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कला: मिट्टी से मोती बनाकर महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर, चार से छह हजार रुपये महीने भर में कमा रहीं; जानें खास

सूरज चौबे, अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: अमन विश्वकर्मा Updated Fri, 19 Dec 2025 02:02 PM IST
सार

Varanasi News: वाराणसी के कंदवा गांव में महिलाएं मिट्टी के खिलाैने बनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं। दीया, पुरवा सहित झूमर भी बनाए जा रहे हैं। अपनी कमाई से महिलाएं घर के छोटे-छोटे खर्चों में हाथ बटा रही हैं।

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Women becoming self-reliant by making beads from clay earning four to six thousand rupees one month
मिट्टी के मोती। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मिट्टी को आकार देकर जीवन की रोशनी गढ़ने की यह कहानी किसी बड़े उद्योग की नहीं, बल्कि गांव की उन महिलाओं की है, जो घर पर  बैठकर अपनी मेहनत से हुनर को आजीविका में बदल रही हैं। 

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वाराणसी के कंदवा गांव में 35–40 वर्ष की उम्र की रामपणि और संजीरा ऐसी ही दो महिलाएं हैं, जिनके घर के बाहर आवा (मिट्टी के बर्तन व दीये पकाने का संयंत्र) लगा हुआ है। आवा में गोबर के कंडों से आग जलाई जाती है और ऊपर से बालू, मिट्टी या राख डालकर बर्तनों को पकाया जाता है। आमतौर पर यहां दीये बनाए जाते हैं, लेकिन इसी प्रक्रिया के बीच एक खास हस्तशिल्प भी तैयार होता है। वो है झूमर में लगने वाले मिट्टी के मोती। 
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रामपणि सरसों के तेल और कंघी की मदद से मिट्टी के छोटे-छोटे मोती पर बारीक आकृतियां उकेरती हैं। संजीरा बताती हैं कि ये मोती 15 रुपये सैकड़ा बिकते हैं। दोनों महिलाएं घर का काम निपटाने के बाद दिन में यही काम करती हैं, जिससे उन्हें महीने में करीब 4,000 से 6,000 रुपये तक की आमदनी हो जाती है। उनके साथ ही गांव की करीब 200 से अधिक महिलाओं की भी जीविका का साधन यही है।

रामपणि बताती हैं कि मोती से आकर्षक झूमर तैयार होते हैं, जिन्हें टांगल भी कहते हैं। बाजार में इन झूमरों की कीमत 150 से 300 रुपये तक होती है। ये बड़े सुंदर दिखते हैं।

ऐसे बनता है झूमर

  • सबसे पहले दीया या पुरवा बनाने में इस्तेमाल होने वाली मिट्टी को पानी में भिगोकर अच्छी तरह गूंथा जाता है। इसके बाद हाथों से छोटी-छोटी गोलियां बनाई जाती हैं।
  • इन गोलियों पर कंघी या किसी सांचे की मदद से बारीक डिजाइन उकेरी जाती है। फिर सूजा  से उनमें छेद किया जाता है, ताकि धागे में पिरोया जा सके। इसके बाद मोती को सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है।
  • सूखने के बाद मोती को आकर्षक रंगों से रंगा जाता है और अंत में इन्हें झूमर में गूंथने लायक तैयार कर लिया जाता है।
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