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देवबंद: अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने पर दारुल उलूम की अहम प्रतिक्रिया, कही ये बड़ी बात

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सहारनपुर Published by: कपिल kapil Updated Tue, 21 Sep 2021 07:02 PM IST
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सार

अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद देवबंद से मौलाना अरशद मदनी ने अहम प्रतिक्रिया दी है। मौलाना अरशद मदनी ने विदेशी मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि बेहद अफसोस की बात है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया गहराई तक जाने के बजाए दारुल उलूम के असल चरित्र को दबाकर मनगढ़ंत राय के साथ उसको बदनाम कर रहा है, जो पूरी तरह निराधार और सच्चाई से एकदम परे है।

Deoband News: Darul Uloom has given an important response to the formation of the Taliban government in Afghanistan
मौलाना अरशद मदनी - फोटो : amar ujala

विस्तार
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अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद दारुल उलूम की अहम प्रतिक्रिया आई है। संस्था के सदर मुदर्रिस व जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा की दारुल उलूम तालिबान पर तब तक कोई राय नहीं देगा, जब तक अफगानिस्तान में एक आदर्श इस्लामी सरकार की स्थापना नहीं हो जाती है। 

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विदेशी मीडिया से बातचीत के दौरान मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि बेहद अफसोस की बात है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया गहराई तक जाने के बजाए दारुल उलूम के असल चरित्र को दबाकर मनगढ़ंत राय के साथ उसको बदनाम कर रहा है, जो पूरी तरह निराधार और सच्चाई से एकदम परे है। उन्होंने कहा कि इस्लामिक सरकार के बारे में बात करना आसान है, लेकिन इस्लामी सरकार स्थापित करना और इस्लाम के बुनियादी सिद्धांतों पर चलाना एक कठिन और चुनौती पूर्ण कार्य है। 
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मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि दारुल उलूम का अफगानिस्तान और तालिबान से कोई भी लेना-देना नहीं है। दारुल उलूम का काम कुरान, हदीस सिखाना और पढ़ाना है, साथ ही ऐसे छात्रों को तैयार करना है जो मस्जिदों और मदरसों में अपनी सेवाएं दे सकें। कुछेक मीडिया संस्थान गलत सोच के साथ उन्हें बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया की सोच सांप्रदायिक नहीं होनी चाहिए, उसे पूरे मामले को निष्पक्ष रूप से देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में स्थिरता, शांति और सामाजिक सद्भाव तभी स्थापित होगा, जब सरकारें सांप्रदायिकता पर अंकुश लगाएंगी। 

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उन्होंने कहा कि देवबंद दुनिया के सभी मुसलमानों की तरह अल्लाह और उसके रसूल की एकता में विश्वास करता है। वह शांति और भाईचारे की कामना करता है, दारुल उलूम के छात्र कभी भी दंगों, झगड़ों और सामाजिक ताने-बाने के खिलाफ किसी भी गतिविधि में हिस्सा नहीं लेते हैं। वह केवल अमन और भाईचारे का पैगाम देने का कार्य करता है।

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