अग्निवीर: 1500 मीटर रेस का नेशनल रिकॉर्ड 3.35 मिनट, अभ्यर्थी ने 1600 मीटर 4.44 मिनट में किया पूरा
Agniveer: वाराणसी को छोड़ दिया जाए तो मंडल के अन्य तीन जिले, भदोही, चंदौली और मिर्जापुर, अब भी खेल सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। यहां सिंथेटिक ट्रैक समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
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Varanasi News: पूर्वांचल के युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। यह बात अग्निवीर सेना भर्ती में आए प्रतिभागियों के प्रदर्शन से साफ दिखाई दी। युवाओं ने जिस गति से दौड़ लगाई, उसे देखकर यह स्पष्ट हुआ कि यदि पूर्वांचल के युवाओं को हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसी आधुनिक खेल सुविधाएं मिलें, तो वे नेशनल और इंटरनेशनल स्तर की दौड़ में दमदारी से प्रदर्शन कर सकते हैं।
1600 मीटर की रेस में गाजीपुर के महेश यादव ने 4.44 मिनट का समय लेकर अपनी फिटनेस और क्षमता का उदाहरण प्रस्तुत किया। जबकि 1500 मीटर रेस का नेशनल रिकॉर्ड 3.35.24 मिनट का है।हालांकि वाराणसी में खेल सुविधाएं बढ़ने से यहां के ग्राउंड पर युवाओं की रफ्तार में सुधार आया है और वे मिनटों के अंतर को कम करते हुए बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
दाैड़ में दिखाया दम
यही वजह है कि कई युवा खेल के प्रति उत्साहित तो होते हैं लेकिन उन्हें आवश्यक सुविधाएं नहीं मिल पातीं। उन्हें कच्चे मैदानों पर अभ्यास करना पड़ता है या फिर वाराणसी आने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। सेना भर्ती में शामिल युवाओं ने बताया कि यदि उन्हें प्रोफेशनल कोचिंग और बेहतर सुविधा मिले, तो वे राष्ट्रीय रिकॉर्ड को भी चुनौती दे सकते हैं।
फिर भी कम नहीं पड़ती मेहनत : खेल सुविधाओं के अभाव के बावजूद पूर्वांचल के युवा दिन-रात अभ्यास में जुटे रहते हैं। सेना भर्ती में शामिल होने वाले युवाओं-विशाल, जैयहिंद, शिवम, अनुराग समेत अन्य ने बताया कि वे सुबह चार बजे से ही सड़क पर दौड़ना शुरू कर देते हैं। उनका कहना है कि यदि अच्छी गुणवत्ता वाला मैदान मिले, तो उनकी स्पीड में और सुधार आ सकता है। युवाओं की मांग है कि हर जिले में कम से कम एक सिंथेटिक ट्रैक और बुनियादी खेल सुविधाएं विकसित की जाएं।
अग्निवीर सेना भर्ती में पूर्वांचल के युवाओं का प्रदर्शन शानदार रहा। ग्राउंड पर तैयारी करने वालों की रेस में स्पष्ट सुधार देखने को मिला। कुछ बच्चों ने तो रेस में चौंकाया भी। यदि उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलें, तो वे नेशनल और इंटरनेशनल स्तर तक खेल सकते हैं। - कर्नल शैलेष