महिला आयोग Vs जेसीपी: विवाद में बैकफुट पर पुलिस…बदलते रुख पर सवाल, अनीता गुप्ता ने दागे सवाल, कही ये बात
Kanpur News: कानपुर में महिला आयोग सदस्य अनीता गुप्ता और जेसीपी के बीच विवाद पर पुलिस कमिश्नर ने इसे गलतफहमी बताकर शांत करने की कोशिश की; लेकिन अनीता गुप्ता ने जेसीपी पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की मांग करते हुए डीजीपी को पत्र लिखकर मामले को और हवा दे दी है।
विस्तार
कानपुर में राज्य महिला आयोग सदस्य अनीता गुप्ता के बर्रा थाने में निरीक्षण करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। जेसीपी क्राइम एंड हेडक्वार्टर ने पत्र में लिखी भाषा को लेकर विपक्ष भी सामने आ गया, तो पुलिस बैकफुट पर नजर आ रही है। पुलिस कमिश्नर रघुबीर लाल ने बयान जारी कर पूरे विवाद को गलतफहमी करार दिया है। वहीं, अनीता गुप्ता ने डीजीपी को पत्र लिखकर कई सवाल दागे हैं। जेसीपी पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की भी मांग की है।
मंगलवार को बर्रा थाने में महिला आयोग सदस्य के निरीक्षण के बाद जेसीपी क्राइम एवं हेडक्वार्टर विनोद कुमार सिंह ने पत्र जारी करते हुए निरीक्षण पर आपत्ति जताई थी। साथ ही पत्र में कई अनुचित शब्दों का प्रयोग किया था। बुधवार को पत्र सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुए। इसके बाद विपक्ष नेताओं ने जेसीपी की चिट्ठी को अत्यंत आपत्तिजनक बताते हुए सत्ता में चूर नौकरशाही मानसिकता बताया था।
किसी शिकायत के समाधान के लिए थाने गई थीं
एक के बाद एक विपक्ष नेताओं ने पुलिस के कार्य और भाषा शैली पर सवाल उठाए थे। राजनीतिक हलचल बढ़ने के बाद पुलिस कमिश्नर ने गुरुवार को अनीता गुप्ता और जेसीपी दोनों से वार्ता की। इसके बाद पुलिस कमिश्नर ने कहा कि महिला आयोग की सदस्य के अनुसार वह किसी शिकायत के समाधान के लिए थाने गई थीं। ऐसी विजिट कोई भी व्यक्ति कर सकता है। इसके बावजूद जेसीपी विनोद कुमार द्वारा भेजे गए पत्र में ऐसे शब्द आ गए, जिनसे अनावश्यक भ्रम पैदा हुआ।
कठोर से कठोर दंडात्मक कार्रवाई करना सुनिश्चित करें
बातचीत के बाद सभी भ्रम दूर हो गए हैं और अब किसी पक्ष को आपत्ति नहीं है। वहीं, डीजीपी को अनीता ने पत्र भेजकर कहा कि कानपुर नगर में उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के कार्यों को गतिमान करना है, तो पत्र संज्ञान लेते हुए ऐसे पुलिस अधिकारियों पर कठोर से कठोर दंडात्मक कार्रवाई करना सुनिश्चित करें, ताकि भविष्य में ऐसे पत्र जारी कर उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के सदस्यों को अपमानित न होना पड़े।
पुलिस का बदला रुख और सवाल न खड़े कर दे
वायरल जेसीपी का पत्र महिला आयोग के निरीक्षण को अधिकार क्षेत्र से बाहर बता रहा था। अब पुलिस कमिश्नर का बयान पूरी तरह उलट है। बयान में कहा गया कि शिकायत होने पर कोई भी व्यक्ति थाने जा सकता है। गलतफहमी शब्दों से पैदा हुई। यह बदलता रुख विपक्ष को और सवाल उठाने का मौका दे रहा है। यदि संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान है तो पुलिस को पहले ही यह भाषा क्यों नहीं सूझी।
सहयोग से ही महिलाओं की सुरक्षा संभव
सीपी रघुबीर लाल ने कहा कि आपसी तालमेल और सहयोग से ही महिलाओं का सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब दोनों पक्षों में कोई विवाद नहीं रहा है।
