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Hardoi News: सीएचसी में मरीजों के बेड पर नहीं बिछ़ी चादर, सफाई पर खर्च हो रहे दो लाख
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फोटो- 23- सवायजपुर स्थित सीएचसी पर बिना चादर बिछे बेड पर भर्ती मरीज। संवाद
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हरदोई। सीएचसी में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए बेड पर बिछाने वाली चादरों पर हर माह 10 से 12 हजार रुपये खर्च हो जाते हैं।
जिले भर की सभी सीएचसी की बात करें तो स्वास्थ्य विभाग दो लाख रुपये से अधिक सिर्फ चादरों की सफाई पर खर्च करता है लेकिन हकीकत यह है कि भर्ती होने वाले मरीजों के नीचे चादर नजर ही नहीं आती है। बेड पर रबर की शीट बिछ़ी रहती है, जो शायद ही कभी बदली जाती हो। ऐसे में सफाई के लिए हो रहे भुगतान में गोलमाल की आशंका बन रही है।
जिले के ग्रामीण इलाकों में स्थित सीएचसी पर जिम्मेदारोंं की जमकर मनमानी चल रही है। मरीजों के बेड पर वैसे तो हर रोज चादर बदली जानी चाहिए लेकिन जिले की सीएचसी में हालत यह है कि बेडों पर चादर की जगह रबर की शीट बिछ़ा दी जाती है। रबर बिछी होने से मरीजों में संक्रमण का डर बना रहता है। उधर, हर माह चादरों की सफाई पर 10 से 12 हजार रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
बता दें कि जिले में 21 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इन पर चादरों की सफाई के लिए फर्म को टेंडर किए गए हैं। ठेकेदार अपने कर्मियों को भी तैनात करते हैं। अब सोचने वाली बात यह है कि जब मरीजाें के बेड पर रबर की शीट बिछी रहती है तो सफाई किसकी होती है। सफाई के नाम पर जिले भर में हर माह दो से ढाई लाख रुपये का गोलमाल होने की आशंका है।
मरीजों को चादर के साथ तकिया देने के भी निर्देश
हरदोई। अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को सिर्फ चादर ही नहीं उन्हें तकिया और कंबल भी मुहैया कराने के निर्देश हैं। इसके बावजूद भी जिले की किसी भी सीएचसी पर तकिया तो दूर चादर भी नजर नहीं आता है। वहीं, मरीजों के मांगे जाने पर कंबल जरूर मिल जाता है। विभागीय जानकारी के अनुसार अभी हाल ही में जिले की सीएचसी के लिए करीब 400 तकिया खरीदे गए हैं। मरीजों के बेड पर चादर तो है नहीं, तकिया मिलना तो दूर की बात है।
जिले की हर सीएचसी पर चादर, तकिया और कंबल मरीजों को मुहैया कराए जा रहे हैं। अगर किसी मरीज के नीचे रबर की शीट बिछी है तो हो सकता है कि उसे उल्टी व दस्त हो रहे हैं। सीएचसी का निरीक्षण किया गया है। कमियों को दूर करने के निर्देश भी दिए गए हैं। दोबारा फीडबैक लेकर कमियाें काे दूर कराया जाएगा। -डॉ. भवनाथ पांडेय, मुख्य चिकित्सा अधिकारी
जिले भर की सभी सीएचसी की बात करें तो स्वास्थ्य विभाग दो लाख रुपये से अधिक सिर्फ चादरों की सफाई पर खर्च करता है लेकिन हकीकत यह है कि भर्ती होने वाले मरीजों के नीचे चादर नजर ही नहीं आती है। बेड पर रबर की शीट बिछ़ी रहती है, जो शायद ही कभी बदली जाती हो। ऐसे में सफाई के लिए हो रहे भुगतान में गोलमाल की आशंका बन रही है।
जिले के ग्रामीण इलाकों में स्थित सीएचसी पर जिम्मेदारोंं की जमकर मनमानी चल रही है। मरीजों के बेड पर वैसे तो हर रोज चादर बदली जानी चाहिए लेकिन जिले की सीएचसी में हालत यह है कि बेडों पर चादर की जगह रबर की शीट बिछ़ा दी जाती है। रबर बिछी होने से मरीजों में संक्रमण का डर बना रहता है। उधर, हर माह चादरों की सफाई पर 10 से 12 हजार रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
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बता दें कि जिले में 21 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इन पर चादरों की सफाई के लिए फर्म को टेंडर किए गए हैं। ठेकेदार अपने कर्मियों को भी तैनात करते हैं। अब सोचने वाली बात यह है कि जब मरीजाें के बेड पर रबर की शीट बिछी रहती है तो सफाई किसकी होती है। सफाई के नाम पर जिले भर में हर माह दो से ढाई लाख रुपये का गोलमाल होने की आशंका है।
मरीजों को चादर के साथ तकिया देने के भी निर्देश
हरदोई। अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को सिर्फ चादर ही नहीं उन्हें तकिया और कंबल भी मुहैया कराने के निर्देश हैं। इसके बावजूद भी जिले की किसी भी सीएचसी पर तकिया तो दूर चादर भी नजर नहीं आता है। वहीं, मरीजों के मांगे जाने पर कंबल जरूर मिल जाता है। विभागीय जानकारी के अनुसार अभी हाल ही में जिले की सीएचसी के लिए करीब 400 तकिया खरीदे गए हैं। मरीजों के बेड पर चादर तो है नहीं, तकिया मिलना तो दूर की बात है।
जिले की हर सीएचसी पर चादर, तकिया और कंबल मरीजों को मुहैया कराए जा रहे हैं। अगर किसी मरीज के नीचे रबर की शीट बिछी है तो हो सकता है कि उसे उल्टी व दस्त हो रहे हैं। सीएचसी का निरीक्षण किया गया है। कमियों को दूर करने के निर्देश भी दिए गए हैं। दोबारा फीडबैक लेकर कमियाें काे दूर कराया जाएगा। -डॉ. भवनाथ पांडेय, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

फोटो- 23- सवायजपुर स्थित सीएचसी पर बिना चादर बिछे बेड पर भर्ती मरीज। संवाद