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Kanpur: अखिलेश दुबे को 37 शिकायतों में क्लीनचिट, छह की चल रही जांच, एसआईटी की जांच में नहीं मिले साक्ष्य

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: शिखा पांडेय Updated Thu, 27 Nov 2025 11:39 PM IST
सार

अखिलेश दुबे को 37 शिकायतों में क्लीनचिट मिली है। ऑपरेशन महाकाल के अंतर्गत लोगों ने शिकायतें की थी। बिना कारण आरोप लगाए गए थे। कुछ मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं।

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Kanpur: Akhilesh Dubey has been cleared in 37 complaints, six are under investigation
अधिवक्ता अखिलेश दुबे - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भाजपा नेता रवि सतीजा को दुष्कर्म के झूठे मामले में फंसाकर 50 लाख की रंगदारी मांगने के आरोप में जेल गए अधिवक्ता अखिलेश दुबे को बड़ी राहत मिली है। उसके खिलाफ आईं 43 शिकायतों में से 37 में एसआईटी ने क्लीनचिट दे दी है। पुलिस कमिश्नर रघुबीर लाल ने छह मामलों में डिजिटल साक्ष्य, गवाहों के बयान और अन्य तकनीकी सबूत एकत्रित करने के निर्देश दिए हैं।

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छह अगस्त 2025 को भाजपा नेता रवि सतीजा ने बर्रा थाने में अखिलेश दुबे, लवी मिश्रा, टोनू यादव, विमल यादव, अभिषेक बाजपेई समेत अन्य पर विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने अखिलेश दुबे और लवी मिश्रा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया। इसके बाद अखिलेश दुबे और उसके साथियों पर दो किदवईनगर, कोतवाली में अन्य मामलों में प्राथमिकी दर्ज हुई, जबकि जूही क्षेत्र के 15 साल पुराने मामले में फिर से जांच शुरू हो गई। यह कार्रवाई एसआईटी की जांच के बाद हुई थी। तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने सितंबर में ऑपरेशन महाकाल लाॅन्च कर दिया। इसमें अखिलेश दुबे के अलावा कई जमीनों पर कब्जा करने और अन्य अपराधियों के खिलाफ शिकायतें आईं। पुलिस कमिश्नर कार्यालय से एसआईटी को बारीबारी से जांच दी गई। अखिलेश दुबे और उसके साथियों के खिलाफ नई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई।
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इस बीच शिकायत करने वालों ने अखिलेश दुबे मुक्ति मोर्चा बनाया और पुलिस अधिकारियों को जांच में सहयोग करने की बात कही। नवंबर में अखिल कुमार को डिजिटल इंडिया का सीईओ बनाकर भेज दिया, जबकि एडीजी रघुबीर लाल को पुलिस कमिश्नर बनाया गया। उनके आने पर एसआईटी की जांच को लेकर तरह-तरह की बातें होने लगीं। हालांकि पुलिस कमिश्नर रघुबीर लाल ने पहले ही दिन आकर एसआईटी के अधिकारियों से बातचीत की थी। उनसे जांच के संबंध में जानकारी की थी। उन्होंने एसआईटी के अधिकारियों को बेहतर जांच के निर्देश दिए थे। बीच बीच में समीक्षा भी हुई। एसआईटी ने गुरुवार को जांच पूरी कर ली है। इसमें 43 शिकायतों में से 37 में क्लीनचिट मिल गई हैं। उनमें पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं, जबकि वक्फ से संबंधित चार मामलों की जांच जिला प्रशासन कर रहा है। करीब 10 के आसपास मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। छह शिकायतों की जांच चल रही है। दो शिकायतकर्ता ऐसे भी मिले हैं, जिन्होंने एसआईटी के अधिकारियों के सामने कहा है कि उन्होंने कोई शिकायत नहीं दी थी। उनके मामले को हटा दिया गया है।

अखिलेश दुबे के खिलाफ आई 37 शिकायतों में कोई पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिला है। छह मामलों में एसआईटी को डिजिटल साक्ष्य, गवाहों के बयान, सीडीआर और अन्य सबूत एकत्रित करने के निर्देश दिए गए हैं। - रघुबीर लाल, पुलिस कमिश्नर कानपुर


इन शिकायतों में नहीं मिले साक्ष्य
पुलिस कमिश्नर रघुबीर लाल के मुताबिक, अखिलेश दुबे के खिलाफ अधिकतर दी गई शिकायतें जमीन से संबंधित मामलों में थी। इनमें शिकायतकर्ता की ओर से साक्ष्य नहीं दिए गए।

