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जनपद में बिना पंजीयन के चल रहे 450 विवाह घर
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झांसी। जनपद के 500 से अधिक विवाह घरों में 50 ही वाणिज्य कर विभाग में पंजीकृत हैं। इस कारण विभाग ने अब अधिक से अधिक विवाह घरों को पंजीयन में लाने के लिए सूचनाएं एकत्रित कर कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। साथ ही पता लगा है कि जिन संचालकों ने पंजीकरण ले रखा है वे भी प्रॉपर बिलिंग नहीं करके टैक्स चोरी कर रहे रहे हैं। विवाह घर की जो सालाना आय होती है उस हिसाब से संचालक को 18 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है।
जीएसटी में 20 लाख से अधिक का वार्षिक टर्न ओवर रखने वाले विवाह घर और होटल कारोबार पर 18 प्रतिशत सर्विस टैक्स है। चूंकि, वाणिज्य कर विभाग के लिए लक्ष्य को पूरा करना मुश्किल होता जा रहा है। कोरोना महामारी के कारण भी लक्ष्य पर असर पड़ा है। इस कारण विभाग पंजीयन बढ़ाने पर जोर दे रहा है। हर क्षेत्र के व्यवसाय पर अधिकारियों की नजर है। इसी पहल के तहत जनपद के अधिक से अधिक विवाह घरों को पंजीयन के दायरे में लाने की तैयारी की जा रही है।
- जनपद के अधिक से अधिक विवाह घरों को पंजीकृत करने के प्रयास चल रहे हैं। अगर कोई संचालक ग्राहक को प्रॉपर बिल नहीं दे रहा है तो वह शिकायत कर सकता है। कार्रवाई से बचने के लिए कारोबारी टैक्स इनवाइस बिल, रसीद बुक और बिल बुक का उचित रखरखाव करें।’
बीपी मिश्रा, जोनल आयु़क्त।
ऐसे होता है कर निर्धारण
जैसे कि एक विवाह घर का एक लाख रुपये किराया है, जिसमें विवाह स्थल के अलावा फूल माला, वीडियोग्राफी और सजावट भी शामिल है। साथ ही कैटरिंग (खानपान व्यवस्था) चार लाख पर दी गई है। ऐसे में विवाह घर संचालक को पांच लाख रुपये की राशि पर 18 प्रतिशत सर्विस टैक्स जमा करना है। विवाह घर संचालक को फूल माला, सजावट, वीडियोग्राफी और कैटर्स से टैक्स लेना है। बशर्ते उनकी वार्षिक आय 20 लाख से अधिक हो। इसी तरह होटलों में प्लेट सिस्टम पर भी यहीं नियम लागू है। वाणिज्य कर विभाग इसी हिसाब से ही कर निर्धारण करता है।
कैटरिंग संचालकों की जानकारी जुटा रहे
विवाह घर संचालकों से कैटरिंग संचालकों (खानपान) की जानकारी एकत्रित की जा रही हैं। पता किया जाएगा कि अगर कैटर्स का वार्षिक टर्न ओवर 20 लाख से अधिक हैं तो वह पंजीकृत है कि नहीं। अगर, पंजीकृत नहीं हैं तो उनको पंजीयन के दायरे में लाया जाएगा।
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जीएसटी में 20 लाख से अधिक का वार्षिक टर्न ओवर रखने वाले विवाह घर और होटल कारोबार पर 18 प्रतिशत सर्विस टैक्स है। चूंकि, वाणिज्य कर विभाग के लिए लक्ष्य को पूरा करना मुश्किल होता जा रहा है। कोरोना महामारी के कारण भी लक्ष्य पर असर पड़ा है। इस कारण विभाग पंजीयन बढ़ाने पर जोर दे रहा है। हर क्षेत्र के व्यवसाय पर अधिकारियों की नजर है। इसी पहल के तहत जनपद के अधिक से अधिक विवाह घरों को पंजीयन के दायरे में लाने की तैयारी की जा रही है।
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- जनपद के अधिक से अधिक विवाह घरों को पंजीकृत करने के प्रयास चल रहे हैं। अगर कोई संचालक ग्राहक को प्रॉपर बिल नहीं दे रहा है तो वह शिकायत कर सकता है। कार्रवाई से बचने के लिए कारोबारी टैक्स इनवाइस बिल, रसीद बुक और बिल बुक का उचित रखरखाव करें।’
बीपी मिश्रा, जोनल आयु़क्त।
ऐसे होता है कर निर्धारण
जैसे कि एक विवाह घर का एक लाख रुपये किराया है, जिसमें विवाह स्थल के अलावा फूल माला, वीडियोग्राफी और सजावट भी शामिल है। साथ ही कैटरिंग (खानपान व्यवस्था) चार लाख पर दी गई है। ऐसे में विवाह घर संचालक को पांच लाख रुपये की राशि पर 18 प्रतिशत सर्विस टैक्स जमा करना है। विवाह घर संचालक को फूल माला, सजावट, वीडियोग्राफी और कैटर्स से टैक्स लेना है। बशर्ते उनकी वार्षिक आय 20 लाख से अधिक हो। इसी तरह होटलों में प्लेट सिस्टम पर भी यहीं नियम लागू है। वाणिज्य कर विभाग इसी हिसाब से ही कर निर्धारण करता है।
कैटरिंग संचालकों की जानकारी जुटा रहे
विवाह घर संचालकों से कैटरिंग संचालकों (खानपान) की जानकारी एकत्रित की जा रही हैं। पता किया जाएगा कि अगर कैटर्स का वार्षिक टर्न ओवर 20 लाख से अधिक हैं तो वह पंजीकृत है कि नहीं। अगर, पंजीकृत नहीं हैं तो उनको पंजीयन के दायरे में लाया जाएगा।