सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Varanasi News ›   Guru Tegh Bahadur special news Application filed 359 years ago

Guru Tegh Bahadur: 359 साल पहले लगाई थी अर्जी, तब काशी आए थे गुरु तेग बहादुर

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी Published by: अमन विश्वकर्मा Updated Mon, 29 Apr 2024 06:16 PM IST
सार

Guru Tegh Bahadur: गुरुनानक देव की वाणी और धर्म का प्रचार करने गुरु तेग बहादुर पंजाब से निकले तो वह विभिन्न शहरों से होकर 1666 में अपनीं मां, पत्नी, साले सत कई शिष्यों के साथ काशी आए थे।

विज्ञापन
Guru Tegh Bahadur special news Application filed 359 years ago
गुरु तेग बहादुर महाराज - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

ये गुरु बंदगी के प्रति अगाध प्रेम और आस्था ही थी कि सौ साल की उम्र पार कर चुके काशी के सिख धर्म के अनुयायी कल्याण जी के गुरु चरणों के ध्यान करने मात्र से ही नौवें गुरु तेग बहादुर महाराज काशी आ गए थे। उन्होंने अपने अनुयायी कल्याण जी को दर्शन दिए। उनके यहां सात महीने 13 दिनों तक प्रवास भी किया।

Trending Videos


उस वक्त काशी के विद्वानों, संन्यासियों और वैरागियों ने भी उनके चरणों में आकर बंदगी की। आज भी नीचीबाग गुरुद्वारे में 359 साल पहले आए गुरु तेग बहादुर की तमाम निशानियां मौजूद हैं। इनके दर्शन के लिए देश-विदेश से संगत आती है। 
विज्ञापन
विज्ञापन


वह नीचीबाग स्थित कल्याण दास के आवास पर ही ठहरे थे। वाहे गुरु नाम का सुमिरन करने और गुरुवाणी का संदेश देते थे। 

गुरुद्वारे के मुख्य ग्रंथी रंजीत सिंह ने बताया कि गुरुद्वारे में गुरु तेग बहादुर महाराज की तपस्या स्थल, ठहरने का कमरा, उनका चोला, जूता, हुकुमनामा आदि मौजूद है। दूर-दराज से आने वाली संगत इसका दर्शन करती है।

गंगा को घर में ही बुला लिया था

रंजीत सिंह ने बताया कि गुरुद्वारे में कुआं है, जिसमें गुरु तेग बहादुर ने गंगा जी को बुलाया। तबसे इस कुएं का जल संगत के लिए अमृत के समान है। उन्होंने बताया कि ग्रहण के दिन गंगा स्नान करने के लिए गुरु ने घर में ही गंगा को बुला लिया था। 

उन्होंने अपने चरण से एक शिला हटा तो गंगा का जल प्रवाहित होने लगा। उन्होंने स्नान करने के बाद गंगा के प्रवाह को रोकने के लिए दोबारा शिला वहीं रख दी। मगर वहां श्रोत (बाउली साहिब) आज भी मौजूद है।

प्रचार के दौरान ही गुरु गोविंद सिंह का हुआ था जन्म
सिख धर्म के प्रथम गुरू धन्य गुरुनानक देव महाराज के सिख धर्म मिशन का प्रचार करने गुरु तेग बहादुर निकले थे। वह दिल्ली, मथुरा, कानपुर से होते हुए प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पहुंचे थे। यहां से मिर्जापुर होते हुए काशी आए। वह काशी से सासाराम, गया होकर पटना पहुंचे। वहीं पर उनके बेटे गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ।

अग्रहरि व सोनार समाज के भी लोग बन गए संगत
काशी में गुरु तेग बहादुर की तपस्या देखते हुए और समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों ने भी सिख धर्म को स्वीकार कर लिया था। अग्रहरि, सोनार, खत्री, हलवाई आदि समाज के लोगों ने भी इस धर्म को स्वीकार कर लिया। उनके शिष्य मिर्जापुर, चंदौली व जौनपुर के भी लोग बने।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed