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Budaun News: शुक्र अस्त होते ही कल से विवाह समेत मांगलिक कार्यों पर लग जाएगा विराम
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पं. गिरीश शर्मा
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बदायूं। 15 दिसंबर से खरमास प्रारंभ हो रहा है, जो 14 जनवरी 2026 तक रहेगा। इसके साथ ही वर्तमान में वैवाहिक कार्य में विशेष स्थान रखने वाले शुक्र देव 11 दिसंबर को ही अस्त हो जाएंगे। इसलिए इस बार 11 दिसंबर के बाद वैवाहिक समेत सभी मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
ज्योतिषविद पं. गिरीश शर्मा ने बताया कि सूर्यदेव की धनु राशि के अंतर्गत गोचरीय गति को खरमास कहा जाता है। सूर्यदेव वृश्चिक राशि से धनु राशि में 15/16 दिसंबर को 28:19 बजे पर प्रवेश करेंगे। 14 जनवरी 2026 को 15:06 बजे तक यही स्थिति रहेगी। खरमास की अवधि को अशुभ योग माना जाता है। इसलिए इस अवधि में भी विवाह आदि मांगलिक कार्य करना निषेध होता है। सूर्यदेव जब धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे तब ये योग भंग हो जाएगा और फिर से विवाह आदि सभी शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।
खरमास में निषेध कार्य
वैवाहिक कार्य, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, जनेऊ संस्कार, नवीन व्यापार प्रारंभ करना, सोना-चांदी, वाहन आदि बहुमूल्य वस्तु क्रय करना, मकान व जमीन आदि क्रय करना शामिल हैं।
धार्मिक मान्यता
इस मास में मृत्यु को भी अशुभ माना जाता है। इसके उपायों के लिए सूर्य उपासना में उगते सूर्यदेव को जल अर्पित करना, सूर्य चालीसा पढ़ना, आदित्य हृदय स्रोत का पाठ करना, सूर्य देव के मंत्र से जप-हवन करना, पुरुष सूक्त का पाठ/ पूजन करना चाहिए। पठन-पाठन, कथा श्रवण आदि सभी कार्य अति कल्याणकारी सिद्ध होते हैं। इसी माह पौष संक्रांति भी है। इसमें पुण्यकाल अगले दिन 16 दिसंबर को प्रात: से दिन में 10:43 बजे तक रहेगा। इसमें चावल, गुड़, तिल, गर्म कपड़े स्वेटर,जूता-चप्पल आदि का दान कल्याणकारी है। पौष संक्रांति पर दान 86 हजार गुना अधिक शुभ और कल्याणकारी सिद्ध होता है। इस बीच सुफला एकादशी की शुभ तिथि भी कल्याणकारी है।
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ज्योतिषविद पं. गिरीश शर्मा ने बताया कि सूर्यदेव की धनु राशि के अंतर्गत गोचरीय गति को खरमास कहा जाता है। सूर्यदेव वृश्चिक राशि से धनु राशि में 15/16 दिसंबर को 28:19 बजे पर प्रवेश करेंगे। 14 जनवरी 2026 को 15:06 बजे तक यही स्थिति रहेगी। खरमास की अवधि को अशुभ योग माना जाता है। इसलिए इस अवधि में भी विवाह आदि मांगलिक कार्य करना निषेध होता है। सूर्यदेव जब धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे तब ये योग भंग हो जाएगा और फिर से विवाह आदि सभी शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।
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खरमास में निषेध कार्य
वैवाहिक कार्य, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, जनेऊ संस्कार, नवीन व्यापार प्रारंभ करना, सोना-चांदी, वाहन आदि बहुमूल्य वस्तु क्रय करना, मकान व जमीन आदि क्रय करना शामिल हैं।
धार्मिक मान्यता
इस मास में मृत्यु को भी अशुभ माना जाता है। इसके उपायों के लिए सूर्य उपासना में उगते सूर्यदेव को जल अर्पित करना, सूर्य चालीसा पढ़ना, आदित्य हृदय स्रोत का पाठ करना, सूर्य देव के मंत्र से जप-हवन करना, पुरुष सूक्त का पाठ/ पूजन करना चाहिए। पठन-पाठन, कथा श्रवण आदि सभी कार्य अति कल्याणकारी सिद्ध होते हैं। इसी माह पौष संक्रांति भी है। इसमें पुण्यकाल अगले दिन 16 दिसंबर को प्रात: से दिन में 10:43 बजे तक रहेगा। इसमें चावल, गुड़, तिल, गर्म कपड़े स्वेटर,जूता-चप्पल आदि का दान कल्याणकारी है। पौष संक्रांति पर दान 86 हजार गुना अधिक शुभ और कल्याणकारी सिद्ध होता है। इस बीच सुफला एकादशी की शुभ तिथि भी कल्याणकारी है।
