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Hardoi News: टूरिस्ट परमिट पर दौड़ रही हादसों की डबल डेकर बसें
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हरदोई। टूरिस्ट परमिट पर हादसों की डबल डेकर जिले में भी शहर से लेकर कस्बों तक आसानी से आ-जा रहीं हैं। लखनऊ में आग की घटना और जिले में पाली में हुए हादसों से भी जिम्मेदारों ने सबक नहीं लिया। डबल डेकर बसें गैर प्रांत से लोगों को लाने और यहां से ले जाने का काम आसानी से कर रही हैं। और तो और सोमवार को ही शहर से लेकर कस्बों तक करीब 30 डबल डेकर बसों का संचालन होता रहा।
लखनऊ में आगरा एक्सप्रेस वे पर काकोरी टोल प्लाजा के पास रविवार को डबल डेकर बस में आग की घटना के बाद भी संचालकों और जिम्मेदारों में कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई दी। डबल डेकर बसों में न तो आग से बचाव और न ही सवारियों के चढ़ने-उतरने के लिए पर्याप्त और सही इंतजाम हैं। डबल डेकर बस में नियम के मुताबिक, चालक के समांतर बस की दूसरी साइड में सवारियों के खिड़की होनी चाहिए, लेकिन बसों में मानक को दरकिनार कर दो-दो खिड़की से सवारियों को बिठाया और सामान को लोड किया जाता है। डबल डेकर बस कहें या फिर डग्गामार वाहन, बहरहाल उनका जाल फैला हुआ है।
शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के चौराहों और मार्गों के किनारे तक डबल डेकर डग्गामार वाहनों के स्टैंड बने हुए हैं। वहां बाकायदा बसों का ठहराव होता है। वहां से सवारियों को बसों में बिठाया भी जाता है और कई प्रांतों से आने वाली सवारियां को उतारा भी जाता है। निर्धारित मानक के मुताबिक, सवारियों को बैठाना तो दूर, जिस बस में यात्री सफर करते हैं, उन वाहनों की फिटनेस और बीमा भी सवालों से घिरे रहते हैं। धड़ल्ले से अधिकारियों के सामने खचाखच सवारियों से भरी डबल डेकर बसें सड़कों पर आसानी से अपनी मंजिल तक आ और जा रहीं हैं। बताया गया कि गैर प्रांत से सवारियों को लाने और ले जाने के लिए डबल डेकर बसों के संचालक टूरिस्ट परमिट बनवाकर सरकार को टैक्स से लेकर सवारियों तक को खतरे में डालने से नहीं चूक रहे हैं।
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साप्ताहिक टूरिस्ट परमिट से होता श्रमिकों का सफर तय
जिले में आने और जाने वाली अधिकांश डबल डेकर बसें साप्ताहिक तौर पर मिलने टूरिस्ट परमिट हासिल कर लेती हैं। टूरिस्ट परमिट की आड़ में रोजगार की तलाश में जिले से दिल्ली, पंजाब और हरियाणा जाने वाले श्रमिकों का सफर तय करा रही हैं। उन बसों में मंजिल तक पहुंचाने के नाम पर मनमाना किराया भी वसूला जा रहा है। अधिक कमाई के चक्कर में संचालक क्षमता से अधिक सवारियां भी बिठा लेते हैं। सब कुछ जानने के बाद भी राजस्व को चपत लगाने वाली डबल डेकर बसों पर कार्रवाई के लिए जिम्मेदार हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। वजह भी यही है कि संचालक बेखौफ होकर कमाई के लिए सवारियों को खतरों में भी डालने से नहीं चूक रहे हैं।
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डग्गामार बसों के प्वांइट पर एक नजर
- पाली कस्बे में डग्गामार डबल डेकर पांच बसें प्रतिदिन गुजरती हैं।
- कस्बे से सवारियां लेकर दिल्ली, पानीपत तक जाती हैं।
- दोपहर 2:30 से बसों का पाली आना शुरू हो जाता है, जो रात 7:30 तक जारी रहता है।
- एक बस रूपापुर में खड़ी होती है, जो सांवरिया भरने पाली आती है।
- सुबह पांच बजे से सुबह 7:30 तक दिल्ली, पानीपत से सवारियां लेकर कस्बे में सांवरिया उतारती हईं शाहाबाद की तरफ से चली जाती हैं।
