Cough syrup case: वाराणसी में दो लोग अरेस्ट, शुभम के काम करने का बताया तरीका; ई वे बिल से होता था खेल
Varanasi News: कफ सिरप प्रकरण में गिरफ्तार विशाल कुमार जायसवाल और बादल आर्य हुकुलगंज के निवासी हैं। डीसीपी काशी जोन गौरव वंशवाल ने इनके अपराध के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इन्हें शुभम जायसवाल ने ही बिजनेस प्लान बताया था।
विस्तार
Varanasi News: कफ सिरप की अवैध ब्रिकी में हरी ओम फार्मा के विशाल कुमार जायसवाल और काल भैरव ट्रेडर्स के बादल आर्य को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार किया है। डीसीपी काशी जोन गौरव वंशवाल ने बताया कि शुभम, देवेश और अमित जायसवाल पार्टनर हैं। फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र आदि के माध्यम से ड्रग लाइसेंस प्राप्त किया था। इसी का प्रयोग कर कोडीनयुक्त कफ सिरप का व्यापार करते थे। विभिन्न मेडिकल फर्मों के माध्यम से क्रय-विक्रय करते हुए बड़ा आर्थिक लाभ भी प्राप्त किया गया।
आरोपी विशाल कुमार जायसवाल की फर्म हरी ओम फार्मा के द्वारा 4,18,000 शीशी कफ सिरप भोला प्रसाद की फर्म शैली ट्रेडर्स रांची (झारखंड) से खरीदी गई। करीब पांच करोड़ रुपये से अधिक में विक्रय किया गया है, जिसकी जांच चल रही है।
इसी क्रम में, बादल आर्य की फर्म काल भैरव ट्रेडर्स के द्वारा भी शैली ट्रेडर्स रांची (झारखंड) से 1,23,000 शीशी कफ सिरप खरीदी गई। करीब दो करोड़ रुपये से अधिक में विक्रय किया गया है। आरोपियों द्वारा अपनी फर्मों के नाम पर फर्जी ई वे बिल भी तैयार किए गए, जिसकी पुष्टि वाहनों के स्वामियों के बयान से होती है।
पूछताछ के बाद होगी अन्य कार्रवाई
आरोपियों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि बताया कि डीएसए फार्मा खोजवा (भेलुपर) के माध्यम से हम लोगों की मुलाकात श्रीहरी फार्मा एंड सर्जिकल एजेंसी सोनिया (वाराणसी) के प्रोपराइटर अमित जायसवाल व शैली ट्रेडर्स के कंपीटेंट पर्सन शुभम जायसवाल से हुई थी।
उसी दौरान उनके द्वारा हम लोगों को कम समय में ज्यादा कमाई करने का लालच देकर कफ सिरप के व्यापार हेतु प्रेरित किया गया। उनके बनाए बिजनेस प्लान से हम लोग सहमत भी हो गए। उन लोगों के द्वारा एक-एक दुकान भी चिन्हित कराया गया। इसके बाद फर्जी और कूटरचित दस्तावेज तैयार कराकर हम लोगों का ड्रग लाइसेंस बनवाया गया।
ई वे बिल से होता था खेल
आरोपी ने बताया कि हम लोगों को शुभम जायसवाल के द्वारा देवेश जायसवाल के माध्यम से प्रतिमाह 30 से 40 हजार रुपये के बीच नगद कमीशन दिया जाता था। जिस फर्म का पैसा हम लोगों के अकाउंट में आता था, उसको जल्दी से जल्दी शैली ट्रेडर्स के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता था।
हम लोगों के बैंक अकाउंट की पूरी जानकारी देवेश जायसवाल के पास थी। रुपया ट्रांसफर करने के समय देवेश जायसवाल हमसे ओटीपी भी मांगता था। हम लोगों के द्वारा एक वर्ष के अंदर करीब सात करोड़ रुपये का व्यापार किया गया है। हम लोगों की फर्म सिर्फ दिखाने के लिए थी, जबकि शैली ट्रेडर्स से जो भी माल हमारे फर्म के नाम पर आते थे, वह हमारे यहां न आकर दूसरी जगह भेज दिए जाते थे। इसके ई वे बिल और टैक्स इनवाइस हम लोग अपनी फर्म के माध्यम से तैयार करते थे।