BHU: 1.60 करोड़ से सूक्ष्म खनिज तत्वों की जांच के लिए बनेगी लैब, अगरिया जनजाति पर होगा शोध; जानें खास
Research in BHU: बीएचयू की ओर से मिली इस राशि की वैधता अगले साल 31 मार्च 2026 तक रहेगी। धनराशि बीएचयू के सेंट्रल परचेज ऑर्गेनाइजेशन की ओर से वैज्ञानिकों और प्रोफेसरों को जारी की जाएगी। वहीं मशीनों और उपकरणों से संबंधित लैब को सेंट्रल डिस्कवरी सेंटर में स्थापित किया जा सकेगा।
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Varanasi News: बीएचयू में सूक्ष्म खनिज तत्वों (लौह अयस्क, क्वार्ट्ज, फेल्डस्पार आदि) की जांच के लिए 1.60 करोड़ रुपये से एक टीएल और ओएसएल लैब बनाई जाएगी। साथ ही इन खनिज तत्वों से प्राचीन और परंपरागत आदिवासियों के संबंधों का अध्ययन किया जाएगा।
सोनभद्र की अगरिया जनजातियों, गृहस्थ आचार संहिता समेत कई प्राचीन रहस्यों को उजागर किया जाएगा। इस लैब का पूरा नाम थर्मोल्यूमिनेसेंस, ऑप्टिकली स्टिम्युलेटेड ल्यूमिनेसेंस लैब है।
एडवांस्ड इंटर डिसिप्लिनरी रिसर्च फैसिलिटी स्कीम के तहत इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आईसीएसएसआर) की ओर से लैब स्थापना की ये जिम्मेदारी चार प्रोफेसरों को दी गई है। उनके नाम से ही फंड दिए जाएंगे।
इनमें बीएचयू से प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के डॉ. प्रभाकर उपाध्याय, एमएमवी के फिजिक्स सेक्शन के डाॅ. ह्रदयेष, जियोलॉजी के डॉ. कुलदीप और रेडियोथेरेपी एंड रेडिएशन मेडिसिन के डॉ. अभिजीत मंडल शामिल हैं।
अगरिया जनजाति पर काम करने के लिए 30 लाख
डॉ. प्रभाकर उपाध्याय अगरिया जनजाति की पारिवारिक व्यवस्था और उनकी संसाधान खोज की तकनीक पर काम करेंगे। सोनभद्र के इलाकों में मिले प्राचीन भारतीय लौह धातुकर्म का सामाजिक और तकनीकी विश्लेषण करेंगे। इसके लिए इन्हें 30 लाख रुपये दिए जाएंगे। रिसर्च की थीम टेक्नोलॉजी एंड फैमिली लाइफ थीम पर दि अगारिया कुटुम्ब व्यवस्था ऐज अ लिविंग आर्काइव: अ टेक्निकल एनालिसिस आफ इट्स रोल इन प्रिजरविंग एनशिएन्ट इंडियन आयरन मेटलर्जी है।
ऑक्सफोर्ड की रदरफोर्ड लैब में कर चुके हैं रिसर्च
डाॅ. उपाध्याय ने पुरातत्ववेत्ता प्रो. विभा त्रिपाठी के साथ डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी की कई बड़ी परियोजनाओं पर काम किया है। काशी महाजनपद के पांच महत्वपूर्ण पुरास्थलों से प्राप्त प्राचीन लौह सामग्रियों के अध्ययन के लिए न्यूटन इंडिया ग्रांट के तहत ऑक्सफोर्ड की रदरफोर्ड एपलिटन लैब में भी काम किया है। आईआईटी बीएचय में आई एक परियोजना में सिंहभूमि की प्राचीन ताम्र खदानों का भी अध्ययन किया है।