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जिले में हुए हादसों पर एक नजर
एक जनवरी 2024 को गोपालपुर के पास डग्गामार बस और रोडवेज बस की आमने-सामने टक्कर हुई थी। जिसमें दोनों बसों के चालक व परिचालक घायल हुए थे। डग्गामार बस के परिचालक बुलंदशहर निवासी सैफ की मौत भी हो गई थी। उस बस ने एक बार फिर परेली निवासी सुखदेव को दरियापुर मोड़ के पास कुचल दिया था। जिसमें उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। उसी डबल-डेकर के अवैध संचालन की करीब आठ माह से शिकायत की जा रही थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। बस संचालन करा रहे एक व्यक्ति के मुताबिक, 20-30 हजार रुपये प्रति माह प्रति बस संचालन के लिए दिया जाता है।
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छत से लेकर चेसिस तक में आता है माल
डबल डेकर बसों में सवारियों को बिठाने के साथ ही उनकी साथ की सामग्री को छत, बस की साइड और पीछे की डिग्गी में रखा जाता है। बस की छत पर ऐसे सामान लोड किया जाता है कि बस की ऊंचाई करीब 3-4 फीट तक बढ़ जाती है। कई बार तो बस की छत पर दो पहिया वाहन भी लाद कर लाया जाता है। वहीं बस की चेसिस में भी डिग्गी बनाकर दिल्ली, हरियाणा और पंजाब से सामान लाया जाता है। जानकारों के मुताबिक, सामान लाने का किराया भी अधिक लिया जाता है और वहीं टैक्स की चोरी भी कराई जाती है।
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बसों में यात्री सुरक्षा का रखा जाए ध्यान
हरदोई। मुख्य अग्निशमन अधिकारी महेश प्रताप सिंह ने बताया कि बसों में यात्री सुरक्षा का ध्यान रखा जाना चाहिए। बसों का नियमित रूप से निरीक्षण हो। बसों में अग्निशमन यंत्र लगे होने चाहिए, आपात कालीन द्वार का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बटन भी होने चाहिए।
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डबल डेकर बसों का परमिट तो यहां से नहीं बनता है, हालांकि निरीक्षण किया जाता है। यात्रियों से भी जानकारी ली जाती है कि वह कहां से चढ़े हैं और कहां जा रहे हैं। दस्तावेज सही न होने पर कार्रवाई भी की गई है।
-अरविंद कुमार सिंह, उप संभागीय परिवहन अधिकारी
लखनऊ में आगरा एक्सप्रेस वे पर काकोरी टोल प्लाजा के पास रविवार को डबल डेकर बस में आग की घटना के बाद भी संचालकों और जिम्मेदारों में कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई दी। डबल डेकर बसों में न तो आग से बचाव और न ही सवारियों के चढ़ने-उतरने के लिए पर्याप्त और सही इंतजाम हैं। डबल डेकर बस में नियम के मुताबिक, चालक के समांतर बस की दूसरी साइड में सवारियों के खिड़की होनी चाहिए, लेकिन बसों में मानक को दरकिनार कर दो-दो खिड़की से सवारियों को बिठाया और सामान को लोड किया जाता है। डबल डेकर बस कहें या फिर डग्गामार वाहन, बहरहाल उनका जाल फैला हुआ है।
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शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के चौराहों और मार्गों के किनारे तक डबल डेकर डग्गामार वाहनों के स्टैंड बने हुए हैं। वहां बाकायदा बसों का ठहराव होता है। वहां से सवारियों को बसों में बिठाया भी जाता है और कई प्रांतों से आने वाली सवारियां को उतारा भी जाता है। निर्धारित मानक के मुताबिक, सवारियों को बैठाना तो दूर, जिस बस में यात्री सफर करते हैं, उन वाहनों की फिटनेस और बीमा भी सवालों से घिरे रहते हैं। धड़ल्ले से अधिकारियों के सामने खचाखच सवारियों से भरी डबल डेकर बसें सड़कों पर आसानी से अपनी मंजिल तक आ और जा रहीं हैं। बताया गया कि गैर प्रांत से सवारियों को लाने और ले जाने के लिए डबल डेकर बसों के संचालक टूरिस्ट परमिट बनवाकर सरकार को टैक्स से लेकर सवारियों तक को खतरे में डालने से नहीं चूक रहे हैं।
