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Bihar Assembly Elections 2025: Gopalganj villages show loyalty to RJD, NDA tries to make inroads
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Bihar Assembly Elections 2025: गोपालगंज के गांवों में आरजेडी के प्रति दिख रही वफादारी, NDA सेंध लगाने में जुटा
Video Published by: ज्योति चौरसिया Updated Sun, 02 Nov 2025 05:50 PM IST
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ये है बिहार के गोपालगंज जिले का एक गांव फुलवरिया, लालू प्रसाद यादव का जन्मस्थान। भैंस चराने वाले से मुख्यमंत्री तक के उनके सफर ने राज्य की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को बदल दिया। गरीब परिवार में जन्मे लालू, हाशिए पर रहने वाले पिछड़े वर्गों को संगठित करने और नया जाति-आधारित राजनीतिक समीकरण बनाने के लिए जाने जाते हैं। लालू के गांव के लोग बड़ी जातियों के प्रभाव को चुनौती देने और सामाजिक ताने-बाने को नया रूप देने में उनकी भूमिका बताते हैं। फुलवरिया निवासी किशोर कुमार ने कहा- मैं अपने माता-पिता से तो यही सुना हूं कि पहले जो सामाजिक खाई बहुत ज्यादा थी, जातिगत आधार पर जो भेदभाव बहुत ज्यादा होता था, तो उनके सत्ता में आने के बाद इस खाई को पाटने का काम उन्होंने बहुत ज्यादा किया है। जिनको निचली जाति हम लोग कहते हैं।जिनको बहुत कम बोलने का अधिकार था उनको बोलने का अधिकार उन्होंने दिलाया और जिस रास्ते पर आर हैं बहुत ही सुंदर रास्ता है, तो ये रास्ता उन्हीं का देन है और आज इस गांव में आप अगर घूमेंगे, तो कम से कम 10 ऑफिस मिलेंगे और तमाम सुविधाएं मिलेंगी। ये जो बिजली है। ये सब उन्हीं का देन है। यहां पर एक मिडिल स्कूल है, एक प्राइमरी स्कूल है। इसके अलावा कई तरह के ऑफिस जैसे ब्लॉक ऑफिस है। थाना है, आप देखेंगे कि बहुत ही अच्छा अस्पताल है और अब तो एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी खुल गया है तो ये तमाम चीजें उन्हीं की देन है।"
छठ के मौके पर फुलवरिया लौटने वाले हों या फिर यहां रहने वाले बुजुर्ग सभी कहते हैं कि लालू के कार्यकाल में गांव में बदलाव आया। फुलवरिया से थोड़ी ही दूरी पर है सालार कलां गांव,, जहां लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी का जन्म हुआ था। राबड़ी देवी आठ साल तक बिहार की मुख्यमंत्री रहीं। उन्होंने 1997 में सीएम की शपथ ली, जब चारा घोटाले के आरोप में लालू यादव को इस्तीफा देना पड़ा था। सालार कलां के लोग उनके काम की तारीफ करते हैं। दूर के कुछ रिश्तेदार समेत तमाम लोग राबड़ी देवी के विकास और लोगों के साथ उनके रिश्तों की सराहना करते हैं। गोपालगंज के आरजेडी कार्यकर्ता लालू प्रसाद यादव को युगपुरुष करार देते हैं। तो वहीं, हथुआ से जेडीयू उम्मीदवार किसी चुनौती से बेपरवाह दिखते हैं। हालांकि, फुलवरिया और सालार कलां के लोग राष्ट्रीय स्तर पर इलाके को पहचान दिलाने वाले नेताओं के प्रति समर्पित दिखते हैं।
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