{"_id":"35-151985","slug":"Kannauj-151985-35","type":"story","status":"publish","title_hn":"तरक्की के लिए दांव पर लगा रहे बच्चों की सेहत ","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
तरक्की के लिए दांव पर लगा रहे बच्चों की सेहत
Kannauj
Updated Mon, 23 Sep 2013 05:37 AM IST
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कन्नौज। सुनने में अजीब लगे पर यह सही है कि वीवीआईपी जिले में लोगों को तरक्की के लिए बच्चों की सेहत दांव पर लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। विकास का पहिया ज्यादातर समय शहर, कसबों व आसपास के सटे गांवों में ही घूम रहा है। इससे दूरदराज के गांव उपेक्षित होने से लोगों का गुस्सा भड़कने लगा हैं।
हसेरन, सौरिख, जलालाबाद, कन्नौज, तालग्राम और उमर्दा क्षेत्र के 16 गांवों के लोगों ने बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने से इनकार करके जता दिया कि वे अब विकास कार्य कराने के लिए कमर कस चुके हैं। पोलियो की दवा बच्चों की सेहत से जुड़ी है। इसके बावजूद ग्रामीणों ने विचार-विमर्श के बाद रिस्क लिया और बच्चों से जुड़े अभियान के जरिए ठप पड़े विकास कार्यों को चालू कराने का सपना देखा है। हालांकि पोलियो अभियान का बहिष्कार वर्ष 2010, 2011, 2012 में पहले भी होता रहा है, लेकिन एक साथ इतने बड़े पैमाने पर पोलियो की दवा पिलाने से इनकार के मामले पहली बार सामने आए हैं।
हफ्तेभर से चल रही मान-मनौव्वल के बाद भी विकासखंड हसेरन के चहनापुर में 106, सौरिख के नगला धरमाई में 87, जलालाबाद के राजापुरवा में 70, कन्नौज के गदनापुर में 115, तालग्राम के छदामीपुरवा में 121, मधवापुर में 125, गोचारा में चार, उमर्दा के सिलुआपुर में 145 बच्चों ने अभी भी पोलियो की दवा नहीं पी है। खास बात यह है कि राज्यमंत्री विजय बहादुर पाल के निर्वाचन क्षेत्र उमर्दा के तीन गांव भी बहिष्कार में शामिल हुए, जिसमें कलुआपुर व उमरायपुरवा के लोग मान गए पर सिलुआपुर में बहिष्कार जारी है।
तरक्की के मामले में सौतैला व्यवहार झेल रहे गांव वालों द्वारा पोलियो बहिष्कार करने से शासन और प्रशासन के होश उड़ा रखे हैं। ऐन-केन प्रकारेण रूठे गांव वालों को मनाने के लिए अधिकारी चक्कर लगाने में जुटे हैं। जनसमस्याओं को दूर कराने के लिए अभिलेख भी खंगाले जा रहे हैं ताकि पता चले कि समस्या क्यों और किस स्तर पर लंबित है। बिजली विभाग से भी विद्युतीकरण के संबंध में जानकारियां मांगी गईं हैं। ग्रामीणों की चिरौरी करने में नेता भी सक्रिय हैं। मधवापुर के अजय दुबे, संजू त्रिपाठी, बबलू, सदन सिंह पाल, सर्वेश पाल, लल्ला तोमर का कहना है कि सीएम की मेहरबानी से कन्नौज जिले को 24 घंटे बिजली मिल रही है लेकिन उनके गांव में अंधेरा है क्योंकि विद्युतीकरण ही नहीं हुआ है। ब्लाक से लेकर जिला मुख्यालय तक गुहार लगा चुके पर नतीजा जीरो रहने पर मजबूर होकर पोलियो बहिष्कार का रास्ता चुना। इस उम्मीद के साथ कि शायद अब माननीयों व हाकिमों की नजरें उनके गांव की समस्याओं पर पड़ें।
नौ गांवों के लोगों को मनाने का दावा
कन्नौज। पोलियो अभियान का बहिष्कार करने वाले 16 में से करीब 9 गांवों की जनता को मनाने में सफलता मिलने का दावा भी स्वास्थ्य महकमे ने किया है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. आरके चंद्रा ने बताया कि 16 गांवों में पोलियो की दवा न पिलाने का ब्यौरा तैयार कर शासन-प्रशासन को भेजा जा चुका है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. पीएन वाजपेयी की अगुवाई में निरंतर ग्रामीणों को समझाया जा रहा है। अभिभावकों के बता रहे हैं कि बच्चों के स्वास्थ्य के लिए पोलियो की खुराक बेहद जरूरी है। प्रयास के बाद नेकपुर, सरफापुर, बगिया, टिकारी, उमरायपुरवा, कलुआपुर, कुड़री समेत नौ गांवों के लोग मना लिए गए हैं। इन गांवों में बच्चों को दवा पिला दी गई है। जो गांव बचे हैं वहां सोमवार को पुन: स्वास्थ्य टीम के अधिकारी व जनप्रतिनिधि जाकर गांव वालों को मनाने की कोशिशें करेंगे।
विधानसभा चुनाव में भी हुआ था बहिष्कार
