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Lakhimpur Kheri News: मां-बाप से मज़बूत नहीं कोई सहारा...
संवाद न्यूज एजेंसी, लखीमपुर खीरी
Updated Thu, 11 Dec 2025 11:19 PM IST
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मुशायरे में कलाम पेश करते शायर। स्रोत: आयोजक
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लखीमपुर खीरी। सामाजिक संस्था बज़्म फरोगे अदब की ओर से आयोजित 17वां तरही मुशायरा खीरी कस्बे के मदरसा सुल्ताने हिंद में बड़े अदबी माहौल में हुआ। मुशायरे की शुरुआत नात पाक से हुई और आगाज़ वसीक रज़ा ने अपने शेर चेहरा रखूं मैं सामने उनकी है तमन्ना, करवट भी मुझे वो तो बदलने नहीं देते से किया।
मेहमाने-ख़ुसूसी नफ़ीस वारसी ने अपनी गजल में मां-बाप का दर्जा यूं बयान किया कि मां-बाप से मज़बूत नहीं कोई सहारा, मां-बाप कभी पांव फिसलने नहीं देते। निज़ामत कर रहे इलियास चिश्ती ने सुनाया फूलों में तेरा अक्स नजर आता है मुझको, इस वास्ते फूलों को मसलने नहीं देते। सदारत कर रहे आमिर रज़ा पम्मी ने पढ़ा महबूब से मिलने की तलब इतनी है उनको, कंधा भी कहारों को बदलने नहीं देते।
डॉ. एहराज अरमान, उमर हनीफ़ कुरैशी, सैयद सलमान अहमद रिज़वी, मंसूर मेहवार, आसिफ अंसारी, अय्यूब अंसारी और हसन अंसारी ने भी तरही मिसरे पर खूबसूरत अशआर पेश किए, जिन्हें श्रोताओं की खूब दाद मिली।
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डॉ. एहराज अरमान, उमर हनीफ़ कुरैशी, सैयद सलमान अहमद रिज़वी, मंसूर मेहवार, आसिफ अंसारी, अय्यूब अंसारी और हसन अंसारी ने भी तरही मिसरे पर खूबसूरत अशआर पेश किए, जिन्हें श्रोताओं की खूब दाद मिली।