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IGRS: बिना पीड़ितों से मिले ही 25 दरोगा ने पांच मामलों में लगा दी रिपोर्ट, अक्तूबर की समीक्षा में खुली पोल
अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी।
Published by: प्रगति चंद
Updated Wed, 26 Nov 2025 03:21 PM IST
सार
आईजीआरएस में 25 दरोगा द्वारा लापरवाही का मामला सामने आया है। इन्होंने बिना पीड़ितों से मिले ही पांच मामलों में खुद से रिपोर्ट लगा दी। अक्तूबर में रैंकिंग की समीक्षा में ये पोल खुली।
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पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
नए बैच के दरोगा कमिश्नरेट की किरकिरी करा रहे हैं। शिकायतकर्ताओं से बिना संपर्क किए आईजीआरएस की शिकायतों के निस्तारण की रिपोर्ट लगा दे रहे हैं। शिकायतकर्ताओं से बातचीत भी नहीं की गई। अक्तूबर की आईजीआरएस रैंकिंग में कमिश्नरेट पुलिस पिछड़ गई है। शासन स्तर से समीक्षा में गलत रिपोर्ट लगाने की बात सामने आई है।
पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने मंगलवार को आईजीआरएस के कार्यों की समीक्षा के दौरान 25 उप निरीक्षकों पर विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए। कैंप कार्यालय पर जनसुनवाई प्रणाली आईजीआरएस की समीक्षा के दौरान मोहित अग्रवाल ने उप निरीक्षकों का आचरण अत्यंत आपत्तिजनक की श्रेणी में पाया।
कमिश्नरेट में कुल 25 उप निरीक्षकों को चिह्नित किया गया है, जिनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। समीक्षा में आईजीआरएस पोर्टल पर प्रार्थना पत्रों और संदर्भों के निस्तारण, जांच की प्रगति और शासन स्तर से लिए गए फीडबैक का विश्लेषण किया गया।
अक्तूबर की रैंकिंग में अनेक शिकायतों में जांच अधिकारी ने शिकायतकर्ताओं से संपर्क नहीं किया। उप निरीक्षकों ने पांच मामलों में वादी से बातचीत किए बिना ही रिपोर्ट अपलोड कर दी, जिसके कारण वादी और शिकायतकर्ताओं की ओर से निगेटिव फीडबैक दिया गया, जिससे कमिश्नरेट की आईजीआरएस रैंकिंग प्रभावित हुई।
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पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने मंगलवार को आईजीआरएस के कार्यों की समीक्षा के दौरान 25 उप निरीक्षकों पर विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए। कैंप कार्यालय पर जनसुनवाई प्रणाली आईजीआरएस की समीक्षा के दौरान मोहित अग्रवाल ने उप निरीक्षकों का आचरण अत्यंत आपत्तिजनक की श्रेणी में पाया।
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कमिश्नरेट में कुल 25 उप निरीक्षकों को चिह्नित किया गया है, जिनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। समीक्षा में आईजीआरएस पोर्टल पर प्रार्थना पत्रों और संदर्भों के निस्तारण, जांच की प्रगति और शासन स्तर से लिए गए फीडबैक का विश्लेषण किया गया।
अक्तूबर की रैंकिंग में अनेक शिकायतों में जांच अधिकारी ने शिकायतकर्ताओं से संपर्क नहीं किया। उप निरीक्षकों ने पांच मामलों में वादी से बातचीत किए बिना ही रिपोर्ट अपलोड कर दी, जिसके कारण वादी और शिकायतकर्ताओं की ओर से निगेटिव फीडबैक दिया गया, जिससे कमिश्नरेट की आईजीआरएस रैंकिंग प्रभावित हुई।