैं। गांव जयरामपुर की प्रधान रेखा देवी से पहले उनके परिवार के दो सदस्य प्रधान रह चुके हैं। कहती हैं, परिवार बड़ा और संयुक्त है इसलिए वह घर से बाहर ज्यादा नहीं जाती हैं।
महिला प्रधानों को एंड्रायड मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जाता है। कुछ महिला प्रधान कम पढ़ी-लिखी हैं, उनके साथ सामंजस्य में समस्या आती है। वह मुख्यालय पर बैठक में पतियों के साथ शामिल होती हैं। - दिलीप कुमार पासी, बीडीओ, औरा
दिन भर घर में रहेलीन, ऊ का बात करीहन, बोल भी न पइहन
12 महिला ग्राम प्रधानों से मोबाइल फोन पर संपर्क किया गया मगर उनके प्रतिनिधियों ने ही फोन उठाया। इनमें से सिर्फ चार महिला प्रधानों के प्रतिनिधि ही बात कराने के लिए तैयार हो सके। अन्य महिला प्रधानों के प्रतिनिधियों का सीधा कहना था कि उन्हें कुछ न पता होई, सब कामकाज हम लोग ही करिला। दिन भर घर में रहेलीन, ऊ का बात करीहन, बोल भी न पइहन।
दावों से उलट है गांवों की तस्वीर
नीति आयोग के आकांक्षी विकासखंड कार्यक्रम के तहत औराई ब्लॉक में पांच बिंदुओं स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कृषि संबद्ध सेवाएं, आधारभूत संरचना और सामाजिक विकास के क्षेत्र में काम कराए गए। बेहतर काम करने पर औराई को एक करोड़ रुपये का पुरस्कार मिला है, लेकिन ग्राम पंचायतों की जमीनी हकीकत इससे जुदा है।
बारीगांव चकजोधी के पंचायत भवन में लाइब्रेरी के नाम पर अलमारी में दो-चार पुरानी किताबें रखी हैं। आदर्श तालाब में नाम मात्र का पानी था। गांव जयरामपुर में इंटरलॉकिंग सड़क पर कीचड़ और नाली का पानी बह रहा है। गांव का गंदा पानी एक तालाब में जा रहा जिससे तालाब अपना अस्तित्व खो चुका है।