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UP: कफ सिरप...कागज में होलसेल दवा की दुकान, जांच करने टीम पहुंची तो मिली नमकीन की; 20 से ज्यादा फर्म बोगस

रबीश श्रीवास्तव, अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: अमन विश्वकर्मा Updated Sun, 23 Nov 2025 09:04 AM IST
सार

Varanasi News: कफ सिरप का व्यापार करने वाले सरगना शुभम जायसवाल की खोजबीन लगातार जारी है। इस बीच, खाद्य सुरक्षा औषधि प्रशासन विभाग की आयुक्त के निर्देश पर वाराणसी के कई दुकानों पर छापे मारे गए। यहां दुवा की दुकानों में प्रोविजन स्टोर चल रहे थे।

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Cough syrup wholesale drug store on paper inspection found salty snacks more than 20 firms bogus in varanasi
दवा की दुकान की जांच करती ड्रग विभाग की टीम। - फोटो : संवाद
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Varanasi Crime News: कोडीनयुक्त कफ सिरप की जालसाजी का खुलासा होने के बाद जांच में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सारनाथ में कई दुकानें ऐसी मिलीं जिनके नाम कागज पर होलसेल फॉर्मा है, लेकिन मौके पर टीम को नमकीन की दुकान मिली है। 

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रांची की जिस फर्म को मुख्य आरोपी बताया गया है, उसने वाराणसी में 124 फर्मों के नाम पर कफ सिरप की सप्लाई की है। जांच टीम जब हकीकत जानने पहुंची तो इनमें बहुत सी फर्म जिनका कागज पर नाम-पता तो है, लेकिन उनमें से 20 से अधिक फर्म बोगस पाई गईं। 
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रांची की शैली ट्रेडर्स ने वाराणसी में बड़ी संख्या में फर्जी बिलिंग कर 100 करोड़ की सिरप की सप्लाई की है। खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन के साथ अब पुलिस की ओर से गठित एसआईटी जांच कर रही है तो इसकी परत दर परत जुड़ती जा रही है। पिछले दिनों खाद्य सुरक्षा औषधि प्रशासन विभाग की आयुक्त रोशन जैकब खुद आई थीं और उनके निर्देशन में टीम ने छापा मारा। 

26 फर्मों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। एडिशनल कमिश्नर रेखा चौहान तीन दिन से वाराणसी में हैं। साथ ही पांच जिलों के ड्रग इंस्पेक्टर की विशेष टीम के साथ नए सिरे से फर्मों की जांच कर रही हैं। इस टीम ने भी कई जालसाजी पकड़ी है। 

जांच में अफसर हो गए हैरान

एडिशनल कमिश्नर ने बताया कि शैली ट्रेडर्स से सारनाथ के साथ ही लंका, रामनगर, मैदागिन क्षेत्र की फर्मों के नाम पर सिरप बिक्री की जानकारी मिली है। सारनाथ में टीम के पहुंचने पर जब फर्म के बारे में पूछा गया तो तीन दुकानों पर नाबालिग बच्चे बैठे मिले। यहां केवल कुर्सी, मेज ही रखी मिली। किसी तरह की कोई दवा नहीं पाई गई। कफ सिरप भी नहीं मिला। 

एडिशनल कमिश्नर ने बताया कि एक फर्म ऐसी मिली जहां सिर्फ सेनेटरी नैपकिन बेची जा रही थी। वहां सिरप या अन्य दवाइयां ही नहीं थीं जबकि फर्म को दवाइयों के लिए खोला गया था। सारनाथ में होलसेल की कई दुकानें मिलीं जहां दवा के नाम पर कुछ नहीं पाया गया।  

आदमपुर, लंका, रामनगर में भी होगी जांच : एडिशनल कमिश्नर रेखा ने बताया कि जांच जारी रहेगी। सप्तसागर दवा मंडी, सारनाथ के साथ ही लंका, रामनगर, शिवपुर में भी टीम जाएगी। जिन फर्मों के जुड़ाव शैली ट्रेडर्स से हैं, उनमें से कई  कागजात पर ही चल रही हैं। दवा आपूर्ति से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं पाए गए हैं। टीम को सबसे ज्यादा परेशानी फर्मों के कागज पर दिए गए पते को खोजने में हुई। 

शिवपुर, मैदागिन, सारनाथ इलाके में बहुत सी फर्म मौके पर मिली ही नहीं। कुछ फर्मों का बोर्ड लगा मिला लेकिन जाने पर कुछ नहीं मिला। दवाओं के सैंपल तक नहीं पाए गए। एडिशनल कमिश्नर के मुताबिक, फर्म का पता खोजने में बहुत परेशानी हुई है।

