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Mirzapur News: 14 मदरसों का जमीन पर अस्तित्व नहीं
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संवाद न्यूज एजेंसी
मिर्जापुर। मदरसों में फर्जीवाड़े की जांच कर रही एसआईटी की जांच में खुलासा हुआ है कि 14 मदरसों का जमीन पर अस्तित्व नहीं था, फिर भी कर्मचारियों को आठ से 15 हजार मानदेय के हिसाब से कई साल में करोड़ों का भुगतान किया गया।
एसआईटी की रिपोर्ट में पता चला है कि वर्ष 2009-10 में जिन 143 मदरसों को मान्यता दी थी, उसमें से 14 मदरसों का कोई अस्तित्व ही नहीं था।
न तो उनका कोई भवन था और न ही कोई प्रबंधन। जांच में 89 मदरसों में आर्थिक अनियमितता की बात सामने आई है। इस पूरी धांधली का खुलासा आरटीआई से प्राप्त जानकारी से हुआ। इसके बाद एसआईटी ने मामले की जांच की।
बताया जा रहा है कि इन मदरसों में कागजों पर शिक्षकों को दिखाकर केंद्र और राज्य सरकार से आठ से 15 हजार रुपये तक मासिक मानदेय भी लिया जा रहा था। मिर्जापुर में केंद्र पुरोनिधानित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत साल 2009-10 में 143 मदरसों को मान्यता दी थी। कि 2009 - 10 से 2017 तक विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों ने मिलीभगत से कूटरचित अभिलेखों का प्रयोग करके बड़े पैमाने पर मान्यता संबंधी नियमों के प्रतिकूल कार्य किए गए। गिरोह की तरह अवैध मदरसों में शिक्षकों की नियुक्ति में धनराशि भी ली गई। आरटीआई के खुलासे के बाद एसआईटी से जांच शुरू की। अब रिपोर्ट अधिकारियों को सौंपी गई है।
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मिर्जापुर। मदरसों में फर्जीवाड़े की जांच कर रही एसआईटी की जांच में खुलासा हुआ है कि 14 मदरसों का जमीन पर अस्तित्व नहीं था, फिर भी कर्मचारियों को आठ से 15 हजार मानदेय के हिसाब से कई साल में करोड़ों का भुगतान किया गया।
एसआईटी की रिपोर्ट में पता चला है कि वर्ष 2009-10 में जिन 143 मदरसों को मान्यता दी थी, उसमें से 14 मदरसों का कोई अस्तित्व ही नहीं था।
न तो उनका कोई भवन था और न ही कोई प्रबंधन। जांच में 89 मदरसों में आर्थिक अनियमितता की बात सामने आई है। इस पूरी धांधली का खुलासा आरटीआई से प्राप्त जानकारी से हुआ। इसके बाद एसआईटी ने मामले की जांच की।
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बताया जा रहा है कि इन मदरसों में कागजों पर शिक्षकों को दिखाकर केंद्र और राज्य सरकार से आठ से 15 हजार रुपये तक मासिक मानदेय भी लिया जा रहा था। मिर्जापुर में केंद्र पुरोनिधानित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत साल 2009-10 में 143 मदरसों को मान्यता दी थी। कि 2009 - 10 से 2017 तक विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों ने मिलीभगत से कूटरचित अभिलेखों का प्रयोग करके बड़े पैमाने पर मान्यता संबंधी नियमों के प्रतिकूल कार्य किए गए। गिरोह की तरह अवैध मदरसों में शिक्षकों की नियुक्ति में धनराशि भी ली गई। आरटीआई के खुलासे के बाद एसआईटी से जांच शुरू की। अब रिपोर्ट अधिकारियों को सौंपी गई है।
