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Bulandshahar News: डॉल्फिन के संरक्षण के लिए लगेंगे फिंगर यंत्र
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नरौरा के पास गंगा मेंं विचरण करती डॉल्फिन। स्रोत: विभाग
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बुलंदशहर। डॉल्फिन के संरक्षण के लिए नई पहल होने जा रही है। इसके तहत गंगा में फिंगर यंत्र लगाए जाएंगे। इससे डॉल्फिन न तो नरौरा बैराज को पार कर पाएंगी और न ही गंगा से निकलने वाली नहरों में प्रवेश करेंगी। खास बात यह कि इन यंत्रों के माध्यम से डॉल्फिन की गतिविधियों पर नजर भी रखी जा सकेगी। ऐसा होने पर इनकी संख्या में भी इजाफा होगा।
गांगेय डॉल्फिन विश्व में पाई जाने वाली डॉल्फिन की दुर्लभ प्रजातियों में से एक है। वर्ष 2009 में केंद्र सरकार ने डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था। मेरी गंगा मेरी सूंस अभियान के तहत गंगा में बिजनौर से नरौरा तक करीब 225 किलोमीटर क्षेत्र में डॉल्फिन की गिनती की जाती है।
गंगा के इस क्षेत्र को रामसर साइट के नाम से भी जाना जाता है। पिछले दिनों की गई गिनती में यहां 33 डॉल्फिन दिखी थीं।
इन्हें पानी में पांच मीटर तक गहराई में रहना पसंद है। उथले पानी में इनकी जान पर बन आती है। इसी को देखते हुए वन विभाग और वर्ल्ड वाइल्ड फाउंडेशन ने इनके संरक्षण के लिए कई पहल की हैं। इस कड़ी में अब नरौरा बैराज व नहरों में डॉल्फिन को जाने से रोकने के लिए फिंगर यंत्र लगाए जाएंगे।
इसके लिए हाल ही में वन विभाग और वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फाउंडेशन ने मिलकर गंगा का सर्वे किया है। कितने स्थानों पर ये यंत्र लगाए जाएंगे, अब इसको लेकर मंथन चल रहा है।
डीएफओ बुलंदशहर डा. हरेंद्र सिंह का कहना है कि गंगा में डॉल्फिन के संरक्षण के लिए लगाए जाने वाले फिंगर यंत्र के लिए सर्वे किया जा चुका है। इसमें वन विभाग के साथ वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फाउंडेशन का विशेष सहयोग रहेगा। जल्द यंत्र लगाए जाएंगे। इसके लिए लगभग सभी तैयारियां हो चुकी हैं।
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गांगेय डॉल्फिन विश्व में पाई जाने वाली डॉल्फिन की दुर्लभ प्रजातियों में से एक है। वर्ष 2009 में केंद्र सरकार ने डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था। मेरी गंगा मेरी सूंस अभियान के तहत गंगा में बिजनौर से नरौरा तक करीब 225 किलोमीटर क्षेत्र में डॉल्फिन की गिनती की जाती है।
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गंगा के इस क्षेत्र को रामसर साइट के नाम से भी जाना जाता है। पिछले दिनों की गई गिनती में यहां 33 डॉल्फिन दिखी थीं।
इन्हें पानी में पांच मीटर तक गहराई में रहना पसंद है। उथले पानी में इनकी जान पर बन आती है। इसी को देखते हुए वन विभाग और वर्ल्ड वाइल्ड फाउंडेशन ने इनके संरक्षण के लिए कई पहल की हैं। इस कड़ी में अब नरौरा बैराज व नहरों में डॉल्फिन को जाने से रोकने के लिए फिंगर यंत्र लगाए जाएंगे।
इसके लिए हाल ही में वन विभाग और वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फाउंडेशन ने मिलकर गंगा का सर्वे किया है। कितने स्थानों पर ये यंत्र लगाए जाएंगे, अब इसको लेकर मंथन चल रहा है।
डीएफओ बुलंदशहर डा. हरेंद्र सिंह का कहना है कि गंगा में डॉल्फिन के संरक्षण के लिए लगाए जाने वाले फिंगर यंत्र के लिए सर्वे किया जा चुका है। इसमें वन विभाग के साथ वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फाउंडेशन का विशेष सहयोग रहेगा। जल्द यंत्र लगाए जाएंगे। इसके लिए लगभग सभी तैयारियां हो चुकी हैं।