साप्ताहिक टूरिस्ट परमिट से होता श्रमिकों का सफर तय
जिले में आने और जाने वाली अधिकांश डबल डेकर बसें साप्ताहिक तौर पर मिलने टूरिस्ट परमिट हासिल कर लेती हैं। टूरिस्ट परमिट की आड़ में रोजगार की तलाश में जिले से दिल्ली, पंजाब और हरियाणा जाने वाले श्रमिकों का सफर तय करा रही हैं। उन बसों में मंजिल तक पहुंचाने के नाम पर मनमाना किराया भी वसूला जा रहा है। अधिक कमाई के चक्कर में संचालक क्षमता से अधिक सवारियां भी बिठा लेते हैं। सब कुछ जानने के बाद भी राजस्व को चपत लगाने वाली डबल डेकर बसों पर कार्रवाई के लिए जिम्मेदार हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। वजह भी यही है कि संचालक बेखौफ होकर कमाई के लिए सवारियों को खतरों में भी डालने से नहीं चूक रहे हैं।
डग्गामार बसों के प्वांइट पर एक नजर
- पाली कस्बे में डग्गामार डबल डेकर पांच बसें प्रतिदिन गुजरती हैं।
- कस्बे से सवारियां लेकर दिल्ली, पानीपत तक जाती हैं।
- दोपहर 2:30 से बसों का पाली आना शुरू हो जाता है, जो रात 7:30 तक जारी रहता है।
- एक बस रूपापुर में खड़ी होती है, जो सांवरिया भरने पाली आती है।
- सुबह पांच बजे से सुबह 7:30 तक दिल्ली, पानीपत से सवारियां लेकर कस्बे में सांवरिया उतारती हईं शाहाबाद की तरफ से चली जाती हैं।
जिले में हुए हादसों पर एक नजर
एक जनवरी 2024 को गोपालपुर के पास डग्गामार बस और रोडवेज बस की आमने-सामने टक्कर हुई थी। जिसमें दोनों बसों के चालक व परिचालक घायल हुए थे। डग्गामार बस के परिचालक बुलंदशहर निवासी सैफ की मौत भी हो गई थी। उस बस ने एक बार फिर परेली निवासी सुखदेव को दरियापुर मोड़ के पास कुचल दिया था। जिसमें उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। उसी डबल-डेकर के अवैध संचालन की करीब आठ माह से शिकायत की जा रही थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। बस संचालन करा रहे एक व्यक्ति के मुताबिक, 20-30 हजार रुपये प्रति माह प्रति बस संचालन के लिए दिया जाता है।
छत से लेकर चेसिस तक में आता है माल
डबल डेकर बसों में सवारियों को बिठाने के साथ ही उनकी साथ की सामग्री को छत, बस की साइड और पीछे की डिग्गी में रखा जाता है। बस की छत पर ऐसे सामान लोड किया जाता है कि बस की ऊंचाई करीब 3-4 फीट तक बढ़ जाती है। कई बार तो बस की छत पर दो पहिया वाहन भी लाद कर लाया जाता है। वहीं बस की चेसिस में भी डिग्गी बनाकर दिल्ली, हरियाणा और पंजाब से सामान लाया जाता है। जानकारों के मुताबिक, सामान लाने का किराया भी अधिक लिया जाता है और वहीं टैक्स की चोरी भी कराई जाती है।
बसों में यात्री सुरक्षा का रखा जाए ध्यान
हरदोई। मुख्य अग्निशमन अधिकारी महेश प्रताप सिंह ने बताया कि बसों में यात्री सुरक्षा का ध्यान रखा जाना चाहिए। बसों का नियमित रूप से निरीक्षण हो। बसों में अग्निशमन यंत्र लगे होने चाहिए, आपात कालीन द्वार का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बटन भी होने चाहिए।
डबल डेकर बसों का परमिट तो यहां से नहीं बनता है, हालांकि निरीक्षण किया जाता है। यात्रियों से भी जानकारी ली जाती है कि वह कहां से चढ़े हैं और कहां जा रहे हैं। दस्तावेज सही न होने पर कार्रवाई भी की गई है।
-अरविंद कुमार सिंह, उप संभागीय परिवहन अधिकारी