राजनीतिक संरक्षण की बदौलत औषधि विभाग का मर्ज बढ़ाता गया शुभम
यूं तो कोडिन युक्त कफ सिरप का खेल सोनभद्र से पकड़ में आया और सूबे के विभिन्न जनपदों में खेल के खिलाड़ी बेनकाब होते गए। चार साल से चल रहे खेल की वरिष्ठ अधिकारियों को भी आहट थी, लेकिन राजनीतिक दबाव में पुलिस हो या औषधि विभाग सभी सरेंडर रहे। वाराणसी में इतने बड़े पैमाने पर कफ सिरप का अवैध कारोबार होता रहा, लेकिन कमिश्नरेट पुलिस को भनक नहीं लग सकी। 

पूर्व में थानेदार और क्राइम ब्रांच के दरोगा समेत नारकोटिक्स को पूरी जानकारी थी। साथ ही ट्रकों के लोकेशन भी थे। मगर, गाड़ी रोकने की हिमाकत नहीं कर सके। लिहाजा, कफ सिरप तस्करी का मास्टरमाइंड शुभम अपने मंसूबे में कामयाब रहा। पूरब से लेकर पश्चिम तक गिरोह की कमान संभाले शुभम पर कुछ बाहुबली ने भी हाथ रखा तो वह अवैध कफ सिरप के कारोबार का पुष्पा बन गया। 

पहले तैनात रहे खाद्य एवं सुरक्षा औषधि प्रशासन के सहायक आयुक्त से लेकर अन्य पटल पर बैठे बाबुओं ने घर पहुंचाकर ड्रग लाइसेंस बांटे। यही कारण रहा कि 125 फर्मे चिह्नित हुई जिन्होंने शुभम जायसवाल और भोला प्रसाद के रांची के शैली ट्रेडर्स से फर्जी बिलिंग कराई।

शुभम ने ऐसा जाल बुना कि चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, बलिया, सोनभद्र, मिर्जापुर समेत कोई भी जिला अछूता नहीं रहा। सप्तसागर दवा मंडी के 150 स्टाकिस्टों की फर्मे शुभम के सिंडिकेट से संचालित होने लगीं। कफ सिरप पर 10 रुपये बढ़ाकर बिलिंग कराने के बाद कालाबाजारी शुरू हो जाती थी। कमिश्नरेट की एसआईटी परत दर परत राज उजागर कर रही है। गाजियाबाद के नंदग्राम थाने में शुभम जायसवाल पर दर्ज मुकदमे के आधार पर एसआईटी से संपर्क साधा है। 

शुभम के राज और गुनाह जानते थे कई पुलिसकर्मी
कमिश्नरेट के कुछ पुलिसकर्मियों और दरोगा, इंस्पेक्टर भी शुभम के संपर्क में थे। उसके राज और गुनाह दोनों से वाकिफ थे। कोतवाली में तैनात रहे पूर्व इंस्पेक्टर तो शुभम के नवनिर्मित मकान के गृह प्रवेश में भी शामिल हुए थे। त्योहार पर शुभम के उपहार भी थानों में पहुंंचते थे। वरुणा पार के रहने वाला एक हिस्ट्रीशीटर ने पूरे सिंडिकेट को मैनेज किया था।

लक्सा में मारा छापा
पुलिस ने शनिवार रात लक्सा इलाके में कई दुकानों पर छापा मारा। दवा की दुकानों पर पुलिस टीम ने खरीद-बिक्री के रिकॉर्डों की जांच की। दुकानदारों से पूछताछ की। थाना प्रभारी राजू सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच के बाद कई संदिग्ध दुकानों की सूची बनाई गई है। उनकी निगरानी बढ़ा दी गई है।

जानलेवा कफ सिरप का अवैध व्यापार शासन की नाकामी
शहर में जानलेवा कफ सिरप का अवैध व्यापार शासन-प्रशासन की नाकामी है। उक्त बातें कांग्रेस महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने कहीं। शनिवार को कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस कमिश्नर को संबोधित पत्रक उनके प्रतिनिधि एसीपी कैंट को सौंपा। राघवेंद्र चौबे ने कहा कि यह सरकार हर मोर्चे पर फेल है। नशे का जहरीला कारोबार फल-फूल रहा है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। कफ सिरप माफिया पर कार्रवाई नहीं होना बताता है कि इनके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक संरक्षण है। कांग्रेसजनों ने पुलिस उपायुक्त को पत्रक सौंपा है और कहा है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगी।

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