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Lalitpur News: पांच नवनिर्मित गोवंश आश्रय स्थल निजी संस्थाओं को सौंपने की तैयारी पूरी
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10 संस्थाओं ने किया आवेदन, जिलास्तरीय समिति कर रही पत्रावलियों का सत्यापन
संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। जनपद में हाल ही में निर्मित पांच गोवंश आश्रय स्थलों का संचालन निजी संस्थाओं के माध्यम से कराने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है। जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे इस अभिनव प्रयोग के तहत इन आश्रयस्थलों के संचालन के लिए दस संस्थाओं ने आवेदन किया था, जिनकी पत्रावलियों का सत्यापन जिलास्तरीय समिति द्वारा किया जा रहा है।
बानपुर, कालापहाड़, बिजरौठा, ठनगना एवं टोरिया में निर्मित इन गोवंश आश्रय स्थलों में प्रत्येक में लगभग 400 गोवंशों के संरक्षण की क्षमता है। जिला प्रशासन ने निजी सहभागिता से संचालन की कार्ययोजना तैयार कर शासन को भेजी थी, जिसे स्वीकृति मिलने के बाद गैर सरकारी संगठनों, समितियों, कृषक संगठनों, समाजसेवी संस्थाओं एवं कोआपरेटिव सोसाइटियों से आवेदन आमंत्रित किए गए थे।
इच्छुक संस्थाओं को गो संरक्षण के अनुभव सहित आवेदन आठ दिसंबर तक विकास भवन स्थित पशुपालन विभाग में जमा करने थे। इस प्रक्रिया के तहत कुल दस आवेदन प्राप्त हुए हैं। जिलास्तरीय अनुश्रवण समिति आवेदक संस्थाओं के अनुभव एवं दस्तावेजों का सत्यापन कर रही है। सत्यापन पूर्ण होने के बाद अनुभव के आधार पर पांच संस्थाओं का चयन किया जाएगा।
चयनित संस्थाओं को गोवंश आश्रय स्थलों का संचालन सौंपा जाएगा। संचालन के दौरान श्रमिकों का मानदेय, मरम्मत, बिजली एवं अन्य आवश्यक सामग्री की व्यवस्था संबंधित समिति द्वारा की जाएगी। शासन की ओर से प्रति गोवंश प्रतिदिन 50 रुपये भरण-पोषण मद में प्रदान किए जाएंगे। विभागीय प्रक्रिया पूरी होते ही आश्रय स्थल निजी संस्थाओं को सुपुर्द कर दिए जाएंगे।
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पांच नवनिर्मित गोवंश आश्रय स्थलों के संचालन हेतु निजी संस्थाओं से आवेदन मांगे गए थे। दस समितियों ने आवेदन किया है, जिनकी पत्रावली एवं अनुभव का सत्यापन किया जा रहा है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति शीघ्र ही चयन प्रक्रिया पूर्ण करेगी।
शेषनाथ चौहान, मुख्य विकास अधिकारी
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संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। जनपद में हाल ही में निर्मित पांच गोवंश आश्रय स्थलों का संचालन निजी संस्थाओं के माध्यम से कराने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है। जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे इस अभिनव प्रयोग के तहत इन आश्रयस्थलों के संचालन के लिए दस संस्थाओं ने आवेदन किया था, जिनकी पत्रावलियों का सत्यापन जिलास्तरीय समिति द्वारा किया जा रहा है।
बानपुर, कालापहाड़, बिजरौठा, ठनगना एवं टोरिया में निर्मित इन गोवंश आश्रय स्थलों में प्रत्येक में लगभग 400 गोवंशों के संरक्षण की क्षमता है। जिला प्रशासन ने निजी सहभागिता से संचालन की कार्ययोजना तैयार कर शासन को भेजी थी, जिसे स्वीकृति मिलने के बाद गैर सरकारी संगठनों, समितियों, कृषक संगठनों, समाजसेवी संस्थाओं एवं कोआपरेटिव सोसाइटियों से आवेदन आमंत्रित किए गए थे।
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इच्छुक संस्थाओं को गो संरक्षण के अनुभव सहित आवेदन आठ दिसंबर तक विकास भवन स्थित पशुपालन विभाग में जमा करने थे। इस प्रक्रिया के तहत कुल दस आवेदन प्राप्त हुए हैं। जिलास्तरीय अनुश्रवण समिति आवेदक संस्थाओं के अनुभव एवं दस्तावेजों का सत्यापन कर रही है। सत्यापन पूर्ण होने के बाद अनुभव के आधार पर पांच संस्थाओं का चयन किया जाएगा।
चयनित संस्थाओं को गोवंश आश्रय स्थलों का संचालन सौंपा जाएगा। संचालन के दौरान श्रमिकों का मानदेय, मरम्मत, बिजली एवं अन्य आवश्यक सामग्री की व्यवस्था संबंधित समिति द्वारा की जाएगी। शासन की ओर से प्रति गोवंश प्रतिदिन 50 रुपये भरण-पोषण मद में प्रदान किए जाएंगे। विभागीय प्रक्रिया पूरी होते ही आश्रय स्थल निजी संस्थाओं को सुपुर्द कर दिए जाएंगे।
पांच नवनिर्मित गोवंश आश्रय स्थलों के संचालन हेतु निजी संस्थाओं से आवेदन मांगे गए थे। दस समितियों ने आवेदन किया है, जिनकी पत्रावली एवं अनुभव का सत्यापन किया जा रहा है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति शीघ्र ही चयन प्रक्रिया पूर्ण करेगी।
शेषनाथ चौहान, मुख्य विकास अधिकारी
