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HMPV Prevention: घबराएं नहीं…एचएमपीवी की है सहज दवाई, खूब पीएं पानी और भीड़ में रखें सावधानी, इनका रखें ध्यान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Thu, 09 Jan 2025 10:00 AM IST
सार

HMPV Prevention Strategies: एचएमपीवी संक्रमण से ठंड लगने जैसे लक्षण उभरते हैं। इसमें सांस तंत्र के ऊपरी हिस्से में संक्रमण होता है। अगर किसी को संक्रमण हो गया, तो तीन से छह दिन बाद पता चलता है। इसमें बुखार, खांसी, नाक बहना, गले में खराश, थकान, सिरदर्द, एवं मांसपेशियों में दर्द होता है।
 

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ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) - फोटो : Adobe stock
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विस्तार
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ह्युमन मेटा न्यूमो वायरस (एचएमपीवी) की देश में दस्तक के साथ ही स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। वर्तमान में देश में बुधवार तक 11 मामले सामने आ चुके हैं। चिकित्सकों के मुताबिक लोगों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है। अमूमन यह जाड़े के दिनों में फैलता है और जुकाम, बुखार खांसी, सीने में जकड़न आदि करता है। इससे बचाव का सबसे सहज तरीका ठंड के बावजूद लगातार पानी पीते रहना है। साथ ही भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना, फ्लू जैसे लक्षणों वाले मरीजों से दूरी रखना आदि सावधानियां बरतना है।

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नया नहीं है वायरस
ह्युमन मेटा न्यूमो वायरस (एचएमपीवी) न्यूमोविरडी वायरस परिवार का वारिस है। एचएमपीवी 60 साल से वातावरण में मौजूद है। इसकी पहचान बाद में हुई है। यह मौसमी बीमारी की श्रेणी में आता है। अमूमन इसका संक्रमण पता ही नहीं चलता है। फ्लू जैसे लक्षण वाला यह कोई नया वायरस नहीं है। पहली बार वर्ष 2001 में इसके बारे में पता चला। नीदरलैंड में बच्चों को यह संक्रमण पाया गया था। देश में पहली बार 2003 में इस वायरस की पुष्टि हुई थी। बीजे मेडिकल कॉलेज और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे ने पहली बार बच्चों में इसकी पुष्टि की थी।

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ऊपरी सांस तंत्र में होता संक्रमण, 10 दिन में खुद ठीक हो जाता
एचएमपीवी संक्रमण से ठंड लगने जैसे लक्षण उभरते हैं। इसमें सांस तंत्र के ऊपरी हिस्से में संक्रमण होता है। अगर किसी को संक्रमण हो गया, तो तीन से छह दिन बाद पता चलता है। इसमें बुखार, खांसी, नाक बहना, गले में खराश, थकान, सिरदर्द, एवं मांसपेशियों में दर्द होता है। गंभीर रोगियों में घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ एवं निमोनिया के लक्षण आते हैं। अमूमन 10 दिन के अंदर इसका संक्रमण खुद ही ठीक हो जाता है। कुछ रोगियों में जटिलताएं उभर आती हैं। इसकी वैक्सीन नहीं है। लक्षणों के आधार पर ही इलाज होता है। संक्रमण से बचाव सबसे बेहतर है।

इन्हें हो सकती है दिक्कत
यह वायरल संक्रमण छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरनाक है। इसकी वजह यह है कि छोटे बच्चों और बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसके अलावा कैंसर, लिवर और गुर्दा रोगी जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उनमें भी जटिलताएं उभर आती हैं। इससे निमोनिया हो जाता है।

इनका रखें ध्यान, होगा वायरस से बचाव

  • ठंड में जरूरत न महसूस होने, खांसी-जुकाम, बुखार होने के बावजूद नियमित अंतराल में पानी पीते रहें। शरीर में पानी की कमी न होने दें। इससे शरीर में थक्का नहीं बनता और कमजोरी नहीं आती। वायरल संक्रमण से लड़ने में पानी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की सहायता करता है।
  • भीड़भाड़ वाली जगहों पर न जाएं I जाना पड़े तो मास्क पहन कर रखें I खांसने अथवा छींकने वाले व्यक्तियों से उचित दूरी बना कर रखें I
  • अपने आंख, नाक, मुंह को बगैर हाथ धोए न छुएं I अक्सर छुई जाने वाली सतहों को नियमित सेनेटाइज करें।
  • साबुन और पानी से नियमित हाथ धोएं।अन्य साफ-सफाई बरतें।
  • पौष्टिक आहार लें और बाहर की तथा ठंडी चीजों से परहेज करें।

जैसा सीनियर फिजीशियन डॉ. नंदिनी रस्तोगी और चेस्ट फिजीशियन डॉ. राजीव कक्कड़ ने बताया है।

हैलट में 22 बेड, वेंटिलेटर आरक्षित
एचएमपीवी के संबंध में शासन के निर्देशों के बाद हैलट के मैटरनिटी ब्लॉक में 22 बेड आरक्षित कर दिए गए हैं। इसके साथ दो वेंटिलेटर, दो बाईपेप, दो एचएनएफसी आरक्षित कर दिए गए हैं। इसके साथ ही दवाओं की व्यवस्था कर दी गई है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि शासन के निर्देश मिल गए हैं। सारी तैयारी पूरी है। डॉक्टरों को सतर्क कर दिया गया है। रोगियों के लिए अलग से बेड की व्यवस्था के निर्देश मिले हैं। अगर कोई संदिग्ध रोगी आता है तो उसका सैंपल जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे भेजा जाएगा। अभी जांच की व्यवस्था पुणे में है। सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी ने बताया कि अगर कोई संदिग्ध रोगी आता है तो अस्पताल इसकी सूचना देंगे। जनता से अपील है कि एहतियात बरतें। मास्क लगाकर बाहर निकलें। खांसी आए तो मुंह पर रुमाल रखें। लक्षण वाले रोगी को अलग रखें। इससे संक्रमण फैलने से बचाव होगा।

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