{"_id":"694d840008ee3c95a806ea88","slug":"now-dishes-made-from-shrianna-will-be-available-in-hotels-and-dhabas-too-chitrakoot-news-c-215-1-sknp1043-124854-2025-12-26","type":"story","status":"publish","title_hn":"Chitrakoot News: अब होटलों और ढाबों में भी श्रीअन्न से बने व्यंजन मिलेंगे","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Chitrakoot News: अब होटलों और ढाबों में भी श्रीअन्न से बने व्यंजन मिलेंगे
विज्ञापन
विज्ञापन
फोटो नंबर- 6-
किसानों को अच्छी आमदनी व सेहत के लिए श्रीअन्न उपयोगी
सरकारी बैठकों में भी श्रीअन्न से बने व्यंजन परोसने के निर्देश
संवाद न्यूज एजेंसी
चित्रकूट। मोटे अनाज से बनी खाद्य सामग्री स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ किसानों के लिए भी फायदेमंद है। इस अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए शासन स्तर से प्रयास जारी हैं। अब जिले में भी सभी होटल व ढाबों को निर्देश जारी किए गए हैं कि अपने मेन्यू में इस अनाज से बने व्यंजन को शामिल करें।
जिले में श्रीअन्न ज्वार, बाजरा, कोदो(चावल), सावा (चावल), रागी(आटा) से खीर लड्डू, रोटी बनती है। जिले में इसका बहुत कम उत्पादन होता है। इसके पीछे का कारण बताया गया कि किसानों को इसका बाजार व सही दाम नहीं मिलता। इस कारण श्रीअन्न की फसलों का उत्पादन करने से किसान कतराता है। जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ. आरबी लाल बताते हैं कि श्रीअन्न का प्रयोग करने से स्वास्थ्य में अच्छा प्रभाव रहता है। यह पाचक व ताकतवर भी होता है।
खासकर बच्चों को शुरु से ही श्रीअन्न से बने व्यंजन व भोजन देने का प्रयास करना चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र, गनीवा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विजय गौतम व अंतरराष्ट्रीय अर्ध-शुष्क संस्थान (इक्रीसेट), हैदराबाद के वैज्ञानिक डॉ. अशोक शुक्ला ने किसानों के प्रशिक्षण में बताया कि श्रीअन्न के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए। इसका उत्पादन कम लागत मेंं होता है और अच्छा दाम मिलता है। धीरे धीरे इसे बढावा देना चाहिए। बुंदेलखंड की धरती श्रीअन्न के उत्पादन के लिए अच्छी भी मानी जाती है।
अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के कृषि विशेषज्ञ विजय सिंह ने बताया कि श्रीअन्न का पहले बुंदेलखंड क्षेत्र में बहुत प्रयोग होता था। अब रासायनिक खादों के बढते प्रयोग के कारण और कम समय में ज्यादा फायदा के लालच में किसान इसकी खेती से मोह भंग कर रहा है। क्षेत्र में इसकी अच्छी बाजार भी नहीं है। इसलिए इसका उत्पादन कम है। इसको हर हाल में बढावा मिलना चाहिए। इसी को लेकर डीएम पुलकित गर्ग ने बढावा देने के लिए स्वयं सहायता समूह,किसानों व अन्य संस्थाओं का हौसला बढाया। कहा कि श्रीअन्न के बने व्यंजन के लाभ सबको बताएं और बाजार में उपलब्ध कराकर इसको बढावा दें।
डीएम ने बताया कि तहसील एवं ब्लॉक परिसरों में मिलेट्स आधारित कैंटीन स्थापित किए जाएं। साथ ही उप कृषि निदेशक को निर्देशित किया कि जनपद स्तर पर आयोजित बैठकों में मिलेट्स से बने बिस्किट, नमकीन एवं अन्य उत्पादों का ही उपयोग सुनिश्चित किया जाए। कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) के किसानों को अधिकाधिक मिलेट्स की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए।जिले में श्रीअन्न ज्वार, बाजरा परिषदीय विद्यालयों में सप्ताह में एक दिन मिड-डे-मील में मिलेट्स को अनिवार्य रूप से सम्मिलित कराया जाए। सभी होटल लॉज व ढाबों में भी इसके बने व्यंजनों को मेन्यू में शामिल कराएं।
