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Lalitpur News: जिले में डिप्थीरिया की दस्तक, 24 घंटे में मिले दो नए मरीज
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संक्रमितों की संख्या बढ़कर पांच, टीकाकरण व जागरूकता अभियान की खुली पोल
संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। गला घोंटू (डिप्थीरिया) जैसी खतरनाक बीमारी को समाप्त करने के स्वास्थ्य विभाग के दावों के बीच जिले में इसके मरीज लगातार सामने आ रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में बीते 24 घंटे के भीतर डिप्थीरिया से ग्रस्त दो नए मरीजों की पहचान की गई है। इसके साथ ही जिले में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है।
जनपद में डिप्थीरिया ने धीरे-धीरे पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में चार मरीज ही दर्ज हैं। बताया गया कि एक मरीज ओपीडी में चिकित्सक को दिखाने के बाद अपने बच्चे को इलाज के लिए सीधे ग्वालियर ले गया, जिससे उसका विवरण विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो सका।
चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों का पूर्ण टीकाकरण न होना इस बीमारी के फैलने का प्रमुख कारण है। शुक्रवार को तालबेहट क्षेत्र के ग्राम रानीपुरा निवासी सात वर्षीय बच्ची में डिप्थीरिया के लक्षण पाए गए। चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद बच्ची को झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया।
जिला प्रभारी एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. देशराज ने बताया कि सर्दी और बरसात के मौसम में बच्चों में इस बीमारी के लक्षण अधिक देखने को मिलते हैं। पूर्ण टीकाकरण न होने पर यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती है और एक बच्चे से दूसरे बच्चे में भी फैल सकती है। उन्होंने बताया कि टीकाकरण से वंचित बच्चों को विशेष अभियान के तहत टीके लगाए जाते हैं, इसके बावजूद कुछ बच्चे टीकाकरण से छूट जाते हैं। ऐसे में विभाग जागरूकता अभियान चला रहा है।
डॉ. देशराज ने बताया कि शनिवार को रानीपुरा गांव में स्वास्थ्य टीम भेजी जाएगी, जो संक्रमित बच्ची के संपर्क में आए लोगों को दवा खिलाएगी। साथ ही संपर्क में आए अन्य बच्चों की भी जांच की जाएगी।
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ऐसे करें बचाव
टीकाकरण से बच्चों को डिप्थीरिया से बचाया जा सकता है। नियमित टीकाकरण के तहत पेंटावेलेंट संयुक्त टीके में डीपीटी शामिल होता है।
6वें, 10वें और 14वें सप्ताह में टीकाकरण
16 से 24 माह में डीपीटी का पहला बूस्टर
5 वर्ष की आयु में दूसरा बूस्टर
गंभीर स्थिति में एंटी-टॉक्सिन भी दिया जाता है। समय पर टीकाकरण से डिप्थीरिया की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।
क्या है डिप्थीरिया
डिप्थीरिया एक बैक्टीरियल बीमारी है। इसके लक्षणों में गला सूखना, आवाज बैठना, गले में झिल्ली बनना और सांस लेने में कठिनाई शामिल है। इलाज में देरी होने पर संक्रमण शरीर के अन्य अंगों तक फैल सकता है। यदि जीवाणु हृदय तक पहुंच जाएं तो जान का खतरा भी हो सकता है। संक्रमित बच्चे के संपर्क में आने से अन्य बच्चों में भी यह बीमारी फैल सकती है।
संक्रमण फैलने के कारण
खांसने और छींकने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण
जीवाणु पीड़ित के मुंह, नाक और गले में मौजूद रहते हैं
समय पर इलाज न होने पर जीवाणु पूरे शरीर में फैल सकते हैं
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संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। गला घोंटू (डिप्थीरिया) जैसी खतरनाक बीमारी को समाप्त करने के स्वास्थ्य विभाग के दावों के बीच जिले में इसके मरीज लगातार सामने आ रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में बीते 24 घंटे के भीतर डिप्थीरिया से ग्रस्त दो नए मरीजों की पहचान की गई है। इसके साथ ही जिले में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है।
जनपद में डिप्थीरिया ने धीरे-धीरे पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में चार मरीज ही दर्ज हैं। बताया गया कि एक मरीज ओपीडी में चिकित्सक को दिखाने के बाद अपने बच्चे को इलाज के लिए सीधे ग्वालियर ले गया, जिससे उसका विवरण विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो सका।
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चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों का पूर्ण टीकाकरण न होना इस बीमारी के फैलने का प्रमुख कारण है। शुक्रवार को तालबेहट क्षेत्र के ग्राम रानीपुरा निवासी सात वर्षीय बच्ची में डिप्थीरिया के लक्षण पाए गए। चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद बच्ची को झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया।
जिला प्रभारी एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. देशराज ने बताया कि सर्दी और बरसात के मौसम में बच्चों में इस बीमारी के लक्षण अधिक देखने को मिलते हैं। पूर्ण टीकाकरण न होने पर यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती है और एक बच्चे से दूसरे बच्चे में भी फैल सकती है। उन्होंने बताया कि टीकाकरण से वंचित बच्चों को विशेष अभियान के तहत टीके लगाए जाते हैं, इसके बावजूद कुछ बच्चे टीकाकरण से छूट जाते हैं। ऐसे में विभाग जागरूकता अभियान चला रहा है।
डॉ. देशराज ने बताया कि शनिवार को रानीपुरा गांव में स्वास्थ्य टीम भेजी जाएगी, जो संक्रमित बच्ची के संपर्क में आए लोगों को दवा खिलाएगी। साथ ही संपर्क में आए अन्य बच्चों की भी जांच की जाएगी।
ऐसे करें बचाव
टीकाकरण से बच्चों को डिप्थीरिया से बचाया जा सकता है। नियमित टीकाकरण के तहत पेंटावेलेंट संयुक्त टीके में डीपीटी शामिल होता है।
6वें, 10वें और 14वें सप्ताह में टीकाकरण
16 से 24 माह में डीपीटी का पहला बूस्टर
5 वर्ष की आयु में दूसरा बूस्टर
गंभीर स्थिति में एंटी-टॉक्सिन भी दिया जाता है। समय पर टीकाकरण से डिप्थीरिया की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।
क्या है डिप्थीरिया
डिप्थीरिया एक बैक्टीरियल बीमारी है। इसके लक्षणों में गला सूखना, आवाज बैठना, गले में झिल्ली बनना और सांस लेने में कठिनाई शामिल है। इलाज में देरी होने पर संक्रमण शरीर के अन्य अंगों तक फैल सकता है। यदि जीवाणु हृदय तक पहुंच जाएं तो जान का खतरा भी हो सकता है। संक्रमित बच्चे के संपर्क में आने से अन्य बच्चों में भी यह बीमारी फैल सकती है।
संक्रमण फैलने के कारण
खांसने और छींकने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण
जीवाणु पीड़ित के मुंह, नाक और गले में मौजूद रहते हैं
समय पर इलाज न होने पर जीवाणु पूरे शरीर में फैल सकते हैं
