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देश के नौ राज्यों में अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं हम : राजू दास
संवाद न्यूज एजेंसी, गोंडा
Updated Sun, 21 Dec 2025 11:36 PM IST
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जिला पंचायत सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मंचासीन महंत राजू दास। स्रोत: आयोजक
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गोंडा। समय के साथ चलना सीखिए अन्यथा आज हम जिस संस्कृति और साहित्य पर गर्व करते हैं, वह गर्त में चला जाएगा। एक समय था, जब सनातन पूरी दुनिया में था। आज देश के नौ राज्यों में ही हम अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं। यह बात अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने अवध संस्कृति उत्कर्ष समिति के तत्वावधान में रविवार को जिला पंचायत सभागार में ‘अवध संस्कृति अउ सूकरखेत’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कही।
महंत राजू दास ने कहा कि सनातन धर्म के लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाकर संस्कृति और साहित्य से विमुख हो रहे हैं। हिंदुओं के विरुद्ध बात करने वाले विपक्ष के लोग यदि अपने घर में मस्जिद बनवा लें तो मैं भी उन्हें चंदा दूंगा, किंतु बाबर जैसे आक्रांता के नाम पर नहीं। अवध भारती संस्थान के अध्यक्ष डाॅ. राम बहादुर मिसिर ने कहा कि देश के कई संस्थानों में अवधी पर काफी काम हो रहा है। इसके संरक्षण और संवर्द्धन के लिए हमें मिलकर काम करना होगा। डाॅ. सूर्यपाल सिंह ने कहा कि अवधी संस्कृति उत्तर भारत की प्राचीन, समृद्ध व जीवंत सांस्कृतिक धरोहर है, जिसकी पहचान अवधी भाषा, लोकगीत, लोकनृत्य, लोककथाओं, रामकथा परंपरा, मेलों, पर्वों और सामाजिक मूल्यों से होती है।
डाॅ. महराजदीन पांडेय ने कहा कि अवधी संस्कृति के विकास एवं उत्थान के लिए आवश्यक है कि अवधी भाषा को शिक्षा, साहित्य, मीडिया और डिजिटल मंचों पर स्थान दिया जाए। गोष्ठी को डाॅ. श्रीनारायण तिवारी, प्रो. जयशंकर तिवारी आदि ने भी संबोधित किया। समिति के अध्यक्ष महेश कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर भवानी भीख शुक्ल, नील ठाकुर, आदर्श तिवारी, करिश्मा मिश्रा, स्वाति सिंह, ग्रेसी सिंह, तृप्ति सिंह, अंशिका आदि मौजूद रहीं।
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महंत राजू दास ने कहा कि सनातन धर्म के लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाकर संस्कृति और साहित्य से विमुख हो रहे हैं। हिंदुओं के विरुद्ध बात करने वाले विपक्ष के लोग यदि अपने घर में मस्जिद बनवा लें तो मैं भी उन्हें चंदा दूंगा, किंतु बाबर जैसे आक्रांता के नाम पर नहीं। अवध भारती संस्थान के अध्यक्ष डाॅ. राम बहादुर मिसिर ने कहा कि देश के कई संस्थानों में अवधी पर काफी काम हो रहा है। इसके संरक्षण और संवर्द्धन के लिए हमें मिलकर काम करना होगा। डाॅ. सूर्यपाल सिंह ने कहा कि अवधी संस्कृति उत्तर भारत की प्राचीन, समृद्ध व जीवंत सांस्कृतिक धरोहर है, जिसकी पहचान अवधी भाषा, लोकगीत, लोकनृत्य, लोककथाओं, रामकथा परंपरा, मेलों, पर्वों और सामाजिक मूल्यों से होती है।
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डाॅ. महराजदीन पांडेय ने कहा कि अवधी संस्कृति के विकास एवं उत्थान के लिए आवश्यक है कि अवधी भाषा को शिक्षा, साहित्य, मीडिया और डिजिटल मंचों पर स्थान दिया जाए। गोष्ठी को डाॅ. श्रीनारायण तिवारी, प्रो. जयशंकर तिवारी आदि ने भी संबोधित किया। समिति के अध्यक्ष महेश कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर भवानी भीख शुक्ल, नील ठाकुर, आदर्श तिवारी, करिश्मा मिश्रा, स्वाति सिंह, ग्रेसी सिंह, तृप्ति सिंह, अंशिका आदि मौजूद रहीं।