Trending Videos
किसानों को अच्छी आमदनी व सेहत के लिए श्रीअन्न उपयोगी
सरकारी बैठकों में भी श्रीअन्न से बने व्यंजन परोसने के निर्देश
संवाद न्यूज एजेंसी
चित्रकूट। मोटे अनाज से बनी खाद्य सामग्री स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ किसानों के लिए भी फायदेमंद है। इस अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए शासन स्तर से प्रयास जारी हैं। अब जिले में भी सभी होटल व ढाबों को निर्देश जारी किए गए हैं कि अपने मेन्यू में इस अनाज से बने व्यंजन को शामिल करें।
जिले में श्रीअन्न ज्वार, बाजरा, कोदो(चावल), सावा (चावल), रागी(आटा) से खीर लड्डू, रोटी बनती है। जिले में इसका बहुत कम उत्पादन होता है। इसके पीछे का कारण बताया गया कि किसानों को इसका बाजार व सही दाम नहीं मिलता। इस कारण श्रीअन्न की फसलों का उत्पादन करने से किसान कतराता है। जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ. आरबी लाल बताते हैं कि श्रीअन्न का प्रयोग करने से स्वास्थ्य में अच्छा प्रभाव रहता है। यह पाचक व ताकतवर भी होता है।
विज्ञापन
विज्ञापन
खासकर बच्चों को शुरु से ही श्रीअन्न से बने व्यंजन व भोजन देने का प्रयास करना चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र, गनीवा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विजय गौतम व अंतरराष्ट्रीय अर्ध-शुष्क संस्थान (इक्रीसेट), हैदराबाद के वैज्ञानिक डॉ. अशोक शुक्ला ने किसानों के प्रशिक्षण में बताया कि श्रीअन्न के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए। इसका उत्पादन कम लागत मेंं होता है और अच्छा दाम मिलता है। धीरे धीरे इसे बढावा देना चाहिए। बुंदेलखंड की धरती श्रीअन्न के उत्पादन के लिए अच्छी भी मानी जाती है।
अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के कृषि विशेषज्ञ विजय सिंह ने बताया कि श्रीअन्न का पहले बुंदेलखंड क्षेत्र में बहुत प्रयोग होता था। अब रासायनिक खादों के बढते प्रयोग के कारण और कम समय में ज्यादा फायदा के लालच में किसान इसकी खेती से मोह भंग कर रहा है। क्षेत्र में इसकी अच्छी बाजार भी नहीं है। इसलिए इसका उत्पादन कम है। इसको हर हाल में बढावा मिलना चाहिए। इसी को लेकर डीएम पुलकित गर्ग ने बढावा देने के लिए स्वयं सहायता समूह,किसानों व अन्य संस्थाओं का हौसला बढाया। कहा कि श्रीअन्न के बने व्यंजन के लाभ सबको बताएं और बाजार में उपलब्ध कराकर इसको बढावा दें।
डीएम ने बताया कि तहसील एवं ब्लॉक परिसरों में मिलेट्स आधारित कैंटीन स्थापित किए जाएं। साथ ही उप कृषि निदेशक को निर्देशित किया कि जनपद स्तर पर आयोजित बैठकों में मिलेट्स से बने बिस्किट, नमकीन एवं अन्य उत्पादों का ही उपयोग सुनिश्चित किया जाए। कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) के किसानों को अधिकाधिक मिलेट्स की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए।जिले में श्रीअन्न ज्वार, बाजरा परिषदीय विद्यालयों में सप्ताह में एक दिन मिड-डे-मील में मिलेट्स को अनिवार्य रूप से सम्मिलित कराया जाए। सभी होटल लॉज व ढाबों में भी इसके बने व्यंजनों को मेन्यू में शामिल कराएं।
