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Farrukhabad News: 32 दिन बाद खुला फर्रुखाबाद-बदायूं मार्ग
संवाद न्यूज एजेंसी, फर्रूखाबाद
Updated Sun, 14 Sep 2025 12:39 AM IST
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फोटो-29, चित्रकूट डिप से निकलते वाहन। संवाद
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अमृतपुर। गंगा में आई बाढ़ के चलते बंद हुआ फर्रुखाबाद-बदायूं मार्ग आखिरकार 32 दिन बाद दोबारा चालू हो गया है।
वहीं, चित्रकूट डिप पर बाढ़ का पानी कम होने के बाद अब वाहन निकलने लगे हैं। हालांकि डिप पर करीब एक फीट पानी अभी भी बह रहा है।
गौरतलब है कि बाढ़ के दौरान चित्रकूट डिप पर तेज बहाव और अधिक पानी होने के कारण प्रशासन ने मार्ग को पूरी तरह बंद कर दिया था, ताकि कोई हादसा न हो। तब से छोटे-बड़े वाहन डबरी मार्ग से होकर आ-जा रहे थे। गंगा का जलस्तर कम होने के बाद डिप पर पानी का स्तर भी नीचे आया। अब वाहन आसानी से निकलने लगे हैं। मार्ग खुलने से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।
स्थानीय वाहन चालक रामऔतार ने बताया कि सड़क चालू होने से अब करीब 10 किलोमीटर का फेर बच जाएगा। पहले जाम और खराब सड़क पर समय और डीजल दोनों अधिक लगते थे। वहीं राजेपुर क्षेत्र के मोतीलाल बोले कि बाढ़ के कारण रोज़मर्रा की दिक्कतें बढ़ गई थीं। अब सड़क खुलने से सबसे बड़ी राहत मिली है।
कई गांव अब भी राहत से वंचित
अमृतपुर। गंगा और रामगंगा की बाढ़ से तहसील क्षेत्र के 100 से अधिक गांव प्रभावित हैं। प्रशासन की ओर से अब तक 21 हजार परिवारों को राहत सामग्री दी जा चुकी है। पानी दोबारा बढ़ने पर तीन हजार पैकेट की डिमांड भेजी गई थी। वहीं, कई गांव अब भी राहत से वंचित हैं।
शनिवार को कमालुद्दीनपुर, तुसौर, भुसेरा, सवासी, कटरी सथरा, खुटिया, महमदगंज, तेरा अकबरपुर में राहत सामग्री का वितरण हुआ। जबकि इमादपुर पमारान में दूसरी बार भी राशन नहीं बंट सका। वहीं चाचूपुर में तीसरी बार और दारापुर में दूसरी बार पैकेट बांटे गए। वीरपुर हरिहरपुर में 24 अगस्त को पांच सौ पैकेट दिए गए थे।
दूसरी बार वितरण कराने के लिए एक भाजपा नेता ने 150 पैकेट की लिस्ट बनवाई। जब जानकारी दूसरे पक्ष को मिली तो विवाद हो गया। विवाद के चलते कानूनगो ने पैकेट भिजवाने से मना कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि राजनीतिक दबाव में कुछ गांवों को राहत बार-बार दी गई, जबकि वास्तविक जरूरतमंद अब भी वंचित हैं। इमादपुर पमारान में एक बार भी राशन नहीं बंटा।
गांव इमादपुर पमारान के रामनरेश ने बताया कि हमारे यहां अब तक एक बार भी राशन नहीं आया। बच्चों को दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है। यहीं की शांति देवी ने बताया कि चाचूपुर में तीन बार राहत वितरण हो चुकी है। हमारे यहां एक बार भी नहीं। यह सीधा-सीधा भेदभाव है।
एसडीएम संजय कुमार सिंह ने बताया कि कुछ गांवों में पानी कम होने से वितरण नहीं हुआ है। अब सरकारी राशन का नियमित वितरण शुरू कर दिया गया है। शिकायतों की जांच की जाएगी।
गंगा-रामगंगा का जलस्तर घटा, ग्रामीणों में घर लौटने की आस
