Millet: बाजरा खरीद केंद्र बंद, मायूस लौटे आठ दिन से डेरा डाले बैठे किसान, खुले बाजार की ओर किया रुख
31 दिसंबर तक खरीद होनी थी, लेकिन 22 दिसंबर तक ही 10600 मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले 10256.10 टन की खरीद हो गई और लक्ष्य के करीब पहुंचते ही खरीद बंद कर दी गई।
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एक तरफ बाजरा की शत-प्रतिशत खरीद होने का सरकारी जश्न तो दूसरी तरफ बाजरा बेचने के लिए किसान भटक रहे हैं, सस्ते में लुट रहे हैं। 22 दिसंबर को हाथरस के सात में से छह खरीद केंद्र बंद कर दिए गए। किसानों ने खुले बाजार की ओर रुख किया, मंडी में आवक बढ़ी तो दाम गिर गए। सोमवार को 1800-2000 रुपये प्रति क्विंटल पर बाजरा खरीदा गया। जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2775 रुपये हैं।
यानी सीधे तौर पर 775 से 975 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। इसमें करीब 200 से 400 रुपये दाम तो शनिवार के मुकाबले ही सोमवार को ही कम हुए हैं। सरकार की मोटा अनाज नीति (पोषक अनाज) में शामिल होने के बावजूद किसानों की फसल की खरीद नहीं हो पा रही है। दरअसल, इस बार बाजरा का रक्बा बढ़ गया था,साथ ही पैदावार में भी प्रति हेक्टेयर एक क्विंटल का इजाफा हुआ है।
पिछले वर्ष जिले में 84182 हेक्टेयर में बाजरा हुआ था। प्रति हेक्टेयर 25.42 क्विंटल की पैदावार थी और जिले में 213959 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ था। पिछले वर्ष समर्थन मूल्य 2625 प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य था। बाजार में भी भाव ठीक था। यही वजह रही थी कि सरकारी खरीद के लक्ष्य 10600 के मुकाबले 3116.9 मीट्रिक टन की खरीद हुई, यानी लक्ष्य की 29.40 फीसदी ही खरीद हो पाई थी।
इस साल रक्बा भी बढ़ा है और पैदावार भी बढ़ी है। एमएसपी भी 2775 रुपये प्रति क्विंटल जिसकी वजह से सरकारी खरीद केंद्रों का लक्ष्य जल्द पूरा हो गया। 31 दिसंबर तक खरीद होनी थी, लेकिन 22 दिसंबर तक ही 10600 मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले 10256.10 टन की खरीद हो गई और लक्ष्य के करीब पहुंचते ही खरीद बंद कर दी गई। सात केंद्रों में से अब केवल सिकंदराराऊ के ही केंद्र पर खरीद हो रही है, उसका भी लक्ष्य 94 प्रतिशत पूरा हो गया है।
लक्ष्य की पूर्ति हो चुकी है। इसलिए केंद्र बंद करने पड़े हैं। उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। यदि शासन से लक्ष्य बढ़ जाता है तो क्रय केंद्र खोलकर शेष किसानों का बाजरा खरीदा जाएगा।-राजीव वर्मा, एआरएमओ
पिछले आठ दिन से कड़ाके की ठंड में दिन-रात रुके हैं। हर सुबह नया बहाना बनाकर कल आने को कह दिया जाता है। अब क्रय केंद्र ही बंद कर दिए। बहुत परेशान हैं, समझ नहीं आ रहा क्या करें। प्रशासन भी ध्यान नहीं दे रहा।-सत्यपाल सिंह, किसान, कुंवरपुर
सात दिन पहले बाजरा लेकर आए थे, अभी तक तुलाई नहीं हुई। रात को 12–14 ट्रैक्टर-ट्रॉली दिखती हैं और सुबह बड़े-बड़े ट्रॉले आकर पहले तुल जाते हैं। हमसे कहा जाता है कि तुम्हारा नंबर बाद में आएगा। अब नाम और मोबाइल नंबर लिख लिए हैं और कहा है कि लक्ष्य बढ़ेगा तो खरीद होगी।-लायक सिंह, किसान, गांव एहन
आठ दिन से मुश्किल से दो-तीन ट्रॉली बाजरा ही तुल पा रहा है, वह भी हंगामे के बाद। आढ़तियों के ट्रैक्टर कब आकर लग जाते हैं, पता ही नहीं चलता, किसान खड़े रह जाते हैं। किसानों के नाम पर आढ़तियों से खरीद कर लक्ष्य पूरा कर लिया गया।-राजेश कुमार, किसान, गढ़िया
शीतलहर और कोहरे में सोते हुए आठ दिन हो गए, लेकिन अभी तक बाजरा नहीं तुला। अब कहा जा रहा है कि लक्ष्य पूरा हो गया है। आठ दिन से बंदरों और निराश्रित गोवंश से ट्रैक्टर ट्राली में लदे बाजरा को बचा रहे हैं। इतने दिन बिताने के बाद सोमवार को क्रय केंद्र पर नोटिस लगा दिया गया है।-अनिल कुमार, किसान, उधैना
मायूस लौटे आठ दिन से क्रय केंद्र पर डेरा डाले रहे किसान
21 दिसंबर को अवकाश होने के बाद भी ट्रैक्टर लेकर मंडी परिसर में जमे रहे। इनमें कुछ को तो सात- आठ दिन हो गए थे। 22 दिसंबर सुबह कर्मचारियों ने लक्ष्य पूरा होने को कारण बता खरीद बंद होने का नोटिस चस्पा कर दिया। एसडीएम सदर के निर्देश पर कर्मचारी पहुंचे और किसानों के नाम व नंबर नोट किए। उन्हें आश्वासन दिया गया कि यदि लक्ष्य बढ़ता है तो सबसे पहले उन्हें बुलाया जाएगा। मायूस किसान व्यवस्था को कोसते हुए लौट गए।
बढ़ता रक्बा और बढ़ती पैदावार
2022-23 69008 160996 23.33
2023-24 78242 200969 25.69
2024-25 84182 213959 25.42
2025-26 86136 232308 26.97
(रक्बा हेक्टयेर में, उत्पादन मीट्रिक टन, पैदावार क्विंटल प्रति हेक्टेयर में-आंकड़े कृषि विभाग के)
