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Hathras News: उमड़ी किसानों की भीड़, पांच से छह घंटे इंतजार किया, खाद मिली एक कट्टा
अमर उजाला नेटवर्क, हाथरस
Published by: चमन शर्मा
Updated Thu, 09 Oct 2025 10:41 PM IST
सार
सिकंदराराऊ की जिन सहकारी समितियों पर टोकन सिस्टम लागू है, वहां खाद की मारामारी नहीं मच रही, लेकिन जहां टोकन सिस्टम नहीं है, वहां खाद के लिए मारामारी मच रही है।
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सिकंदराराऊ की सहकारी समिति क्रय केंद्र पर लगी किसानों की कतार
- फोटो : संवाद
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विस्तार
सिकंदराराऊ क्षेत्र के किसान इन-दिनों डीएपी खाद की किल्लत से परेशान हैं। 9 अक्तूबर को नगर की सहकारी क्रय-विक्रय समिति पर खाद लेने के लिए किसानों की अच्छी-खासी भीड़ उमड़ी, लेकिन पांच से छह घंटे तक इंतजार करने के बाद किसानों को सिर्फ एक-एक कट्टा ही खाद मिल सकी। इस पर किसानों ने नाराजगी भी दर्ज कराई।
बता दें कि वर्तमान में किसान आलू की बुवाई की तेजी से तैयारी कर रहे हैं। बुवाई के समय उन्हें डीएपी खाद की आवश्यकता पड़ती है। किसानों के अनुसार एक कट्टा डीएपी खाद से पांच बीघा आलू की बुवाई हो जाती है। अगर रकबा ज्यादा हो तो ज्यादा खाद की जरूरत पड़ती है।
नगर की सहकारी क्रय विक्रय समिति पर बुधवार को महज 350 कट्टे डीएपी खाद के आए थे। 8 अक्तूबर को पूरे दिन कतार में लगने के बावजूद को खाद नहीं मिल पाई थी और उन्हें मायूस लौटना पड़ा। 9 अक्तूबर की सुबह से ही सैकड़ो किसानों की भीड़ सहकारी समिति पर लग गई। सुबह करीब 11 बजे खाद बंटनी शुरू हुई, लेकिन किसानों को सिर्फ एक-एक कट्टा खाद ही मिली।
गौरतलब है कि क्षेत्र की जिन सहकारी समितियों पर टोकन सिस्टम लागू है, वहां खाद की मारामारी नहीं मच रही, लेकिन जहां टोकन सिस्टम नहीं है, वहां खाद के लिए मारामारी मच रही है। एसडीएम संजय कुमार का कहना है कि सरकार ने डीएपी खाद का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध कराया है। किसानों को जरूरत के हिसाब से ही खाद लेनी चाहि। जरूरत से ज्यादा खाद लेने की वजह से मारामारी मचती है।
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बता दें कि वर्तमान में किसान आलू की बुवाई की तेजी से तैयारी कर रहे हैं। बुवाई के समय उन्हें डीएपी खाद की आवश्यकता पड़ती है। किसानों के अनुसार एक कट्टा डीएपी खाद से पांच बीघा आलू की बुवाई हो जाती है। अगर रकबा ज्यादा हो तो ज्यादा खाद की जरूरत पड़ती है।
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नगर की सहकारी क्रय विक्रय समिति पर बुधवार को महज 350 कट्टे डीएपी खाद के आए थे। 8 अक्तूबर को पूरे दिन कतार में लगने के बावजूद को खाद नहीं मिल पाई थी और उन्हें मायूस लौटना पड़ा। 9 अक्तूबर की सुबह से ही सैकड़ो किसानों की भीड़ सहकारी समिति पर लग गई। सुबह करीब 11 बजे खाद बंटनी शुरू हुई, लेकिन किसानों को सिर्फ एक-एक कट्टा खाद ही मिली।
गौरतलब है कि क्षेत्र की जिन सहकारी समितियों पर टोकन सिस्टम लागू है, वहां खाद की मारामारी नहीं मच रही, लेकिन जहां टोकन सिस्टम नहीं है, वहां खाद के लिए मारामारी मच रही है। एसडीएम संजय कुमार का कहना है कि सरकार ने डीएपी खाद का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध कराया है। किसानों को जरूरत के हिसाब से ही खाद लेनी चाहि। जरूरत से ज्यादा खाद लेने की वजह से मारामारी मचती है।