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घाटमपुर: वृद्ध की गला रेतकर हत्या, पुलिस हत्या की गुत्थी में उलझी, बकरियों को ही मानता था अपना परिवार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, घाटमपुर Published by: शिखा पांडेय Updated Sat, 01 Aug 2020 11:13 PM IST
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Ruthless killing of old in ghatampur up
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : गूगल
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भीतरगांव में साढ़ थाना क्षेत्र के पसेमा गांव में शुक्रवार की रात 75 वर्षीय वृद्ध की गला रेतकर निर्मम हत्या कर दी गई। शनिवार सुबह पड़ोसियों ने चारपाई पर रक्तरंजित शव पड़ा देखकर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने पहले लूटपाट के इरादे से हत्या होने की आशंका जताई लेकिन, मृतक के कुर्ते की जेब में रुपये सही-सलामत पड़े हुए थे, जिससे हत्या की गुत्थी उलझ गई।
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गांव निवासी महादेव सविता (75) अपने मकान में अकेला ही रहता था। उसकी पत्नी का देहांत काफी दिन पहले हो गया था। उसके कोई संतान भी नहीं थी। उसका एक भाई है जो अपने परिवार के साथ लुधियाना में रह रहा है। पसेमा गांव में महादेव घर पर बकरी पालन करके अपना पेट पाल रहा था।
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खेती के नाम पर गांव में एक जगह सात-आठ विस्वा भूमि बताई गई जोकि परती पड़ी हुई है। गुरुवार को उसने चार बकरे 18 हजार रुपये में बेचे थे। व्यापारी ने शुक्रवार को भुगतान भी कर दिया था। व्यापारी से मिले रुपये पड़ोसी से गिनवाए थे।

शुक्रवार रात अज्ञात हत्यारे ने महादेव की गला रेतकर हत्या कर दी। सीओ घाटमपुर रवि कुमार सिंह और साढ़ थानाध्यक्ष देवेंद्र रावत ने प्रथम दृष्टा मामला लूटपाट का होने के शक में जांच पड़ताल शुरू की। फोरेंसिक टीम को बुलाया गया।

लेकिन, मृतक की तलाशी के दौरान उसके कुर्ते की एक जेब में 18 हजार जबकि, दूसरी जेब में 1900 रुपये बरामद हुए। कुर्ते की जेब से रुपये मिलते पुलिस का शक बेबुनियाद निकला। इधर, मृतक महादेव सविता के भांजे रमेश सविता निवासी ग्राम ककरहिया (पतारा) की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है।

भाई की मौत की सूचना पाकर पसेमा आई मृतक की बहन शंकुतला ने बताया कि भैया किसी तरह चूल्हे पर खाना बनाकर खाते थे। उनके हाथ-पैर भी काम नहीं करते थे। पड़ोसी अक्सर अपने घर से खाना बनाकर देते रहते थे। शनिवार सुबह चारपाई के नीचे एक जूठी थाली भी पड़ी मिली।

बकरियों को ही मानता था अपना परिवार 
एकाकी रह रहे वृद्ध ने घर पर पली बकरियों को ही अपना परिवार मानता था। वह उनका दूध बेचकर अपनी रोजी रोटी का जुगाड़ करता था। करीब दस बकरियां पली थीं, जिनमें चार बकरे बेचे थे। जमापूंजी के नाम पर टूटा मकान, खुले आंगन में बना ईंटों का चूल्हा और खाना पकाने के दो-चार पुराने बर्तन थे। रात में मकान के आंगन में ही पड़ी टूटी चारपाई पर सोता था।
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