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World Soil Day 2025: पूर्वांचल की मिट्टी की सेहत खराब, आजमगढ़ और सोनभद्र की ज्यादा; जांच में हुआ खुलासा

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: प्रगति चंद Updated Fri, 05 Dec 2025 06:26 PM IST
सार

World Soil Day 2025: पूर्वांचल की मिट्टी की सेहत खराब हो रही है। इनमें आजमगढ़ और सोनभद्र की ज्यादा खराब है। जांच में मिट्टी में नाइट्रोजन, फाॅसफोरस व कार्बन की कमी पाई गई। हालांकि वाराणसी में थोड़ी राहत है। 

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World Soil Day 2025 Research on high nutrient deficiency in soil of Azamgarh and Sonbhadra
पूर्वांचल की मिट्टी की सेहत खराब - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मिट्टी की भी सेहत खराब हो रही है। पूर्वांचल में इसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं है। 10 जिलों में मिट्टी में मूल पोषक तत्व जीवांश कार्बन की कमी है। आजमगढ़ और सोनभद्र की मिट्टी में पोषक तत्वों में ज्यादा कमी पाई गई है। अगर किसान खेतों में प्राकृतिक और जैविक विधि नहीं अपनाते हैं तो मिट्टी ऊसर हो जाएगी। मृदा परीक्षण विभाग की मानें तो पूर्वांचल में मिट्टी के पोषक तत्व अपने न्यूनतम स्तर से भी कम है। इससे फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता में 20 से 30 फीसदी की कमी आ रही है।

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प्रदेश सरकार नेशनल प्रोजेक्ट ऑन सॉयल हेल्थ ऑन फर्टिलिटी योजना के तहत मिट्टी की जांच कर उसमें सुधार के लिए किसानों को जागरूक कर रही है। मगर, अब भी पूर्वांचल भर में मिट्टी की पोषकता में कोई खास सुधार नहीं हुआ है।
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10 जिलों में इस साल 2,32,400 मिट्टी के नमूने की जांच का लक्ष्य रखा गया है। इसमें 70 फीसदी की जांच हो चुकी है। 30 फीसदी मिट्टी के नमूनों की जांच रबी सीजन में होगी। अभी जांच में नाइट्रोजन, जीवांश कार्बन, फाॅस्फेट, सल्फर, जिंक, आयरन की मात्रा मानक से काफी कम है।

इन पोषक तत्वों का स्तर न्यूनतम से भी नीचे है। इन जिलों में पोटाश मध्यम और काॅपर की स्थिति थोड़ी ठीक है। आजमगढ़ का कुछ हिस्सा ऊसर और सोनभद्र के कुछ हिस्से पथरीले होने की वजह से यहां की मिट्टी में कोई खास सुधार नहीं है।

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ये करें तो होगी सुधार

प्राकृतिक व जैविक पद्धति से खेती को अपनाने से मिट्टी की सेहत में सुधार होगा। इससे वर्मी कंपोस्ट, हरी खाद (सनई व डैंचा) की मात्रा बढ़ाई जानी चाहिए। फसल चक्र को अपनाना होगा। सीजनवार बदलाव करते हुए खेतों में एक बार छोटी और फिर बड़ी जड़ वाली फसल लगाएं। फसलों के अवशेष को खेतों में ही सड़ाने का प्रबंध करें। इससे मिट्टी की सेहत सुधरेगी। उर्वरा शक्ति बढ़ेगी।

पिंडरा में कमी, आराजीलाइन में सुधार
जिले के अन्य ब्लाॅकों से पिंडरा और बड़ागांव की मिट्टी के पोषक तत्व में कमी है। जबकि आराजीलाइन और सेवापुरी अन्य से बेहतर स्थिति में हैं। क्योंकि, इन ब्लाॅकों में उत्पादन ठीक है। पिंडरा और बड़ागांव की मिट्टी पर जौनपुर की मिट्टी का असर दिखता है।

क्या बोले विशेषज्ञ
मिट्टी की स्थित पहले से ही खराब है लेकिन जागरूक व्यापक स्तर पर चल रहा है। किसानों को धीरे-धीरे समझ आने लगा है। इसका असर तीन से चार वर्षों में दिखेगा और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी। - प्रो. अमिताबा रक्षित, मृदा व रासायन वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान संस्थान बीएचयू

मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। मिट्टी के नमूने की जांच के आधार पर पहले से थोड़ा सुधार हुआ है। - राजेश राय, सहायक निदेशक, क्षेत्रीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला वाराणसी

जिला मिट्टी जांच के लक्ष्य

  • वाराणसी 16000
  • गाजीपुर 22400
  • जौनपुर 29400
  • चंदौली 12600
  • आजमगढ़ 44000
  • बलिया 34000
  • मऊ 18000
  • मिर्जापुर 24000
  • भदोही 12000
  • सोनभद्र 20000
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