UP: अखिलेश और साथियों की 12 से अधिक कंपनियां, काला धन सफेद करने की आशंका, अब नई खंडपीठ करेगी सुनवाई…ये है वजह
Kanpur News: जेल में बंद अधिवक्ता अखिलेश दुबे और उसके परिवार वालों के खिलाफ वक्फ की संपत्ति पर कब्जा करने के आरोप में ग्वालटोली थाने में एक रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इस मुकदमे में अखिलेश दुबे, उसके भाई सर्वेश, भतीजी सौम्या व राजकुमार शुक्ला की ओर से याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल की गई हैं।

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कानपुर में एसआईटी व एलआईयू को अखिलेश दुबे और उसके साथियों की 12 से अधिक कंपनियों और संस्थाओं का पता चला है। आशंका है कि इनका उपयोग कालेधन को एक नंबर में करने में किया गया है। यह जानकारी प्रारंभिक जांच में कंपनी रजिस्ट्रार कार्यालय से मिली है। अधिकारियों के मुताबिक, पुलिस कमिश्नर कार्यालय में अखिलेश दुबे और उसके साथियों के खिलाफ शिकायत करने वाले कई लोगों ने अलग कंपनियां बनाकर नंबर दो का धन एक नंबर में करने की बात बताई।

ऐसे ही बयान कुछ लोगों ने एसआईटी को भी दिए जिस पर एलआईयू और पुलिस की ओर से आरोपियों से जुड़ी कंपनियों की तलाश हुई। पुलिस सूत्र बताते हैं कि करीब एक दर्जन के आसपास कंपनियां और संस्थाएं ऐसी हैं जिनको दूसरे के नाम संचालित किया गया। इसमें अलग-अलग कार्याें के लिए रुपयों का आदान-प्रदान करने की आशंका है। एलआईयू और एसआईटी कंपनियों, संस्थाओं और सोसाइटियों के पदाधिकारियों से भी पूछताछ कर सकती है। पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार के निर्देश पर सभी की डिटेल निकाली जा रही है। कुछ कंपनियों के बोगस होने की भी आशंका है।

शासन ने जमीन के मौजूदा सर्किल रेट की मांगी जानकारी
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, क्षेत्राधिकारी ऋषिकांत शुक्ला, संतोष सिंह, विकास कुमार पांडेय, इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी और केडीए के पूर्व कर्मचारी महेंद्र सोलंकी, वर्तमान कर्मचारी कश्यपकांत दुबे की रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। इसमें उनके अखिलेश दुबे से संबंध होने के साथ ही जमीन से जुड़े मामलों में संलिप्तता होने की जानकारी दी गई है। कुछ अधिकारियों की संपत्तियों के बारे में भी रिपोर्ट भेजी गई है जिसमें पैतृक जमीनों के साथ अलग-अलग शहरों में लिए गए प्लॉट भी शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि लखनऊ से एक पत्र आया है जिसमें उन संपत्तियों के मौजूदा सर्किल रेट बताने के लिए कहा गया है।

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति ने खुद को अखिलेश मामले में सुनवाई से किया अलग
जेल में बंद अधिवक्ता अखिलेश दुबे और उसके परिवार वालों के खिलाफ वक्फ की संपत्ति पर कब्जा करने के आरोप में ग्वालटोली थाने में एक रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इस मुकदमे में अखिलेश दुबे, उसके भाई सर्वेश, भतीजी सौम्या व राजकुमार शुक्ला की ओर से याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल की गई हैं। इन पर मंगलवार को न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति राजीव लोचन शुक्ला की खंडपीठ में सुनवाई होनी थी, लेकिन न्यायमूर्ति राजीव लोचन शुक्ला ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है। कहा जा रहा है कि वह पूर्व में अखिलेश दुबे के अधिवक्ता रह चुके हैं इसलिए उन्होंने मामले की सुनवाई से इन्कार किया है। मुख्य न्यायमूर्ति से नई पीठ के गठन की मांग की गई है। अगली सुनवाई 18 सितंबर को हो सकती है।

संजय और अरिदमन की जमानत अर्जियां खारिज
जेल में बंद अधिवक्ता दीनू उपाध्याय के भाई अधिवक्ता संजय उपाध्याय और बार एसोसिएशन के पूर्व मंत्री अरिदमन सिंह की जमानत अर्जियां अपर जिला जज चतुर्थ शुचि श्रीवास्तव ने खारिज कर दीं। यशोदानगर निवासी बृजराज सिंह राजावत और बर्रा-8 हरी मस्जिद निवासी कासिम रजा ने नौबस्ता थाने में दो अलग-अलग रिपोर्ट दर्ज कराई थीं। इसमें संजय व अरिदमन के खिलाफ सहअभियुक्तों के साथ मिलकर सरकारी जमीन को कूटरचित दस्तावेज तैयार कर अपनी निजी आराजी बताकर कब्जा करने, बेचने, इकरारनामा करने, वादी के विरोध करने पर डरा-धमकाकर, हमला करने, रंगदारी वसूलने व जानमाल की धमकी देने के आरोप हैं। संजय उपाध्याय 19 जुलाई और अरिदमन सिंह 26 अगस्त से जेल में बंद हैं।