- अखिलेश दुबे के खिलाफ केडीए की जमीन पर कब्जा करने के आरोप लगाकर शिकायत हुई।
- वादी की संपत्ति को अखिलेश दुबे की संपत्ति बता दिया गया। यह बात एक समाचार पत्र में छपी थी।
- अखिलेश दुबे ने एक कमरा लिया था जहां आरोप लगाने वाली लड़कियां रहती थीं। जांच में कमरा सिपाही का निकला।
- गोविंदनगर और सिविल लाइंस में किरायेदारी के विवाद में अखिलेश दुबे पर धमकी देने की शिकायत की गई थी।
- पति को बंधक बनाकर मारपीट करने और धमकी देने का आरोप।
- बिधनू में एयरफोर्स कर्मी की पत्नी ने अखिलेश दुबे की साथी महिला पर पति पर झूठी एफआईआर कराने का आरोप लगाया था।
- भाई और पिता के बीच के विवाद में अखिलेश दुबे का नाम ले लिया गया।
- अखिलेश दुबे के साथ मिलीभगत कर बेटे पर झूठी एफआईआर कराने का आरोप।
- बिधनू की 36 बीघे से अधिक जमीन पर अखिलेश दुबे ने कब्जा कर लिया।
- केडीए की कार्रवाई के दौरान अखिलेश दुबे के साथियों ने मारपीट की थी।
- अखिलेश दुबे ने रेलवे की जमीन पर कब्जा कर प्लॉटिंग करा दी।

जांच एजेंसियों पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। पुलिस स्वतंत्र जांच एजेंसी है उसकी जांच सर्वमान्य है। सीएम योगी की सरकार में अन्याय नहीं हो सकता है। पुलिस कमिश्नर जो भी करेंगे वह जनहित में ही होगा। - रवि सतीजा,भाजपा नेता

अखिलेश के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने वाले शैलेंद्र पर पुलिस ने तहरीर मिलते ही रिपोर्ट दर्ज कर ली जबकि अखिलेश के परिवार ने मेरे खिलाफ जो अभद्र टिप्पणी की हैं। उसकी शिकायत डीसीपी साउथ से करने के बाद भी रिपोर्ट दर्ज नहीं हो रही है। - पीड़िता, होटल कारोबारी

इन मामलों में होगी जांच
- गोविंदनगर के तत्कालीन इंस्पेक्टर धनंजय पांडेय के खिलाफ युवती के कोर्ट में दिए गए बयान के विपरीत चार्जशीट दाखिल करने का आरोप। इस मामले में अखिलेश के दबाव में आकर कार्रवाई करने का आरोप भी लगा है।
- अधिवक्ता की ओर से अखिलेश दुबे के साथी टोनू यादव पर व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से धमकी देने का आरोप है।
- गोविंदनगर के कारोबारी की ओर से 2015 में धमकाने और बेइज्जती करने की शिकायत दी गई है।
- जयकांत बाजपेई के भाई रजयकांत बाजपेई के साथ अखिलेश दुबे के साजिश रचने का आरोप।
- गोविंदनगर की एक दुकान पर अखिलेश दुबे द्वारा कब्जा करने का आरोप।
- केडीए वीसी के पीए कश्यपकांत दुबे और अखिलेश दुबे के बीच सांठगांठ होने की शिकायत।
- निरालानगर में कर्मचारी नेता भूपेश अवस्थी के खिलाफ सरकारी जमीन को प्लाॅट बताकर बेचने की शिकायत।
- श्यामनगर के पूर्व पार्षद की ओर से फर्जी मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने और धमकी देने का आरोप।

सरकार और न्यायपालिका पर पूरा भरोसा
अखिलेश दुबे की बेटी आंचल दुबे का कहना है कि उन्हें योगी सरकार और न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। अगर निष्पक्ष विवेचना होगी तो सच्चाई सामने आ जाएगी कि किस तरह कई साल पुराने मामले में एफआईआर दर्ज कर उनके पिताजी को फंसाया जा रहा है। उनके मुताबिक कुछ समय पहले एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें बार के अध्यक्ष एक कारोबारी से बात करते सुने जा सकते हैं। उसमें सब साफ है कि किस तरह विवादित जमीन के मामले में फर्जी प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इस ऑडियो को अधिकारियों को संज्ञान में लेना चाहिए। उसको संज्ञान में लेने से सच सबके सामने आ जाएगा। उनके पिता पर एफआईआर कराने वालों का आपराधिक इतिहास है। कई एफआईआर दर्ज हैं।

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