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Bihar NDA Leaders on Seat Sharing: What did NDA leaders say on seat sharing in Bihar? | Bihar Elections 2025
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Bihar NDA Leaders on Seat Sharing: बिहार में सीट शेयरिंग पर क्या बोले NDA के नेता? | Bihar Elections 2025
Video Published by: ज्योति चौरसिया Updated Thu, 09 Oct 2025 12:53 PM IST
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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी तापमान चढ़ गया है। एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर सियासत गरमाई हुई है। वहीं सीट शेयरिंग पर एनडीए के कुछ नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी है। 6 और 11 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान का परिणाम 14 नवंबर को सामने आ जाएगा। मतलब, अब चुनाव परिणाम आने में भी 36 दिन शेष ही हैं। आमने-सामने की लड़ाई लड़ रहे दोनों गठबंधनों में सीटों पर ही बात बनती नहीं दिख रही है, प्रत्याशियों का नाम तो उसके बाद घोषित होगा। गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के बिहार प्रदेश कार्यालय में गहमागहमी रही। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बयानों ने उस गहमागहमी को गरमागरमी जैसा बनाए रखा। लेकिन, अंदर की बात यह है कि एनडीए की सीट शेयरिंग योजना ट्रैक से उतरी नहीं है। बिहार भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान पटना में हैं। वह घटक दलों के मन की बातें उनके मन से निकालने में कामयाब रहे हैं। मांझी-चिराग के मन की बात भले सामने आई, लेकिन भाजपा को भी पता है कि केंद्रीय मंत्री की कद्दावर कुर्सी छोड़ चिराग पासवान और जीतन राम मांझी बाहर जाने वाले नहीं हैं। उपेंद्र कुशवाहा तो किनारे होकर तमाशा देख रहे हैं। चिराग पासवान की पार्टी के पास मौजूदा विधानसभा में कोई विधायक नहीं। जीतन राम मांझी के पास चार विधायक हैं। उपेंद्र कुशवाहा के पास भी कोई विधायक नहीं। मांझी-चिराग या कुशवाहा को लोकसभा चुनाव के समय भी अंदाजा बता दिया गया था कि बिहार विधानसभा चुनाव के समय सीटों पर कैसे बात होगी। चिराग और मांझी को इसी कारण पसंदीदा, मजबूत और काम लायक मंत्रालय दिए गए थे। रही बात उपेंद्र कुशवाहा की तो, उनके लिए एनडीए के पास कई ऑफर हैं। बिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं। भाजपा-जदयू अब तक लगभग बराबर 100-100 के गणित पर है। चिराग पावान न्यूनतम 35 और जीतन राम मांझी कम-से-कम 15 सीटें चाह रहे हैं। इस तरह से बच रही है तीन सीटें उपेंद्र कुशवाहा के लिए। जदयू 110-105 की मांग से उतर कर 101-100 पर आकर टिकेगा ही। भाजपा 105 की तैयारी के बीच 100 के लिए भी मन बनाए बैठी है। भाजपा की पटना में बैठकों से कोई अंतिम नतीजा निकलना भी नहीं था। अब फैसला दिल्ली में होना है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकारों ने 2020 मॉडल को ही अंतिम उपाय माना है।
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