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UP: पीतलनगरी से ही पीतल गायब, निर्यात को एल्युमिनियम और लोहे का सहारा, 10 हजार करोड़ का होता है कारोबार

अमर उजाला नेटवर्क, मुरादाबाद Published by: विमल शर्मा Updated Thu, 25 Dec 2025 03:32 PM IST
सार

पीतल के दाम लगातार बढ़ने से मुरादाबाद के हस्तशिल्प उद्योग पर असर पड़ा है। निर्यातक अब लागत घटाने के लिए हस्तशिल्प उत्पादों में एल्युमिनियम और लोहे का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके चलते मिश्रित धातुओं, कांच और लकड़ी से बने उत्पादों का चलन बढ़ा है।

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UP: Brass disappearing from City of Brass, forcing exporters rely on aluminum and iron
बर्तन की दुकान - फोटो : AI
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विस्तार
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पीतल के बढ़ते दाम की वजह से धीरे-धीरे इससे बनने वाले हस्तशिल्प उत्पादों का रंग फीका पड़ने लगा है। इसके स्थान पर एल्युमिनियम और लोहे का इस्तेमाल ज्यादा होने लगा है। निर्यातक हस्तशिल्प उत्पाद में 40 प्रतिशत एल्युमिनियम व 40 प्रतिशत लोहे का उपयोग कर रहे हैं। उत्पादों में पीतल की मात्रा 10 प्रतिशत ही बची है। प्रदेश में हस्तशिल्प उत्पाद का निर्यात मुरादाबाद से सबसे ज्यादा किया जाता है।

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देश में मुरादाबाद पीतलनगरी के नाम से जाना जाता है लेकिन दाम बढ़ने की वजह से पीतल के हस्तशिल्प उत्पाद खत्म होते जा रहे हैं। शहर की दिल्ली रोड, एसईजेड समेत अन्य जगहों के तमाम निर्यातक हस्तशिल्प उत्पादों में एल्युमिनियम और लोहे का इस्तेमाल अधिक करने लगे हैं क्योंकि पीतल की अपेक्षा लोहा और एल्युमिनियम का उत्पाद सस्ता पड़ रहा है।
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इसके साथ ही कांच व लकड़ी से बने मिश्रित उत्पाद भी ज्यादा बनाए जा रहे हैं। जिले से अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस समेत अन्य देशों में हस्तशिल्प उत्पाद निर्यात किए जाते हैं। निर्यातकों का कहना है कि एक साल पहले पीतल का दाम 500 रुपये प्रति किलो था लेकिन अब इसकी कीमत 640 से 700 रुपये प्रति किलो हो गई है।

पीतल के दाम में करीब 150 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। वहीं एक साल पहले एल्युमिनियम की कीमत 190 रुपये थी लेकिन इस समय इसकी कीमत 230 से 250 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। एल्युमिनियम का दाम भी 100 रुपये से अधिक बढ़ा है।

इसकी वजह से हस्तशिल्प उत्पादों की लागत निकालना मुश्किल हो जा रहा है जबकि लोहे के दाम कोई उतार-चढ़ाव नहीं है। इसलिए पीतल की अपेक्षा एल्युमिनियम और लोहे के हस्तशिल्प उत्पाद की बिक्री बढ़ी है।

पूजा के आइटम ही बनाए जा रहे हैं पीतल के
आईआईए हैंडीक्रॉफ्ट्स डेवलपमेंट कमेटी के चेयरमैन सुरेश कुमार गुप्ता ने बताया कि इस समय अधिकतर पूजा के आइटम ही पीतल के बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा अन्य हस्तशिल्प उत्पादों में नाम मात्र का पीतल इस्तेमाल किया जाता है। अगर ऐसे ही पीतल का दाम बढ़ता रहा तो आने वाले समय में चार से पांच प्रतिशत ही पीतल के उत्पाद बनाए जाएंगे। पीतल के उत्पाद के ऑर्डर बहुत ही कम मिल रहे हैं।

 10437 करोड़ रुपये का होता है निर्यात
जिला उद्योग केंद्र के अनुसार मुरादाबाद से हर साल 10437 करोड़ रुपये के हस्तशिल्प उत्पादों का निर्यात किया जाता है। हालांकि अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने की वजह से इस साल मुरादाबाद का निर्यात 40 प्रतिशत तक घट गया है। निर्यातकों ने बताया कि पीतल के दाम बढ़ने की वजह से इससे बने हस्तशिल्प उत्पाद के ऑर्डर न के बराबर मिल रहे हैं जबकि शीशे और लकड़ी के हस्तशिल्प उत्पाद के ऑर्डर मिल रहे हैं। करीब 10 प्रतिशत निर्यातक शीशे और लकड़ी के हस्तशिल्प उत्पाद का निर्यात करते हैं।

10 साल से पीतल के दाम बढ़ रहे हैं। हस्तशिल्प उत्पाद को लेकर चाइना से कंप्टीशन बढ़ गया है। इसलिए पीतल से बनने वाले सामान को एल्युमिनियम और लोहे से बनाया जा रहा है। पीतल की अपेक्षा एल्युमिनियम में लाइटवेट ज्यादा हैं। एल्युमिनियम के सामान पीतल के आधे दाम में बन जा रहे हैं। खरीदार भी इसे खूब पसंद कर रहे हैं। - विभोर गुप्ता, संचालक, डिजाइनको प्राइवेट लिमिटेड

पीतल के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। अगस्त में पीतल का दाम 550 रुपये प्रति किलो था जो आज बढ़कर 655 रुपये हो गया है। पीतल के प्रतिदिन दाम बढ़ रहे हैं। पीतल से उत्पाद तैयार कर बेचना काफी मुश्किल हो गया है। पीतल के सामान के ऑर्डर भी कम मिल रहे हैं। मल्टीपर्पज प्रयोग होने वाले पीतल के हस्तशिल्प उत्पाद बायर खरीद रहे हैं। - लक्ष्य अग्रवाल, पार्टनर, जेएमडी इंटरनेशनल

पीतल के दाम पर कोई कंट्रोल नहीं है। हस्तशिल्प उत्पाद के निर्यात को लेकर चाइना समेत अन्य देशों के साथ कंप्टीशन ज्यादा है। बायर चाहते हैं कि उन्हें सस्ते में सामान मिले। पीतल के दाम बढ़ने से हस्तशिल्प उत्पाद में एल्युमिनियम और लोहे का उपयोग करना निर्यातकों की मजबूरी है। हालांकि जरूरी सामान को पीतल का ही बनाकर निर्यात किया जा रहा है। -विकास अग्रवाल, वाइस प्रेसिडेंट, मुरादाबाद एसईजेड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन

पाउडर कोटिंग और पीयू फिनिश के बाद बेस मेटल का अंतर लगभग समाप्त हो जाता है। वहीं, लागत के स्तर पर पीतल और वैकल्पिक धातुओं के बीच 50 प्रतिशत से अधिक का अंतर है। चीन से बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बाजार की मूल्य संवेदनशील परिस्थितियों ने निर्यातकों को एल्युमिनियम, लोहा और फ्यूजन मैटेरियल की ओर बढ़ने के लिए विवश किया है। -जेपी सिंह, चेयरमैन, यंग एंटरप्रेन्योर सोसायटी (यस)

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