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Raebareli News: सात साल पहले अमेठी में हुआ फर्जीवाड़ा, वसीयत निरस्त
संवाद न्यूज एजेंसी, रायबरेली
Updated Thu, 25 Dec 2025 12:50 AM IST
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रायबरेली। अमेठी के पूरे लंगड़ा मजरे पाकरगंज गांव में सात साल पहले फर्जी तरीके से अंगूठा लगाकर जमीन की वसीयत करा ली गई। फिंगर प्रिंट स्पेशलिस्ट की जांच में सच सामने आने के बाद मुकदमे की सुनवाई कर रहीं सप्तम अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन सृष्टि शुक्ला ने वसीयत को निरस्त कर दिया।
अमेठी जिले के पूरे लंगड़ा मजरे पाकर गांव निवासी प्यारेलाल की मौत 13 जनवरी 2017 को हो गई थी। प्यारेलाल के पुत्र व पुत्री नहीं थे। मौत के बाद गांव ही मीना कुमारी व श्याम कुमारी ने 21 जुलाई 2017 को वसीयत प्रस्तुत की। उन्होंने उप निबंधन कार्यालय तिलोई में 24 अप्रैल 2018 को वसीयत को पंजीकृत करा लिया था। इसके बाद तहसील के अभिलेखों में नाम दर्ज कराने का प्रयास शुरू कर दिया।
मामले की जानकारी होने के बाद मृतक प्यारेलाल के भाई मिश्रीलाल ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। भाई का फर्जी अंगूठा लगाकर वसीयत करने का आरोप लगाया। कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेकर फिंगर प्रिंट स्पशेलिस्ट से जांच कराई। मृतक प्यारे लाल के 23 जुलाई 1995 में किए गए बैनामे और 24 अप्रैल 2018 में हुए वसीयत में लगे अंगूठे के नमूने की जांच की तो दोनों में अंतर मिला। महिलाओं की ओर से कराए गए वसीयत में लगा अंगूठा का निशान सही नहीं मिला।
मुकदमे की सुनवाई करते हुए सप्तम अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन सृष्टि शुक्ला ने 24 अप्रैल 2018 को उप निबंधन कार्यालय में पंजीकरण के बाद वसीयत को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने आदेश की एक कॉपी रजिस्ट्री कार्यालय तिलोई को भी भेजने का आदेश दिया है।
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अमेठी जिले के पूरे लंगड़ा मजरे पाकर गांव निवासी प्यारेलाल की मौत 13 जनवरी 2017 को हो गई थी। प्यारेलाल के पुत्र व पुत्री नहीं थे। मौत के बाद गांव ही मीना कुमारी व श्याम कुमारी ने 21 जुलाई 2017 को वसीयत प्रस्तुत की। उन्होंने उप निबंधन कार्यालय तिलोई में 24 अप्रैल 2018 को वसीयत को पंजीकृत करा लिया था। इसके बाद तहसील के अभिलेखों में नाम दर्ज कराने का प्रयास शुरू कर दिया।
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मामले की जानकारी होने के बाद मृतक प्यारेलाल के भाई मिश्रीलाल ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। भाई का फर्जी अंगूठा लगाकर वसीयत करने का आरोप लगाया। कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेकर फिंगर प्रिंट स्पशेलिस्ट से जांच कराई। मृतक प्यारे लाल के 23 जुलाई 1995 में किए गए बैनामे और 24 अप्रैल 2018 में हुए वसीयत में लगे अंगूठे के नमूने की जांच की तो दोनों में अंतर मिला। महिलाओं की ओर से कराए गए वसीयत में लगा अंगूठा का निशान सही नहीं मिला।
मुकदमे की सुनवाई करते हुए सप्तम अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन सृष्टि शुक्ला ने 24 अप्रैल 2018 को उप निबंधन कार्यालय में पंजीकरण के बाद वसीयत को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने आदेश की एक कॉपी रजिस्ट्री कार्यालय तिलोई को भी भेजने का आदेश दिया है।