फर्रुखाबाद। लगातार 40 दिन से कहर बरपा रही गंगा-रामगंगा की बाढ़ अब थमती नजर आ रही है। जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है। इससे गांवों की गलियां खाली होने लगी हैं। मुख्यमार्गों पर आंशिक रूप से आवागमन शुरू हो गया है।
शनिवार को गंगा का जलस्तर 136.85 मीटर से घटकर 136.75 मीटर पर पहुंच गया। हालांकि यह अभी भी चेतावनी बिंदु से 15 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। नरौरा बांध से 71,077 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था।
वहीं, रामगंगा का जलस्तर 136.35 मीटर से घटकर 136.20 मीटर पर दर्ज किया गया है। खो, हरेली, रामनगर बैराज से 8,153 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। पानी उतरने से गांवों की गलियां सूखने लगी हैं। जिससे लोगों को घर लौटने की आस बंधी है। तीसराम की मड़ैया, रामपुर, जोगराजपुर, गौटिया, आशा मड़ैया, अंबरपुर, चित्रकूट, बरुआ, हरसिंहपुर कायस्थ, ऊगरपुर समेत कई गांव अब भी पानी में डूबे हैं।
गांव में कीचड़ फैला
तीसराम की मड़ैया निवासी विकास कुमार ने बताया कि पानी कम जरूर हुआ है लेकिन घरों को वापस नहीं जा पा रहे हैं। पानी निकलने के बाद घरों में जमा कीचड़ सूखने में समय लगेगा।
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मार्ग कट गए हैं
हरसिंहपुर कायस्थ के रामनिवास ने बताया कि गांव को जोड़ने वाले मार्ग कट गए हैं। अब भी नाव से ही बाहर आना-जाना पड़ रहा है। इससे अभी राहत मिलना दूर की बात है।
गंदगी से बीमारी
ग्रामीणों ने बताया कि पानी उतरने के बाद अब कीचड़, मच्छरों और गंदगी से नई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। डेंगू, मलेरिया और हैजा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

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वहीं, चित्रकूट डिप पर बाढ़ का पानी कम होने के बाद अब वाहन निकलने लगे हैं। हालांकि डिप पर करीब एक फीट पानी अभी भी बह रहा है।
गौरतलब है कि बाढ़ के दौरान चित्रकूट डिप पर तेज बहाव और अधिक पानी होने के कारण प्रशासन ने मार्ग को पूरी तरह बंद कर दिया था, ताकि कोई हादसा न हो। तब से छोटे-बड़े वाहन डबरी मार्ग से होकर आ-जा रहे थे। गंगा का जलस्तर कम होने के बाद डिप पर पानी का स्तर भी नीचे आया। अब वाहन आसानी से निकलने लगे हैं। मार्ग खुलने से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।
स्थानीय वाहन चालक रामऔतार ने बताया कि सड़क चालू होने से अब करीब 10 किलोमीटर का फेर बच जाएगा। पहले जाम और खराब सड़क पर समय और डीजल दोनों अधिक लगते थे। वहीं राजेपुर क्षेत्र के मोतीलाल बोले कि बाढ़ के कारण रोज़मर्रा की दिक्कतें बढ़ गई थीं। अब सड़क खुलने से सबसे बड़ी राहत मिली है।
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कई गांव अब भी राहत से वंचित
अमृतपुर। गंगा और रामगंगा की बाढ़ से तहसील क्षेत्र के 100 से अधिक गांव प्रभावित हैं। प्रशासन की ओर से अब तक 21 हजार परिवारों को राहत सामग्री दी जा चुकी है। पानी दोबारा बढ़ने पर तीन हजार पैकेट की डिमांड भेजी गई थी। वहीं, कई गांव अब भी राहत से वंचित हैं।