आयोग अध्यक्ष बोलीं, सभी को लखनऊ बुलाकर करेंगी बात
गुरुवार को पुलिस कमिश्नर ने आयोग की अध्यक्ष बबीता सिंह चौहान से फोन पर वार्ता की है। इस संबंध में अध्यक्ष बबीता सिंह का कहना है कि वह अभी लखनऊ से बाहर हैं, जल्द ही आकर आयोग की सदस्य अनीता गुप्ता और पुलिस कमिश्नर व संबंधित पुलिस अधिकारी को लखनऊ बुलाकर इस प्रकरण पर बातचीत की जाएगी। उसके बाद कोई फैसला लिया जाएगा। आयोग की अध्यक्ष ने दिन में अनीता गुप्ता से भी बात की थी। यह भी पता चला है कि पुलिस कमिश्नरी से अनीता गुप्ता से कोई संपर्क नहीं किया गया।
महिला आयोग सदस्य ने उठाए ये सवाल
- पुलिस के पत्र में लिखा है कि कानूनी प्राविधानों एवं निर्धारित क्षेत्राधिकारों के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के सदस्यों को पुलिस थानों का सीधे निरीक्षण करने का अधिकार प्राप्त नहीं है। मैंने थाना बर्रा में महिला हेल्प डेस्क के कार्यों का अवलोकन किया न कि थाने का। यह उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के सदस्य के कार्यक्षेत्र की परिधि में आता है। महोदय ने किस आधार और किस अधिकार से मेरे कार्यक्षेत्र का निर्धारण किया। जिस कार्य को मैंने किया ही नहीं, उसे कैसे अंकित किया और चेतावनी दी गई।
- पत्र में कहा गया कि ऐसे निरीक्षण से दैनिक पुलिस कार्य में अनावश्यक व्यवधान उत्पन्न होता है। मैं जानना चाहती हूं मेरे अवलोकन से कौन सी आपात स्थिति हेल्प डेस्क पर थी और कैसे उस समय दैनिक कार्य प्रभावित हुआ। पुलिस का ऐसा कौन सा कार्य गतिमान होने से वंचित रहा।
- संयुक्त पुलिस आयुक्त का चेतावनी भरा आदेश है कि दृढ़तापूर्वक अपेक्षा की जाती है कि आप अपने प्रदत्त अधिकारों एवं शक्तियों के अंतर्गत कार्य करें। महिला आयोग की सदस्य ने आपत्ति जताई कि किन नियमों व संविधान प्रदत्त अधिकारों के उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के सदस्य संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति को चेतावनी, कार्य निर्धारण तथा आदेश दिया गया है।
- पत्र पर प्रतिलिपि प्रेषित नंबर 03 पर आयोग की सदस्य को अनधिकृत व्यक्ति कहा है। कहा गया है कि पुलिस थाना परिसर का निरीक्षण ऐसे किसी अनधिकृत व्यक्ति द्वारा कदापि न किया जाए। मैं जानना चाहती हूं कि क्या महिला आयोग की सदस्य अनधिकृत व्यक्ति हैं। क्या जन सुविधा, जनहित तथा जन सुरक्षा के लिए बने पुलिस थानों में जाना भारत के नागरिक का अधिकार नहीं है। ऐसे में संयुक्त पुलिस आयुक्त से पूछकर बताना चाहिए कि कानपुर में उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का कार्य होगा।
- महोदय उपरोक्त के संदर्भ में आपसे यह अनुरोध किया जाता है कि यदि आयोग का कार्य जो महिला उत्पीड़न के परिप्रेक्ष्य में त्वरित न्याय देने के लिए है का कार्य पुलिस की उपस्थित्ति व सहयोग के बिना पूरा नहीं किया जा सकता। संयुक्त पुलिस आयुक्त महोदय ने पत्र पूरे पुलिस कमिश्नरेट कानपुर में भेजकर आयोग के कार्य में असहयोग करने को पुलिस अधिकारियों को बाध्य किया है। मुझे ऐसा लगता है कि अब उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का कार्य कानपुर महानगर में नही किया जा सकेगा।