कन्नौज। बीते विधानसभा चुनावों में भी विकास के मुद्दे को लेकर ग्रामीण भड़के थे। तब उमर्दा और गुगरापुर ब्लाक क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों के लोगों ने वोट डालने से इनकार किया था। गांव वालों का कहना था कि जब जीतने के बाद विधायक दूरदराज के गांवों में जाकर समस्याएं दूर कराने का प्रयास नहीं करते हैं तो उन्हें वोट देने से क्या फायदा ? चुनाव बहिष्कार के वक्त भी ग्रामीणों को अफसरों व नेताओं ने जाकर मनाया था। बाद में इन गावों में विकास की गति में तेजी भी आई।
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हसेरन, सौरिख, जलालाबाद, कन्नौज, तालग्राम और उमर्दा क्षेत्र के 16 गांवों के लोगों ने बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने से इनकार करके जता दिया कि वे अब विकास कार्य कराने के लिए कमर कस चुके हैं। पोलियो की दवा बच्चों की सेहत से जुड़ी है। इसके बावजूद ग्रामीणों ने विचार-विमर्श के बाद रिस्क लिया और बच्चों से जुड़े अभियान के जरिए ठप पड़े विकास कार्यों को चालू कराने का सपना देखा है। हालांकि पोलियो अभियान का बहिष्कार वर्ष 2010, 2011, 2012 में पहले भी होता रहा है, लेकिन एक साथ इतने बड़े पैमाने पर पोलियो की दवा पिलाने से इनकार के मामले पहली बार सामने आए हैं।
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हफ्तेभर से चल रही मान-मनौव्वल के बाद भी विकासखंड हसेरन के चहनापुर में 106, सौरिख के नगला धरमाई में 87, जलालाबाद के राजापुरवा में 70, कन्नौज के गदनापुर में 115, तालग्राम के छदामीपुरवा में 121, मधवापुर में 125, गोचारा में चार, उमर्दा के सिलुआपुर में 145 बच्चों ने अभी भी पोलियो की दवा नहीं पी है। खास बात यह है कि राज्यमंत्री विजय बहादुर पाल के निर्वाचन क्षेत्र उमर्दा के तीन गांव भी बहिष्कार में शामिल हुए, जिसमें कलुआपुर व उमरायपुरवा के लोग मान गए पर सिलुआपुर में बहिष्कार जारी है।
तरक्की के मामले में सौतैला व्यवहार झेल रहे गांव वालों द्वारा पोलियो बहिष्कार करने से शासन और प्रशासन के होश उड़ा रखे हैं। ऐन-केन प्रकारेण रूठे गांव वालों को मनाने के लिए अधिकारी चक्कर लगाने में जुटे हैं। जनसमस्याओं को दूर कराने के लिए अभिलेख भी खंगाले जा रहे हैं ताकि पता चले कि समस्या क्यों और किस स्तर पर लंबित है। बिजली विभाग से भी विद्युतीकरण के संबंध में जानकारियां मांगी गईं हैं। ग्रामीणों की चिरौरी करने में नेता भी सक्रिय हैं। मधवापुर के अजय दुबे, संजू त्रिपाठी, बबलू, सदन सिंह पाल, सर्वेश पाल, लल्ला तोमर का कहना है कि सीएम की मेहरबानी से कन्नौज जिले को 24 घंटे बिजली मिल रही है लेकिन उनके गांव में अंधेरा है क्योंकि विद्युतीकरण ही नहीं हुआ है। ब्लाक से लेकर जिला मुख्यालय तक गुहार लगा चुके पर नतीजा जीरो रहने पर मजबूर होकर पोलियो बहिष्कार का रास्ता चुना। इस उम्मीद के साथ कि शायद अब माननीयों व हाकिमों की नजरें उनके गांव की समस्याओं पर पड़ें।
नौ गांवों के लोगों को मनाने का दावा
कन्नौज। पोलियो अभियान का बहिष्कार करने वाले 16 में से करीब 9 गांवों की जनता को मनाने में सफलता मिलने का दावा भी स्वास्थ्य महकमे ने किया है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. आरके चंद्रा ने बताया कि 16 गांवों में पोलियो की दवा न पिलाने का ब्यौरा तैयार कर शासन-प्रशासन को भेजा जा चुका है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. पीएन वाजपेयी की अगुवाई में निरंतर ग्रामीणों को समझाया जा रहा है। अभिभावकों के बता रहे हैं कि बच्चों के स्वास्थ्य के लिए पोलियो की खुराक बेहद जरूरी है। प्रयास के बाद नेकपुर, सरफापुर, बगिया, टिकारी, उमरायपुरवा, कलुआपुर, कुड़री समेत नौ गांवों के लोग मना लिए गए हैं। इन गांवों में बच्चों को दवा पिला दी गई है। जो गांव बचे हैं वहां सोमवार को पुन: स्वास्थ्य टीम के अधिकारी व जनप्रतिनिधि जाकर गांव वालों को मनाने की कोशिशें करेंगे।
विधानसभा चुनाव में भी हुआ था बहिष्कार
कन्नौज। बीते विधानसभा चुनावों में भी विकास के मुद्दे को लेकर ग्रामीण भड़के थे। तब उमर्दा और गुगरापुर ब्लाक क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों के लोगों ने वोट डालने से इनकार किया था। गांव वालों का कहना था कि जब जीतने के बाद विधायक दूरदराज के गांवों में जाकर समस्याएं दूर कराने का प्रयास नहीं करते हैं तो उन्हें वोट देने से क्या फायदा ? चुनाव बहिष्कार के वक्त भी ग्रामीणों को अफसरों व नेताओं ने जाकर मनाया था। बाद में इन गावों में विकास की गति में तेजी भी आई।