शनिवार को कमालुद्दीनपुर, तुसौर, भुसेरा, सवासी, कटरी सथरा, खुटिया, महमदगंज, तेरा अकबरपुर में राहत सामग्री का वितरण हुआ। जबकि इमादपुर पमारान में दूसरी बार भी राशन नहीं बंट सका। वहीं चाचूपुर में तीसरी बार और दारापुर में दूसरी बार पैकेट बांटे गए। वीरपुर हरिहरपुर में 24 अगस्त को पांच सौ पैकेट दिए गए थे।
दूसरी बार वितरण कराने के लिए एक भाजपा नेता ने 150 पैकेट की लिस्ट बनवाई। जब जानकारी दूसरे पक्ष को मिली तो विवाद हो गया। विवाद के चलते कानूनगो ने पैकेट भिजवाने से मना कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि राजनीतिक दबाव में कुछ गांवों को राहत बार-बार दी गई, जबकि वास्तविक जरूरतमंद अब भी वंचित हैं। इमादपुर पमारान में एक बार भी राशन नहीं बंटा।
गांव इमादपुर पमारान के रामनरेश ने बताया कि हमारे यहां अब तक एक बार भी राशन नहीं आया। बच्चों को दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है। यहीं की शांति देवी ने बताया कि चाचूपुर में तीन बार राहत वितरण हो चुकी है। हमारे यहां एक बार भी नहीं। यह सीधा-सीधा भेदभाव है।
एसडीएम संजय कुमार सिंह ने बताया कि कुछ गांवों में पानी कम होने से वितरण नहीं हुआ है। अब सरकारी राशन का नियमित वितरण शुरू कर दिया गया है। शिकायतों की जांच की जाएगी।
गंगा-रामगंगा का जलस्तर घटा, ग्रामीणों में घर लौटने की आस
फर्रुखाबाद। लगातार 40 दिन से कहर बरपा रही गंगा-रामगंगा की बाढ़ अब थमती नजर आ रही है। जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है। इससे गांवों की गलियां खाली होने लगी हैं। मुख्यमार्गों पर आंशिक रूप से आवागमन शुरू हो गया है।
शनिवार को गंगा का जलस्तर 136.85 मीटर से घटकर 136.75 मीटर पर पहुंच गया। हालांकि यह अभी भी चेतावनी बिंदु से 15 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। नरौरा बांध से 71,077 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था।
वहीं, रामगंगा का जलस्तर 136.35 मीटर से घटकर 136.20 मीटर पर दर्ज किया गया है। खो, हरेली, रामनगर बैराज से 8,153 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। पानी उतरने से गांवों की गलियां सूखने लगी हैं। जिससे लोगों को घर लौटने की आस बंधी है। तीसराम की मड़ैया, रामपुर, जोगराजपुर, गौटिया, आशा मड़ैया, अंबरपुर, चित्रकूट, बरुआ, हरसिंहपुर कायस्थ, ऊगरपुर समेत कई गांव अब भी पानी में डूबे हैं।
गांव में कीचड़ फैला
तीसराम की मड़ैया निवासी विकास कुमार ने बताया कि पानी कम जरूर हुआ है लेकिन घरों को वापस नहीं जा पा रहे हैं। पानी निकलने के बाद घरों में जमा कीचड़ सूखने में समय लगेगा।
मार्ग कट गए हैं
हरसिंहपुर कायस्थ के रामनिवास ने बताया कि गांव को जोड़ने वाले मार्ग कट गए हैं। अब भी नाव से ही बाहर आना-जाना पड़ रहा है। इससे अभी राहत मिलना दूर की बात है।
गंदगी से बीमारी
ग्रामीणों ने बताया कि पानी उतरने के बाद अब कीचड़, मच्छरों और गंदगी से नई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। डेंगू, मलेरिया और हैजा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।