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गुरु तेगबहादुर: शहीदी कीर्तन...तीन गुरुओं की तलवार-तीर पर संगत ने टेका मत्था, गुरुद्वारा में हुए आयोजन

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: अमन विश्वकर्मा Updated Sun, 31 Aug 2025 04:07 PM IST
सार

यात्रा में 21 बसों में दो सौ यात्री शामिल हैं। यात्रियों को गुरुबाग में ठहराया गया है। रविवार को सुबह शबद गायन के बाद नगर कीर्तन यात्रा सुबह प्रयागराज के लिए रवाना होगी। 

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Guru Tegh Bahadur Martyrdom Kirtan Sangat bowed their heads on swords and arrows of three Gurus
गुरु तेग बहादुर साहिब जी महाराज की तलवार। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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Varanasi News: हिंद दी चादर सिख धर्म के नौवें गुरु गुरु तेगबहादुर साहिब का शहीदी कीर्तन शनिवार की शाम को बनारस पहुंचा। उनके साथ गुरु हरगोबिंद सिंह, गुरु तेग बहादुर साहब और गुरु गोविंद सिंह के शस्त्रों का वाहन भी था। इसमें तलवार और तीर रखे हुए थे। 

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25 अगस्त को असम के धोबड़ी साहिब से शुरू होकर यात्रा बिहार, झारखंड होते हुए बनारस पहुंची। कीर्तन यात्रा के बनारस पहुंचने पर फूल बरसाकर रोहनिया में स्वागत किया गया। सिख समाज ने कीर्तन जत्थे की अगवानी की। यात्रा रविवार को प्रयागराज के लिए रवाना होगी।
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रात 9:30 बजे गुरु तेगबहादुर साहिब की पालकी और शस्त्रों वाला वाहन पहुंचा। अपने गुरु के शस्त्रों तलवार और तीर देखने व मत्था टेकने के लिए श्रद्धालुओं की संगत उमड़ पड़ी। बिहार के सासाराम से आने वाली नगर कीर्तन यात्रा रोहनिया, मंडुवाडीह, महमूरगंज और रथयात्रा होते हुए गुरुद्वारा गुरुबाग पहुंची।

गुरुद्वारे के मुख्य ग्रंथी भाई रंजीत सिंह ने काशी की जनता से आग्रह किया कि वह गुरु महाराज की पालकी व शस्त्रों वाली गाड़ी का दर्शन करने गुरुद्वारा गुरुबाग पहुंच सकती है। यात्रा का समापन तख्त श्री केसगढ़ साहिब श्री आनंदपुर साहिब पंजाब में होगा।

धोबड़ी साहब में किया था प्रवास
गुरुद्वारा गुरुबाग के परमजीत सिंह अहलूवालिया ने बताया कि गुरु तेग बहादुर महाराज ने धोबड़ी साहिब में कई दिनों का प्रवास किया था। करतारपुर के युद्ध में गुरु तेग बहादुर ने तलवार से अभूतपूर्व शौर्य दिखाया। इसके कारण ही उनका नाम त्याग मल से तेग बहादुर रखा गया। उनका कहना था कि मानव को इस संसार में निर्भय जीना चाहिए। उसे न किसी को डराना चाहिए और न ही किसी से डरना चाहिए।

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