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Hathras News: कढ़ाई-बुनाई के काम से भविष्य संवार रहीं महिलाएं
संवाद न्यूज एजेंसी, हाथरस
Updated Fri, 05 Dec 2025 02:34 AM IST
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गांव तेहरा में सिलाई मशीन पर कार्य करती महिला। स्रोत : स्वयं
- फोटो : samvad
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सादाबाद क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं घर बैठे कढ़ाई-बुनाई का काम कर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को संवारने में अहम भूमिका निभा रही हैं। समूहों द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता और प्रशिक्षण ने इन महिलाओं के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं।
सादाबाद ब्लॉक के कई गांवों में स्वयं सहायता समूहों ने महिलाओं को एम्ब्रॉयडरी का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। पहले जहां ग्रामीण महिलाएं घर तक सीमित रहती थीं, वहीं अब प्रशिक्षण लेकर वे व्यापारिक दृष्टि से कपड़ों की कढ़ाई, डिजाइनिंग और जॉब वर्क करके अच्छा मुनाफा कमा रही हैं।
महिलाओं को समूहों की ओर से वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई गई है, जिसके जरिये उन्होंने आधुनिक एम्ब्रॉयडरी मशीनें खरीदीं। इन मशीनों पर वे सूट, दुपट्टे, ब्लाउज, लेडीज कुर्ता, बच्चों के कपड़ों सहित कई तरह के परिधानों पर डिज़ाइन तैयार कर ऑर्डर पूरे कर रही हैं। स्थानीय बाजारों के साथ-साथ आसपास के कस्बों से भी उन्हें काम मिल रहा है, जिससे उनकी आय में लगातार वृद्धि हो रही है।
महिलाओं ने बताया कि एम्ब्रॉयडरी का काम सीखने के बाद उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है। अब वे हर माह पांच से 10 हजार रुपये तक कमा लेती हैं, जिससे घरेलू खर्च में राहत मिलती है। कई महिलाएं अपनी कमाई से बच्चों की पढ़ाई और घर की जरूरतों पर खर्चा करने के बाद बचत भी कर रही हैं।
सिलाई कार्य से करीब 700 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। उपायुक्त स्वत: रोजगार प्रेमनाथ यादव ने बताया कि ग्रामीण महिलाओं को स्थानीय प्रशासन और समूह संचालकों की ओर से भी प्रोत्साहन मिल रहा है। उनकी मेहनत और कौशल ने न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं, बल्कि समाज में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को भी मजबूती दी है।
मैंने अपनी सिलाई मशीन स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ली थी। मेरे साथ अन्य 10 महिलाओं ने अपनी-अपनी मशीन लेकर काम शुरू किया। अब हमें काफी काम मिल जाता है, जिससे हमारी आमदनी भी बढ़ रही है।
-प्रीति सिंह निवासी गांव तेहरा, सादाबाद।
ग्रामीण क्षेत्र में आधुनिक सिलाई-कढ़ाई करने वाली मलिाओं की कमी थी, लेकिन स्वयं सहायता समूह के माध्यम से हमने कई प्रकार के प्रशिक्षण लिए और अब अपने खुद के काम की शुरुआत की। अब हम सिलाई-कढ़ाई का जॉब वर्क कर रहे हैं।
-कृष्णा देवी निवासी गांव सरौठ, सादाबाद।
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सादाबाद ब्लॉक के कई गांवों में स्वयं सहायता समूहों ने महिलाओं को एम्ब्रॉयडरी का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। पहले जहां ग्रामीण महिलाएं घर तक सीमित रहती थीं, वहीं अब प्रशिक्षण लेकर वे व्यापारिक दृष्टि से कपड़ों की कढ़ाई, डिजाइनिंग और जॉब वर्क करके अच्छा मुनाफा कमा रही हैं।
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महिलाओं को समूहों की ओर से वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई गई है, जिसके जरिये उन्होंने आधुनिक एम्ब्रॉयडरी मशीनें खरीदीं। इन मशीनों पर वे सूट, दुपट्टे, ब्लाउज, लेडीज कुर्ता, बच्चों के कपड़ों सहित कई तरह के परिधानों पर डिज़ाइन तैयार कर ऑर्डर पूरे कर रही हैं। स्थानीय बाजारों के साथ-साथ आसपास के कस्बों से भी उन्हें काम मिल रहा है, जिससे उनकी आय में लगातार वृद्धि हो रही है।
महिलाओं ने बताया कि एम्ब्रॉयडरी का काम सीखने के बाद उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है। अब वे हर माह पांच से 10 हजार रुपये तक कमा लेती हैं, जिससे घरेलू खर्च में राहत मिलती है। कई महिलाएं अपनी कमाई से बच्चों की पढ़ाई और घर की जरूरतों पर खर्चा करने के बाद बचत भी कर रही हैं।
सिलाई कार्य से करीब 700 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। उपायुक्त स्वत: रोजगार प्रेमनाथ यादव ने बताया कि ग्रामीण महिलाओं को स्थानीय प्रशासन और समूह संचालकों की ओर से भी प्रोत्साहन मिल रहा है। उनकी मेहनत और कौशल ने न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं, बल्कि समाज में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को भी मजबूती दी है।
मैंने अपनी सिलाई मशीन स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ली थी। मेरे साथ अन्य 10 महिलाओं ने अपनी-अपनी मशीन लेकर काम शुरू किया। अब हमें काफी काम मिल जाता है, जिससे हमारी आमदनी भी बढ़ रही है।
-प्रीति सिंह निवासी गांव तेहरा, सादाबाद।
ग्रामीण क्षेत्र में आधुनिक सिलाई-कढ़ाई करने वाली मलिाओं की कमी थी, लेकिन स्वयं सहायता समूह के माध्यम से हमने कई प्रकार के प्रशिक्षण लिए और अब अपने खुद के काम की शुरुआत की। अब हम सिलाई-कढ़ाई का जॉब वर्क कर रहे हैं।
-कृष्णा देवी निवासी गांव सरौठ, सादाबाद।