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Gonda News: आदेश की अवहेलना पर हाईकोर्ट सख्त, डीएम तलब
संवाद न्यूज एजेंसी, गोंडा
Updated Thu, 20 Nov 2025 12:03 AM IST
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गोंडा। उच्च न्यायालय के आदेश का पालन न होने पर लखनऊ खंडपीठ ने कड़ा रुख अपनाते हुए जिलाधिकारी गोंडा को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी द्वारा न तो प्रभावी कार्रवाई की गई और न ही आदेशों के अनुपालन की उचित जानकारी दी गई।
मनकापुर तहसील के ग्राम बंदरहा स्थित सरदार मोहर सिंह मेमोरियल बालिका महाविद्यालय के रास्ते पर अवैध अवरोध का मामला कई वर्षों से लंबित है। महाविद्यालय की प्रबंधक गुरुवचन कौर ने प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा, जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों को प्रार्थनापत्र देकर बताया था कि विद्यालय की भूमि पर छात्राओं, शिक्षकों और अभिभावकों के आने–जाने का पुराना मार्ग है, जिसे कुछ लोगों ने अवरुद्ध कर दिया है। लगातार शिकायतों के बाद भी जब रास्ते से अवरोध नहीं हटाया गया तो प्रबंधक ने जिलाधिकारी सहित 13 लोगों को पक्षकार बनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दायर की।
पहली अगस्त 2025 को न्यायमूर्ति राजन राय एवं मनीष कुमार ने जिलाधिकारी को मामला स्वयं संज्ञान में लेकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। लेकिन न तो रास्ता खुलवाया गया और न ही अदालत को कोई स्पष्ट सूचना भेजी गई।
11 नवंबर की सुनवाई के दौरान याची ने अदालत से गुहार लगाई। मंगलवार को हुई अगली सुनवाई में शासकीय अधिवक्ता द्वारा समय मांगने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि यह सिर्फ टालमटोल का बहाना है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि डीएम ने आदेश के अनुपालन में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया।
मामले की गंभीरता और रिकॉर्ड पर प्रस्तुत तथ्यों को देखते हुए न्यायमूर्ति शेखर बी सर्राफ और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की बेंच ने 20 नवंबर की अगली तिथि तय करते हुए जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन को सुबह 10:15 बजे व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है।
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मनकापुर तहसील के ग्राम बंदरहा स्थित सरदार मोहर सिंह मेमोरियल बालिका महाविद्यालय के रास्ते पर अवैध अवरोध का मामला कई वर्षों से लंबित है। महाविद्यालय की प्रबंधक गुरुवचन कौर ने प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा, जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों को प्रार्थनापत्र देकर बताया था कि विद्यालय की भूमि पर छात्राओं, शिक्षकों और अभिभावकों के आने–जाने का पुराना मार्ग है, जिसे कुछ लोगों ने अवरुद्ध कर दिया है। लगातार शिकायतों के बाद भी जब रास्ते से अवरोध नहीं हटाया गया तो प्रबंधक ने जिलाधिकारी सहित 13 लोगों को पक्षकार बनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दायर की।
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पहली अगस्त 2025 को न्यायमूर्ति राजन राय एवं मनीष कुमार ने जिलाधिकारी को मामला स्वयं संज्ञान में लेकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। लेकिन न तो रास्ता खुलवाया गया और न ही अदालत को कोई स्पष्ट सूचना भेजी गई।
11 नवंबर की सुनवाई के दौरान याची ने अदालत से गुहार लगाई। मंगलवार को हुई अगली सुनवाई में शासकीय अधिवक्ता द्वारा समय मांगने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि यह सिर्फ टालमटोल का बहाना है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि डीएम ने आदेश के अनुपालन में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया।
मामले की गंभीरता और रिकॉर्ड पर प्रस्तुत तथ्यों को देखते हुए न्यायमूर्ति शेखर बी सर्राफ और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की बेंच ने 20 नवंबर की अगली तिथि तय करते हुए जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन को सुबह 10:15 बजे व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है।