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Farrukhabad News: कहने को कोटे से ज्यादा हैं महिला प्रधान, परिजन संभाल रहे काम
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कमालगंज। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा महिला जनप्रतिनिधियों के स्थान पर परोक्ष शासन प्रथा का संज्ञान लिए जाने के बाद स्थानीय स्तर पर भी इस मामले पर चर्चा है। ब्लाक क्षेत्र में 48 महिला प्रधानों वाली ग्राम पंचायतों में भी ज्यादातर पंचायतों में प्रधान का कामकाज उनके पति या अन्य परिजन ही देख रहे हैं।
118 ग्राम पंचायत वाले जिले के सबसे बड़े विकास खंड कमालगंज में 33 प्रतिशत आरक्षण के अनुसार महिलाओं के लिए 39 प्रधान पद आरक्षित हुए थे जबकि 2021 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 48 पंचायतों की जनता ने महिला प्रधान को गांव की सरकार की सत्ता सौंपी। इनमें से नौ ग्राम पंचायत में मुस्लिम महिला ग्राम प्रधान हैं। ब्लाक कार्यालय में क्षेत्र पंचायत की बैठकों में 48 में से मुश्किल से 15 महिला प्रधान ही आती हैं।
शेष महिला प्रधानों के स्थान पर उनके परिजन बैठक में आते हैं जबकि महिला प्रधान वाली ज्यादातर पंचायतों में चुनाव के बाद गांव वालों ने अपनी प्रधान को सक्रिय नहीं देखा। ग्राम सचिवालय में भी प्रधान की कुर्सी पर उनके रिश्तेदार आसान ग्रहण करते हैं। कुछ पंचायतों में महिला प्रधान को सचिव भी नहीं जानते। जीरागौर ग्राम पंचायत निवासी संदीप कहते हैं कि उनके यहां भी प्रधान के पुत्र ही प्रधानी का काम संभालते हैं। खंड विकास अधिकारी अनिल चंद्र का कहना है कि महिलाओं को राजनीतिक भागीदारी उनके सशक्तिकरण के लिए दी गई है। जहां भी महिला प्रधान हैं, उन पंचायतों का नेतृत्व महिला प्रधान को ही संभालना चाहिए।
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118 ग्राम पंचायत वाले जिले के सबसे बड़े विकास खंड कमालगंज में 33 प्रतिशत आरक्षण के अनुसार महिलाओं के लिए 39 प्रधान पद आरक्षित हुए थे जबकि 2021 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 48 पंचायतों की जनता ने महिला प्रधान को गांव की सरकार की सत्ता सौंपी। इनमें से नौ ग्राम पंचायत में मुस्लिम महिला ग्राम प्रधान हैं। ब्लाक कार्यालय में क्षेत्र पंचायत की बैठकों में 48 में से मुश्किल से 15 महिला प्रधान ही आती हैं।
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शेष महिला प्रधानों के स्थान पर उनके परिजन बैठक में आते हैं जबकि महिला प्रधान वाली ज्यादातर पंचायतों में चुनाव के बाद गांव वालों ने अपनी प्रधान को सक्रिय नहीं देखा। ग्राम सचिवालय में भी प्रधान की कुर्सी पर उनके रिश्तेदार आसान ग्रहण करते हैं। कुछ पंचायतों में महिला प्रधान को सचिव भी नहीं जानते। जीरागौर ग्राम पंचायत निवासी संदीप कहते हैं कि उनके यहां भी प्रधान के पुत्र ही प्रधानी का काम संभालते हैं। खंड विकास अधिकारी अनिल चंद्र का कहना है कि महिलाओं को राजनीतिक भागीदारी उनके सशक्तिकरण के लिए दी गई है। जहां भी महिला प्रधान हैं, उन पंचायतों का नेतृत्व महिला प्रधान को ही संभालना चाहिए।
