{"_id":"69484953f18bfd24400be14c","slug":"after-filing-the-suit-the-insurance-company-paid-rs-360-lakh-fatehpur-news-c-217-1-sknp1022-145992-2025-12-22","type":"story","status":"publish","title_hn":"Fatehpur News: वाद दायर करने के बाद बीमा कंपनी ने दिए 3.60 लाख","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Fatehpur News: वाद दायर करने के बाद बीमा कंपनी ने दिए 3.60 लाख
विज्ञापन
विज्ञापन
फतेहपुर। जिला उपभोक्ता आयोग में वाद दायर होने के बाद बीमा कंपनी ने वादी को तीन लाख 60 हजार रुपये का चेक देकर न्यायालय के समक्ष सुलह समझौता कर लिया। जिला उपभोक्ता आयोग के न्यायाधीश रामनरेश मौर्या के समक्ष मैग्मा एचडीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने वादी रत्नेश कुमार को चेक सौंपा।
मामला ट्रैक्टर चोरी के बाद बीमा क्लेम का भुगतान न किए जाने से जुड़ा था। राधानगर थाना क्षेत्र निवासी रत्नेश कुमार ने जिला उपभोक्ता आयोग में वाद दायर कर बताया कि उसने 16 नवंबर 2016 को खेती-किसानी के लिए एक ट्रैक्टर खरीदा था। ट्रैक्टर का 29 सितंबर 2017 को एक वर्ष के लिए बीमा कराया गया था।
वादी ने बताया कि 14 अक्तूबर 2017 को उसका पुत्र दीप कुमार ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर पारादान गांव जा रहा था। रास्ते में बाइक सवारों ने उसे कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ पिलाकर बेहोश कर दिया और ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ मोबाइल फोन चोरी कर ले गए।
घटना की सूचना और आवश्यक कागजी कार्रवाई के बावजूद बीमा कंपनी क्लेम का भुगतान करने में आनाकानी करती रही। कई बार सुनवाई न होने पर वादी ने जिला उपभोक्ता आयोग की शरण ली। न्यायालय में सुनवाई के दौरान बीमा कंपनी ने वादी को चेक सौंपते हुए सुलह कर ली।
Trending Videos
मामला ट्रैक्टर चोरी के बाद बीमा क्लेम का भुगतान न किए जाने से जुड़ा था। राधानगर थाना क्षेत्र निवासी रत्नेश कुमार ने जिला उपभोक्ता आयोग में वाद दायर कर बताया कि उसने 16 नवंबर 2016 को खेती-किसानी के लिए एक ट्रैक्टर खरीदा था। ट्रैक्टर का 29 सितंबर 2017 को एक वर्ष के लिए बीमा कराया गया था।
विज्ञापन
विज्ञापन
वादी ने बताया कि 14 अक्तूबर 2017 को उसका पुत्र दीप कुमार ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर पारादान गांव जा रहा था। रास्ते में बाइक सवारों ने उसे कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ पिलाकर बेहोश कर दिया और ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ मोबाइल फोन चोरी कर ले गए।
घटना की सूचना और आवश्यक कागजी कार्रवाई के बावजूद बीमा कंपनी क्लेम का भुगतान करने में आनाकानी करती रही। कई बार सुनवाई न होने पर वादी ने जिला उपभोक्ता आयोग की शरण ली। न्यायालय में सुनवाई के दौरान बीमा कंपनी ने वादी को चेक सौंपते हुए सुलह कर ली।
